Monday, November 25, 2024

बेल मिलने के बावजूद जेल से नहीं छूट पाई खुशी दुबे, आखिर क्या है वजह कि 11 दिन बाद भी जेल से रिहा नहीं हो रही बिकरु कांड की आरोपी!

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11 दिन बाद भी खुशी जेल से बाहर नहीं आई 

कानपुर पुलिस ने नहीं भेजी जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट 

खुशी दुबे को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है

 AIN NEWS 1: बता दें बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद 11 दिन से रिहाई का इंतज़ार कर रही है। खुशी दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित का आरोप है कि पुलिस जमानतदारों की सत्यापन रिपोर्ट नहीं भेज रही है जिसके कारण खुशी की रिहाई नहीं हो पा रही है। खुशी के परिजनों को नौबस्ता और पनकी थाने में डाक नहीं मिलने की बात कहकर टरका दिया जाता है। वहीं डाक की ट्रैक रिपोर्ट बताती है कि 11 जनवरी को प्रपत्र थाने में पहुंच हो चुके हैं।

11 दिन बाद भी खुशी जेल से बाहर नहीं आई 

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने 2 जुलाई 2020 की रात अपने गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। बिकरू कांड के पांचवे दिन एसटीएफ ने हमीरपुर जिले में खुशी दुबे के पति अमर दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था। वहीं, अदालत ने भी माना था कि बिकरू कांड के दौरान खुशी नाबालिग थी। नाबालिग होने के कारण खुशी को बालसुधार गृह में रखा गया था। जब खुशी बालिग हो गई तो उसे कानपुर देहात की माती जेल में भेज दिया गया था।

अदालती आदेश पर दाखिल की गई थीं जमानतें

खुशी दुबे के वकील शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से खुशी दुबे को बीते 4 जनवरी को जमानत मिल गई थी। आदलत ने 6 जनवरी को डेढ़-डेढ़ लाख की जमानते दाखिल करने के निर्देश दिए थे। खुशी की बहन नेहा और पिता श्यामलाल तिवारी ने 09 जनवरी को दो जमानतें जमा कर दी थीं। इसके साथ ही किशोर न्याय बोर्ड में खुशी के भाई पूर्णेश और बहन नेहा ने 35-35 हजार की दो जमानतें जमा की थीं। अदालत ने जमानतों के सत्यापन की रिपोर्ट पनकी और नौबस्ता थाने से मांगी थी।

11 जनवरी को प्रपत्र पहुंच चुके हैं

शिवाकांत दीक्षित के अनुसार खुशी के पिता और भाई पनकी थाना क्षेत्र में रहते हैं, जबकि बहन नौबस्ता थाना क्षेत्र में रहती है। अदालत ने पनकी और नौबस्ता थाने से सत्यापन की रिपोर्ट मांगी थी। खुशी के पिता और भाई जब थाने जाकर पूछते हैं कि खुशी के प्रपत्र आए हैं क्या, इस पर थाने से ये कहकर टाल दिया जाता है कि अभी डाक नहीं मिली है, जबकि डाक की ट्रैक रिपोर्ट बताती है कि 11 जनवरी को प्रपत्र थाने पहुंच चुके हैं।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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