कच्चा तेल 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर

पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की बढ़ी उम्मीद

मंदी की आशंका से घटे कच्चे तेल के दाम

AIN NEWS 1: अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल का भाव 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गया है। इसके बाद सबकी नजर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर लगी है कि आखिर इनमें कब कमी आएगी? दरअसल, बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का भाव 2.6 डॉलर प्रति बैरल यानी 3 फीसदी से ज्यादा कम होकर 80.97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। ये इस साल की शुरुआत में 4 जनवरी के बाद का सबसे कम भाव है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में आई इस गिरावट से भारतीय बास्केट की लागत मार्च के औसत 112.8 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।

क्या तेल कंपनियां करेंगी नुकसान की भरपाई?

क्रूड ऑयल की कीमतों में आई इस कमी से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास भी पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की गुंजाइश हो गई है। भारतीय बास्केट में ब्रेंट क्रूड का भाव मार्च के मुकाबले 30 डॉलर प्रति बैरल तक सस्ता होने से उनको अब पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर मुनाफा होने लगा है। ऐसे में कंपनियों के पास पेट्रोल 6 रुपये और डीजल 5 रुपये प्रति लीटर तक घटाने की गुंजाइश है। हालांकि तेल मार्केटिंग कंपनियां दाम घटाने का फैसला करने से पहले इस साल कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से हुए नुकसान की भरपाई करने को तरजीह दे सकती हैं।

तेल कंपनियां बचत का कुछ हिस्सा ग्राहकों को देंगी

हालिया आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में IOCL, HPCL और BPCL को पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर 2748.66 करोड़ का नुकसान हुआ है। ये हाल तब है जब सरकार ने बीते 2 साल में LPG की बिक्री पर हुए घाटे की भरपाई करते हुए कंपनियों को 22 हज़ार करोड़ की एकमुश्त रकम दी है। कच्चे तेल की कीमतों में कमी की वजह दुनिया के कई देशों पर छाए मंदी के काले बादल हैं। इससे चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों में इस बार सर्दियों में डिमांड में कमी की आशंका है। इसके साथ ही कई देशों में ब्याज दरों में जारी बढ़ोतरी का दौर और चीन में लॉकडाउन ने भी कच्चे तेल के दाम कम करने का काम किया है।

क्यों घटे कच्चे तेल के दाम? 

कच्चे तेल की कीमतों में कमी का एक कारण रूस के कच्चे तेल पर G-7 देशों द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंध भी हैं। इसके अलावा अमेरिका ने वेनेजुएला में क्रूड उत्पादन को मंजूरी दी है जो अब शेवरॉन कार्प क्रूड का प्रॉडक्शन करेग। इससे भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव पड़ेगा।

लेकिन अगले साल के लिए मॉर्गन स्टेनली के एनालिस्ट्स का अनुमान है कि 2023 में कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर सकती हैं।

यानी मौजूदा स्तर से 33 फीसदी की तेजी इनमें आ सकती हैं। हालांकि ये लेवल 2022 के 127 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर से कम रहेगा। ऐसे हालात में तेल मार्केटिंग कंपनियां किस तरह का रुख अपनाएंगी ये देखना दिलचस्प होगा।

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