AIN NEWS 1: बता दें उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात अब हर पल बिगड़ रहे हैं. वहा से सैकड़ों लोगों को अभी तक खतरनाक इमारतों से रेस्क्यू किया जा चुका है. अभी तक 700 से ज्यादा घरों में दरारें देखी गई हैं और वहा जमीन धंसने की खबरें भी काफ़ी आ रही हैं. वहीं, लगभग 86 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है. इसके अलावा, 100 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भी ले जाया जा चुका है. अब प्रशासन की तैयारी है कि सभी खतरनाक इमारतों (होटलों और घरों) को गिराया जाए. हालांकि, प्रशासन की तैयारी के बीच भूस्खलन से गांधीनगर और पालिका मारवाड़ी में बने मकानों में भी दरारें नजर आने लगी हैं. अधिकारियों के मुताबिक, गांधीनगर में 134 और पालिका मारवाड़ी में लगभग 35 घरों में दरारें आ गई हैं. वहीं, लोअर बाजार में 34, सिंहधार में 88, मनोहर बाग में 112, अपर बाजार में 40, सुनील गांव में 64, पारासरी में 55 और रविग्राम में 161 घर भी असुरक्षित जोन में चिन्नीहित आ गए हैं. बताया जा रहा है कि जोशीमठ में अब तक भूस्खलन से 723 घरों में दरारें आ चुकी हैं.
जाने बारिश से बढ़ सकती है मुश्किल
जोशीमठ में प्रशासन बुधवार से खतरनाक इमारतों को गिराने की अपनी पूरी तैयारी कर रहा है, लेकिन प्रशासन के सामने एक और बड़ी चुनौती है. दरअसल, आज से अगले तीन दिनों तक बारिश का साया है. अगर जोशीमठ में भी बारिश होती है तो मुसीबत और भी ज्यादा बढ़ सकती है. इससे स्थानीय लोगों को और मुश्किल हो सकती है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि प्रशासन बारिश से निपटने के लिए अपनी क्या रणनीति बनाता है.
जाने पीड़ितों को दिया जाएगा मुआवजा
जोशीमठ से अभी तक 131 परिवार अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं. वहीं प्रशासन ने पीड़ितों को मुआवजा देने का एलान भी किया है. उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने एनसीएमसी को मौजूदा स्थिति से पूरी तरह अवगत कराया और बताया कि गंभीर रूप से प्रभावित घरों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. बयान में कहा गया है कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत आश्रयों की पहचान भी की गई है और राज्य सरकार उचित मुआवजा और राहत उपाय प्रदान कर रही है.
जाने गृह मंत्रालय की टीम ने किया दौरा
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने समिति को बताया कि पूरी स्थिति का आकलन करने के लिए सीमा प्रबंधन सचिव के नेतृत्व में गृह मंत्रालय के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय टीम वर्तमान में जोशीमठ में है. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने शहर के प्रभावित इलाकों का दौरा भी किया और लोगों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि लोगों की जान बचाने के लिए जनहित में विध्वंस के उपाय किए जा रहे हैं.
जाने भूस्खलन प्रभावित जोशीमठ
बता दें कि सोमवार को जोशीमठ को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया. इसी के साथ, सरकार का एक एक्सपर्ट पैनल भी जोशीमठ की स्थिति पर नजर और रिसर्च कर रहा है. पैनल ने पाया है कि जोशीमठ के नीचे की जमीन को अब विस्थापित किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप मानव निर्मित और प्राकृतिक कारकों के कारण जोशीमठ धंसता जा रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने कहा कि जोशीमठ इस त्रासदी का अंतिम गवाह नहीं है क्योंकि आने वाले वर्षों में हिमालय के कई शहर और गांव भी ऐसी ही आपदा को झेलेंगे.