भरतपुर पुलिस की ऐतिहासिक जीत: 3500 करोड़ की फर्जी निवेश ठगी का पर्दाफाश, मास्टरमाइंड समेत 5 आरोपी गिरफ़्तार
AIN NEWS 1: राजस्थान पुलिस के बढ़ते साइबर क्राइम नियंत्रण प्रयासों को एक बड़ी सफलता तब मिली जब भरतपुर पुलिस ने देशभर के लाखों लोगों को चूना लगाने वाले एक विशाल फर्जी निवेश नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया। यह नेटवर्क पिछले दो से तीन वर्षों में इतनी तेज़ी से फैला कि इसके झांसे में लगभग 3 लाख से अधिक निवेशक आ गए, और कुल ठगी की राशि 3500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा पहुंच गई।
पुलिस की इस कार्रवाई को अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी की जांचों में से एक माना जा रहा है, जिसमें न केवल गिरोह के पाँच मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, बल्कि उनसे करोड़ों की संपत्ति भी जब्त की गई। इनमें लग्जरी गाड़ियां, सोने के जेवरात, नकद राशि और क्रिप्टोकरेंसी शामिल हैं।

शुरुआत कैसे हुई? शिकायत से खुला महाठगी का जाल
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब 12 नवंबर 2025 को भरतपुर के थाना मथुरागेट में एक पीड़ित की शिकायत दर्ज हुई। शिकायत में बताया गया कि एक वेबसाइट gqcw.cn और उससे जुड़ी मोबाइल एप्लिकेशन लोगों को आकर्षक निवेश ऑफर देकर अपने जाल में फंसा रही थी।
इस वेबसाइट पर दावा किया जा रहा था कि यह विदेशी मुद्रा बाजार (Forex Trading) और क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में निवेश कर लोगों को अत्यधिक लाभ देती है। साइट पर रिटर्न इतने अविश्वसनीय थे कि कई लोग लालच में पड़कर लाखों रुपये तक निवेश कर बैठे।
जैसे-जैसे पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई, मामले का दायरा और गंभीरता दोनों बढ़ते गए। प्राथमिक जांच में ही यह साफ हो गया कि यह वेबसाइट ना तो SEBI, ना RBI और ना ही किसी सरकारी प्राधिकरण से पंजीकृत थी। इसका मतलब था कि लोग जिस मंच पर करोड़ों रुपये डाल रहे थे, वह पूरी तरह अवैध था।
रूस का नाम इस्तेमाल, लेकिन असल संचालन जयपुर से
ठगी करने वाले इस गिरोह ने पूरी कोशिश की कि अपनी पहचान छिपी रहे। वेबसाइट पर लिखा था कि यह कंपनी 2016 से रूस में संचालित हो रही है, लेकिन पुलिस की तकनीकी टीम ने इस दावे को झूठा साबित कर दिया।
जांच में सामने आया कि वेबसाइट का असली संचालन राजस्थान के जयपुर से हो रहा था।
और वह भी 2022 से, यानी वेबसाइट द्वारा बताए गए 8–10 साल के अनुभव का दावा सरासर झूठ था।
फर्जी नेटवर्क को विकसित करने और उसे चलाने में दो लोगों की मुख्य भूमिका सामने आई —
संदीप सिगर
रजत शर्मा
इन दोनों ने ही वेबसाइट बनाने, प्लानिंग करने और यूजर्स को लुभाने के लिए बड़े स्तर पर मार्केटिंग रणनीतियाँ तैयार की थीं।
47 लाख यूजर्स का दावा, 4.3 बिलियन डॉलर के फंड का झूठा प्रचार
इस नेटवर्क की सबसे बड़ी चाल यह थी कि यह खुद को एक विश्वसनीय और पुरानी कंपनी बताने के लिए करोड़ों डॉलर के फंड का दावा करता था।
वेबसाइट कहती थी कि उसके पास:
47 लाख यूजर्स हैं,
4.3 बिलियन डॉलर (करीब 36,000 करोड़ रुपये) का फंड मैनेजमेंट है।
लेकिन पुलिस और साइबर विशेषज्ञों की छानबीन में सामने आया कि वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट थी।
वेबसाइट के सिर्फ 4.7 लाख असली यूजर्स मिले।
फर्जी नेटवर्क के माध्यम से जुटाई गई राशि लगभग 350 मिलियन डॉलर (3100 करोड़ रुपये) के आसपास थी।
यह अंतर दिखाता है कि गिरोह लोगों का विश्वास जीतने के लिए कितनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था।
दूसरी फर्जी वेबसाइट का खुलासा – pvp.com भी चल रहा था समान पैटर्न पर
जांच आगे बढ़ी तो पुलिस को एक और बड़ा धक्का लगा। पता चला कि यही गैंग pvp.com नाम की दूसरी फर्जी वेबसाइट भी चला रहा था।
यह वेबसाइट भी ठीक उसी तरह काम कर रही थी—
बड़े मुनाफे का लालच
रेफरल बोनस
क्रिप्टो/फॉरेक्स ट्रेडिंग का झांसा
और फर्जी लाइसेंस
इस साइट के माध्यम से भी लगभग 9000 यूजर्स को निशाना बनाया गया और करीब 58 मिलियन डॉलर, यानी 500 करोड़ रुपये से अधिक, की ठगी की गई।
दोनों वेबसाइटें मिलाकर नेटवर्क ने लगभग 3600 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि अवैध रूप से इकट्ठी कर ली थी।
गिरफ्तारी और जब्ती: पुलिस ने बरामद की करोड़ों की संपत्ति
भरतपुर और जयपुर में चलाए गए संयुक्त अभियान में पुलिस को बड़ी सफलता मिली। कार्रवाई के दौरान जिन पांच आरोपियों को पकड़ा गया, उनके कब्जे से भारी मात्रा में संपत्ति बरामद हुई।
जप्त की गई मुख्य संपत्तियाँ
नकद: लगभग 40 लाख रुपये
सोने के जेवर: ऊंची कीमत के कई आइटम
लग्जरी कारें: 5 महंगी गाड़ियाँ
क्रिप्टोकरेंसी: करीब 40 लाख रुपये मूल्य की
यह जब्ती यह दिखाती है कि गिरोह अपने अवैध पैसे का इस्तेमाल खुलकर ऐशो-आराम में कर रहा था।
मामला अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।
फर्जी वेबसाइट कैसे चल रही थी? – एक आसान विश्लेषण
पूरी ठगी को समझने के लिए इसका मॉडल जानना जरूरी है। यह गिरोह निम्नलिखित तरीके से काम कर रहा था:
1. लुभावने विज्ञापन और सोशल मीडिया प्रचार
विशेषकर फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप पर फर्जी विज्ञापनों के जरिए लोगों को लुभाया जाता था। इनमें बताया जाता था कि सिर्फ कुछ हजार रुपये निवेश कर व्यक्ति महीने भर में लाखों कमा सकता है।
2. फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
वेबसाइट ऐसे दस्तावेज दिखाती थी जो देखने में असली लगते थे, लेकिन असल में पूरी तरह नकली होते थे।
3. रेफरल बोनस का लालच
गैंग ने मल्टी लेवल मार्केटिंग जैसा ढांचा अपनाया था —
जितने ज्यादा लोगों को जोड़ो, उतना ज्यादा बोनस।
4. नकली ऐप और वॉलेट
लोग जब पैसा डालते, तो ऐप उन्हें फर्जी बैलेंस दिखाता था।
असल में वह रकम सीधे गिरोह के खातों में जा रही थी।
5. पैसे निकालने पर अड़चन
सिस्टम ऐसा बनाया गया था कि छोटे रकम निकालने की अनुमति थी, लेकिन जैसे ही किसी ने बड़ी रकम निकालने की कोशिश की, वेबसाइट तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर अकाउंट ब्लॉक कर देती थी।
पुलिस की मेहनत: तकनीकी जांच से सबूत तक
SP दिगत आनंद के नेतृत्व में बनी टीम ने इस पूरे मामले को बेहद व्यवस्थित तरीके से संभाला।
टीम के सदस्य—
वृत्ताधिकारी पंकज यादव (IPS)
साइबर तकनीकी विशेषज्ञ
स्थानीय सूचना तंत्र
सभी ने मिलकर कई सप्ताह तक लगातार निगरानी की।
पुलिस ने:
सर्वर लोकेशन ट्रैक की
फर्जी IP एड्रेसों का विश्लेषण किया
बैंक खातों की लेयर टू लेयर जांच की
मोबाइल-लैपटॉप बरामद कर डेटा रिकवरी की
धीरे-धीरे यह साफ हो गया कि पूरी ठगी राजस्थान से संचालित हो रही थी, जबकि बाहर से रूस और अमेरिका के नाम का प्रयोग केवल लोगों को भ्रमित करने के लिए किया गया था।
क्यों फंस गए इतने लोग?
भारत में निवेश के नाम पर ठगी के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि:
लोग जल्दी मुनाफा कमाने की चाहत रखते हैं
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ज्यादा तकनीकी हो गए हैं
विदेशी निवेश का लालच आसानी से पकड़ लेता है
प्रमाणिकता जांचने की आदत नहीं होती
इस केस ने साबित कर दिया कि किसी भी निवेश से पहले सरकारी पंजीकरण, लाइसेंस, नियम और वेबसाइट की विश्वसनीयता की जांच जरूरी है।
इस कार्रवाई का महत्व
भरतपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने कई स्तरों पर बड़ा असर डाला है:
1. लाखों लोगों को राहत की उम्मीद मिली।
2. साइबर ठगों में डर पैदा हुआ।
3. ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्मों पर निगरानी बढ़ाने की जरूरत सामने आई।
4. पुलिस की तकनीकी क्षमताओं को मजबूती मिली।
एक बड़े गिरोह का अंत, लेकिन सावधानी ही सुरक्षा
राजस्थान की भरतपुर पुलिस ने यह दिखा दिया कि अगर सही दिशा में जांच की जाए तो कितना भी संगठित और बड़ा साइबर गिरोह क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता।
यह मामला हमें यह भी सिखाता है कि ऑनलाइन निवेश करते समय सावधानी बेहद जरूरी है।
लालच या जल्द मुनाफे की चाहत किसी को भी भारी नुकसान पहुँचा सकती है।
The Bharatpur Police in Rajasthan have dismantled a massive ₹3500 crore investment scam that targeted more than 300,000 innocent investors across India. The fraudulent network operated through fake crypto and forex trading websites, misleading users with high-return promises, bonus schemes, and fake credentials. By arresting five key accused and seizing luxury cars, gold, cash, and cryptocurrency, the police have delivered a significant blow to organized cyber crime. This detailed report highlights the scam’s modus operandi, digital fraud strategy, financial deception, and the extensive investigation led by Bharatpur Police.



