AIN NEWS 1: बता दें सुप्रीम कोर्ट के जज को ‘आतंकवादी’ कहने वाला याचिकाकर्ता अब बड़ी मुश्किल में फंस गया है. शीर्ष अदालत ने ना सिर्फ अपनी नाराजगी जताई, बल्कि रजिस्ट्री विभाग को कारण बताओ नोटिस भी जारी करने का निर्देश दिया है और बेहद सख्त टिप्पणी की है. SC ने कहा- क्यों ना उस पर जज का ‘अपमान’ करने के लिए आपराधिक अवमानना ​​​​का मुकदमा चलाया जाए.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने याचिका कर्ता के आरोपों की घोर निंदा की और कहा- ‘आपको कुछ महीनों के लिए जेल के अंदर भेजना होगा, तब आपको एहसास होगा.’ बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा- ‘आप सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ यूं ही कोई आरोप नहीं लगा सकते.’

बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक पेंडिंग केस की जल्द सुनवाई की मांग को लेकर याचिका पर सुनवाई की थी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने फाइल देखने के बाद बेंच को बताया कि उसने याचिकाकर्ता से इस तरह के बयान देने के लिए बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा है. वकील ने कहा कि वह उसका प्रतिनिधित्व तभी करेगा, जब वह व्यक्ति बिना शर्त माफी मांगेगा. वहीं, याचिका कर्ता ने कहा- ‘मैं माफी मांगता हूं.’ उसने कहा कि जब मैंने याचिका के लिए आवेदन किया था, तब मे ‘जबरदस्त मानसिक आघात’ से गुजर रहा था. इस पर बेंच ने अपनी नाराजगी जताई और कहा- ‘ये निंदनीय है.’एक जज के खिलाफ आरोप लगाने का ये कौन सा तरीका है?

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा- ‘हम आपको कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे और पूछेंगे कि क्यों ना आप पर आपराधिक अवमानना ​​का मुकदमा कोर्ट मे चलाया जाए.’ जज का इस कार्यवाही से क्या लेना-देना है? आप उन्हें आतंकवादी और अन्य चीजें कह रहे हैं. क्या ये एक न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने का तरीका है? बेंच ने पूछा- सिर्फ इसलिए कि वह आपके राज्य से ताल्लुक रखते हैं? यह चौंका देने वाला है.

आप बताएं क्यों ना आपके खिलाफ आपराधिक केस चलाए जाए

बेंच ने कहा- ‘हम जल्द सुनवाई के लिए आवेदन पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. यह आवेदन खारिज कर दिया जाएगा. इसके साथ ही कहा- रजिस्ट्री याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी कि इस अदालत के एक जज को बदनाम करने के लिए उस पर आपराधिक अवमानना ​​​​का मुकदमा क्यों ना चलाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए इस मामले को सूचीबद्ध किया है.

इसमें तीन सप्ताह में हलफनामा दायर करने का समय दिया

बेंच ने दर्ज किया कि याचिकाकर्ता ने बिना शर्त माफी मांगी है. अदालत को यह आकलन करने में सक्षम बनाने के लिए कि माफी वास्तविक है या नहीं, वह याचिकार्ता को अपने आचरण को समझाने के लिए हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दे रही है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here