AIN NEWS 1: अहोई अष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखकर शाम को अहोई माता की विधिवत पूजा करती हैं और तारे व चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करती हैं।
अहोई अष्टमी तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 13 अक्टूबर 2025 की दोपहर 12:24 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी, जो 14 अक्टूबर की सुबह 11:09 बजे तक रहेगी।
इस दिन संध्या पूजन का विशेष महत्व होता है। महिलाएं संध्या समय अहोई माता की आराधना करती हैं और अपनी संतान की मंगलकामना करती हैं।
अहोई अष्टमी पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त:
शाम 05:53 बजे से 07:08 बजे तक
कुल अवधि: 1 घंटा 15 मिनट
चंद्रोदय का समय: रात 11:20 बजे
तारों के दर्शन का समय: शाम 06:17 बजे
राहुकाल और शुभ समय
इस दिन सुबह में राहुकाल रहेगा, जिसके दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
राहुकाल: सुबह 07:47 बजे से 09:14 बजे तक
इसके अलावा, दिन में अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
अमृत (सर्वोत्तम): 06:21 AM – 07:47 AM
शुभ (उत्तम): 09:14 AM – 10:40 AM
चर (सामान्य): 01:34 PM – 03:00 PM
लाभ (उन्नति): 03:00 PM – 04:27 PM
अमृत (सर्वोत्तम): 04:27 PM – 05:53 PM
चर (सामान्य): 05:53 PM – 07:27 PM
लाभ (उन्नति): 10:34 PM – 12:07 AM (14 अक्टूबर)
इन मुहूर्तों में पूजा-पाठ, संकल्प या अन्य धार्मिक कार्य करना शुभ माना जाता है।
अहोई अष्टमी व्रत विधि
1. सुबह संकल्प:
सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और अहोई माता का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा की तैयारी:
शाम के समय पूजा स्थल पर अहोई माता की तस्वीर या मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें।
3. दीप प्रज्वलन:
मिट्टी के दीये में घी भरकर दीपक जलाएं।
4. कथा श्रवण:
अहोई अष्टमी की कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
5. तारे और चांद के दर्शन:
जब तारे निकलें, तो उनके दर्शन कर उन्हें अर्घ्य दें और अहोई माता से संतान की दीर्घायु का आशीर्वाद मांगे।
6. व्रत पारण:
चंद्रोदय के बाद व्रत का पारण करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।
अहोई माता की आरती
जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता।
ब्राह्मणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।
अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि मातृत्व के स्नेह और त्याग का प्रतीक भी है। इस दिन माताएं अपने बच्चों के भविष्य, दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं।
यह व्रत घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख और शांति लाने वाला माना जाता है।
सावधानियां और निषेध
राहुकाल में कोई शुभ कार्य न करें।
व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें।
पूजा में किसी भी वस्तु की कमी न रखें।
व्रत खोलने से पहले तारे और चांद के दर्शन अवश्य करें।
Ahoi Ashtami 2025 Puja Muhurat and Vrat Timings are important for devotees observing this sacred Hindu festival. On this day, mothers worship Ahoi Mata for the long life, prosperity, and good health of their children. The Ahoi Ashtami Puja Muhurat 2025 starts from 05:53 PM to 07:08 PM, while the moonrise time is at 11:20 PM. Star viewing begins around 06:17 PM. Devotees should avoid Rahukaal (07:47 AM – 09:14 AM) for any auspicious activity. Performing Ahoi Mata Aarti and following proper Ahoi Ashtami Puja Vidhi brings blessings, peace, and happiness to the family.