कोराना महामारी की चौथी लहर का खतरा लगातार गहराता जा रहा है। एक और नई लहर के आने की वजह का दावा दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों की एक स्टडी में किया गया है। इस स्टडी के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो नए सब वेरिएंट BA.4 और BA.5 एक नई लहर को पैदा करने का खतरा बढ़ा रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये दोनों वेरिएंट पहले के संक्रमण से बनी एंटीबॉडीज़ को चकमा देने की ताकत रखते हैं। हालांकि ये दोनों वेरिएंट कोविड-19 का टीका लगवा चुके लोगों को आसानी से संक्रमित नहीं कर पाएंगे। ओमिक्रॉन के इन दोनों ही सबवेरिएंट्स को पिछले महीने ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी सूची में जोड़ा गया था। जानकारों का भी मानना है कि जबतक 100 फीसदी आबादी का टीकाकरण नहीं होगा तबतक कोरोना के खतरे से निजात नहीं मिलेगी। ऐसे में ज़रुरी है कि लोगों को बगैर किसी हिचकिचाहट या लापरवाही के कोरोना वैक्सीन को लगवा लेना चाहिए। इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने अलग अलग वैक्सीन लगवा चुके लोगों को शामिल किया था। स्टडी के नतीजों के मुताबिक टीकाकरण करवा चुके लोगों ने करीब 5 गुना ज्यादा न्यूट्रलाइजेशन क्षमता दिखाई। इसके मुताबिक असंक्रमित लोगों में BA.4 और BA.5 के संपर्क में आने पर एंटीबॉडी बनने में करीब 8 गुना कमी देखी गई। वहीं टीका लगवा चुके लोगों के ब्लड में 3 गुना कमी देखी गई। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की पांचवी लहर के दस्तक देने की आशंका है। इसकी वजह है कि दक्षिण अफ्रीका की 6 करोड़ की आबादी में से केवल 30 फीसदी को ही पूरी तरह से टीका लग पाया है। यानी ओमिक्रॉन के ये 2 नए वैरिएंट्स कोरोना की नई लहर को जन्म देने की क्षमता रखते हैं। जाहिर है कि भारत में करीब 85 फीसदी लोगों को दूसरी डोज़ भी लग चुकी है। ऐसे में यहां तो संक्रमण का खतरा लगातार कम होता जा रहा है। लेकिन इसकी पूरी तरह रोकथाम के लिए लोगों को बूस्टर डोज़ लेनी होगी और दूसरे देशों में भी टीकाकरण की रफ्तार बढ़ानी होगी जिससे दुनिया से कोरोना के नामोनिशान को मिटाना आसान हो सके।