SIP ने घटाई मर्सिडीज की बिक्री

लोगों ने महंगे सामान पर खर्च घटाया

पैसों को निवेश करने में ज्यादा दिलचस्पी

AIN NEWS 1: भारत में वैसे तो लोगों को हमेशा से बचत से लगाव रहा है लेकिन बीते करीब 3 दशकों में इकॉनमी खुलने के बाद से लोगों ने बचत के साथ साथ खर्च करना भी सीख लिया है। करीब 2 दशक पहले जब सस्ते लोन का दौर शुरु हुआ तो फिर लोगों ने घर और गाड़ी खरीदने के लिए भी खुद का और लोन का पैसा खर्च करना शुरु कर दिया। लेकिन कोरोना के बाद अब लोगों की सोच में कुछ बदलाव नजर आ रहा है। अब लोग महंगे और बड़े घर तो खरीद रहे हैं लेकिन लग्ज़री गाड़ियों को उतनी तेजी से नहीं खरीद रहे हैं। लोग म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाकर एसेट्स बिल्ड कर रहे हैं लेकिन खरीदने के साथ ही डेप्रिशियेट हो जाने वाली कारों से परहेज कर रहे हैं। मर्सिडीज-बेंज इंडिया के सेल्स एंड मार्केटिंग हेड संतोष अय्यर के मुताबिक म्यूचुअल फंड्स के सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP में बढ़ते निवेश ने कार जैसे एस्पिरेशनल और प्रीमियम उत्पादों की बिक्री घटा दी है। अब लोग डिस्पोजेबल इनकम का इस्तेमाल निवेश और बचत में कर रहे हैं लेकिन महंगे आइटम्स खरीदने से परहेज कर रहे हैं।

तेज रफ्तार फिर भी बिक्री में कमी!

ऐसे में लग्जरी कार इंडस्ट्री ने कोरोना के बाद सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने का कमाल तो कर दिखाया लेकिन भारत की क्षमता के मुकाबले बिक्री अभी भी बेहद कम है। अय्यर के मुताबिक करीब 15 हज़ार लोग हर महीने लग्जरी कारों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। हालांकि, वास्तविक ऑर्डर साइज करीब 1500 यूनिट्स है। -ऐसे में हर महीने साढ़े 13 हज़ार ग्राहक ऐसे होते हैं, जो मर्सिडीज-बेंज कार के मालिक बनने से रुक जाते हैं क्योंकि इन लोगों को कार खरीदने के मुकाबले शेयर बाजार में पैसा लगाने का अच्छा मौके दिलाने वाले एसआईपी पर ज्यादा भरोसा है।

SIP से मुकाबला करने की रणनीति!

यहां तक की अब मर्सिडीज SIP से अपना मुकाबला मानते हुए नई रणनीति बनाने पर विचार कर रही है। लेकिन ये ट्रेंड हाउसिंग मार्केट में नहीं देखा जा रहा है। इसकी वजह है कि यहां पर एसेट्स बनते हैं और उनकी कीमत भी खरीदने के बाद बढ़ने की उम्मीद रहती है। वैसे भी SIP में जिस तरह से निवेश उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है कुछ उसी तरह का अंदाज लग्ज़री हाउसिंग भी दिखा रही है।

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