AIN NEWS 1: बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभिभावकों को एक बड़ी राहत दी है. दरअसल, कोर्ट ने यूपी के स्कूलों को 2020-21 में कोविड काल के दौरान ली गई कुल फीस में 15 प्रतिशत की छूट देने का निर्देश दे दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य के सभी निजी स्कूलों को 2020-21 सत्र के दौरान ली गई कुल फीस का 15 प्रतिशत हिस्से का कैल्कुलेशन करना होगा और इसे अगले सत्र में एडजस्ट करना होगा.
एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने स्कूलों को इस प्रोसेस को पूरा करने के लिए केवल 2 महीने का समय दिया है. COVID-19 महामारी के दौरान दायर याचिकाओं में स्कूल फीस और अन्य शुल्कों की मांग को लेकर यह मुद्दा उठाया गया था. फीस माफी को लेकर पढ़ें आपके सभी सवालों के जवाब.
1. क्या सभी स्कूलों पर लागू होगा ये फैसला?
जी हां हाईकोर्ट का फीस माफी को लेकर जो आदेश आया है, वह उत्तर प्रदेश के सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा.
2. और जिन छात्रों ने स्कूल छोड़ा, उन्हें कैसे मिलेगी राहत?
– जिन छात्रों ने स्कूल छोड़ भी दिया है और अब वह दूसरे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं, ऐसे स्टूडेंट्स 2020-21 में जमा की गई फीस का 15 प्रतिशत हिस्सा वापसी का स्कूल से दावा कर सकते हैं.
3. और जिन स्कूलों ने पहले ही फीस कम कर दी थी, उनका क्या होगा?
अब ये सवाल भी उठ रहा है कि जिन स्कूलों ने पहले ही कुछ फीस कम कर दी है, क्या वे भी इसके दायरे में आएंगे, तो इसका जवाब है नहीं. जिन स्कूलों ने पहले ही यह राहत दी है, उन पर यह फैसला लागू नहीं होगा.
4. क्या सभी क्लास के बच्चों की फीस माफ होगी?
हां
5- हाईकोर्ट ने फैसले में आख़िर क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि 2020-21 में जब स्कूलों ने सुविधाएं ही नहीं दी तो फिर 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकती. हाईकोर्ट ने 2020-21 में जमा की गई फीस को 15 फीसदी तक माफ करने का आदेश दिया है. ये आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होगा. मतलब 2020-21 में जो भी फीस ली गई थी, उसमें 15 फीसदी माफ होगी.
6- माफ हुई फीस कैसे मिलेगी?
2023-24 का सत्र शुरू होने वाला है और हाईकोर्ट ने 2020-21 में जमा की गई फीस में छूट देने का अपना आदेश दिया है. ऐसे में कोर्ट के आदेश के मुताबिक 2020-21 में ली गई फीस का 15% अगले सत्र में एडजस्ट किया जाएगा.
7- कब तक फीस वापस होगी?
2020-21 में जमा की गई फीस को अगले सत्र में एडजस्ट करने और फीस वापस लौटाने के लिए हाईकोर्ट ने स्कूलों को दो महीने का समय दिया है.
8. क्या था मामला?
एजेंसी के मुताबिक याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाई गई मुख्य शिकायत ये थी कि महामारी के दौरान यानी 2020-21 में लॉकडाउन था. स्कूल बंद थे, सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई ही चल रही थी, स्कूलों की ओर से कुछ सुविधाएं बच्चो को प्रदान ही नहीं की गई थीं. ऐसे में वह उन सुविधाओं के एवज में भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं थे.
9- क्या ये मामला सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा?
अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिलती भी है, तो भी माता-पिता को वहां से झटका मिलने की गुंजाइश कम है. उसकी वजह ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान सरकार के मामले में फैसले में निजी स्कूलों को 2020-21 की फीस में 15% कटौती करने का आदेश दिया था.