AIN NEWS 1: बता दें गाजियाबाद में BJP जनप्रतिनिधियों में अब गुटबाजी भी खुलकर सामने आ गई है। शिक्षक स्नातक MLC दिनेश गोयल ने लेटर जारी करके खुले तौर पर ही यह आरोप लगाया है कि सांसद और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह के खिलाफ राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल और चार विधायक एक साजिश रच रहे हैं। ये वीके सिंह को इस बार गाजियाबाद से दूर रखना चाहते हैं, ताकि अनिल अग्रवाल अगले लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी को मजबूत कर सकें।
जाने पूरा मामला
बता दें 17 दिसंबर को केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर गाजियाबाद में DM ऑफिस पर भाजपाइयों ने बिलावल भुट्टो के खिलाफ एक प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के बाद ही कई जनप्रतिनिधि MLC दिनेश गोयल के कार्यालय पर जा पहुंचे। और वहां से एक प्रेस नोट उन्होने जारी कर दिया। इस प्रेस नोट पर विधायक सुनील शर्मा, अजीतपाल त्यागी, अतुल गर्ग, नंदकिशोर गुर्जर और MLC दिनेश कुमार गोयल के हस्ताक्षर किए गए थे।
हालाकि भाजपा शिक्षक स्नातक MLC दिनेश गोयल ने तीन पेज का खंडन जारी करके राज्यसभा सांसद और 4 विधायकों पर आरोप लगाए हैं।
जैसा प्रेस नोट में लिखा था… ‘आज 17 दिसंबर को सांसद अनिल अग्रवाल एवं सभी विधायकों के बीच अनौपचारिक वार्ता में ये निर्णय लिया गया कि सभासद, पार्षद, चेयरमैन व अध्यक्ष के टिकटों के लिए जो भी आवेदन कर रहे हैं, इसमें कोई भी जनप्रतिनिधि अपने परिवार या अन्य सदस्यों को कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए मजबूर नहीं करेगा। अन्य सभी जनप्रतिनिधियों से भी ये अपेक्षा है कि वो कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान, स्वाभिमान सुरक्षित रखें और मर्यादित व्यवहार के चलते इस अनुशासन का पालन करें। कार्यकर्ताओं से भी अनुरोध है कि अपने स्वाभिमान की रक्षा करते हुए किसी भी जनप्रतिनिधि के पारिवारिक सदस्यों से न मिलें और न ही आवेदन दें।’
इस प्रेस नोट पर MLC दिनेश गोयल के हस्ताक्षर थे, लेकिन 24 घंटे बाद ही गोयल ने इसपर एक अपना खंडन जारी कर दिया।
खंडन वाले लेटर में जैसा कि उन्होंने लिखा… ”17 दिसंबर को बिलावल भुट्टो के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल के नेतृत्व में विधायक अतुल गर्ग, सुनील शर्मा, अजीतपाल त्यागी, नंदकिशोर गुर्जर और महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा मेरे कार्यालय पर आए। अनिल अग्रवाल ने कहा कि हम सब संजीव शर्मा के महापौर दावेदारी के समर्थन में आए हैं। मेरे द्वारा उन सभी से ये कहा गया कि अभी तो शीर्ष नेतृत्व को यह तय करना है कि किस जाति के आधार पर गाजियाबाद का महापौर प्रत्याशी चुना जाएगा। मैंने महसूस किया कि राज्यसभा सांसद सुनियोजित तरीके से सभी विधायकों एवं महानगर अध्यक्ष को लेकर आए थे। उनका उद्देश्य गाजियाबाद के सांसद एवं केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह एवं उनके परिवार को टारगेट करना था। परंतु अतिथि सत्कार की मर्यादा के कारण मैं उनकी इस बात का विरोध नहीं कर सका।”
‘राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल कहीं न कहीं स्वयं को आगामी लोकसभा का दावेदार प्रस्तुत करते हैं। इसी कारण वह नहीं चाहते कि सांसद जनरल वीके सिंह या उनका परिवार गाजियाबाद के संपर्क में किसी भी प्रकार से रहे। इसी योजना के तहत षड़यंत्र रचकर मुझे भी मुलाकात के माध्यम से अपने साथ मिलाने की असफल कोशिश की।”
”साथ ही उन्होंने ये भी प्रस्ताव रखा कि अभी तक विधायकों की बैठकों का संचालन विधायक सुनील शर्मा कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें सरकार द्वारा बड़ी जिम्मेदारी दी जाने के कारण वे इसे नहीं निभा पाएंगे। इसलिए उन्होंने मेरे नाम का प्रस्ताव रखा कि मैं ऐसी बैठकों का संचालन करुं। किंतु मैं इससे पहले ऐसी बैठकों में न तो शामिल हुआ और न ही बुलाया गया। इसलिए मैंने तत्काल प्रभाव से इस प्रस्ताव के लिए इनकार कर दिया। मैं सांसद जनरल वीके सिंह के विरुद्ध किए जा रहे किसी भी कार्य के समर्थन में न था और न हूं। मैंने विधायक सुनील शर्मा व अजीतपाल त्यागी को भी फोन करके अवगत करा दिया है।”
विधायकों की थी नाराजगी- सांसद अपने कार्यक्रम में हमें नहीं बुलाते
गाजियाबाद के BJP विधायकों के आरोप हैं कि सांसद और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह उनके विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले कार्यक्रमों में तो आते हैं, लेकिन वह विधायकों को ही नहीं बुलाते। इससे विधायकों की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ऐसे तमाम मौके आए जब मुख्य अतिथि सांसद थे और उस कार्यक्रम से क्षेत्रीय विधायक बिलकुल नदारद दिखे।
नवंबर के पहले हफ्ते में सांसद की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट में एक बैठक हुई थी, लेकिन विधायक मोदी नजर मंजू सिवाच के अलावा सारे विधायक इस बैठक को छोड़कर एक भंडारे में पहुंच गए। इतना ही नहीं, छठ पूजा पर सांसद ने हेलिकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की, लेकिन उसी इलाके के विधायक सुनील शर्मा उनके इर्द-गिर्द भी नहीं दिखे। विधायकों की नाराजगी है कि सांसद अगर इलाके में आएं तो उनको भी ज़रूर बुलाया जाए। लेकिन, अब ये विवाद चरम पर पहुंच गया है। माना जा रहा है कि इस विवाद में जल्द भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब हस्तक्षेप कर सकता है।