AIN NEWS 1: अयोध्या में राम मंदिर परिसर में आयोजित रामलला के दरबार में धर्म ध्वजा स्थापना कार्यक्रम को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। समाजवादी पार्टी के अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने दावा किया है कि उन्हें इस ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन के लिए आमंत्रण नहीं दिया गया। इस घटना ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज कर दी है, बल्कि सामाजिक समानता और सम्मान पर भी नई बहस खड़ी कर दी है।
कार्यक्रम में न बुलाए जाने पर सांसद का दर्द छलका
अवधेश प्रसाद ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना दर्द व्यक्त किया। उन्होंने साफ कहा कि यह लड़ाई किसी निमंत्रण या पद की नहीं, बल्कि अपने समाज के सम्मान और समान अधिकारों की है। उन्होंने कहा कि भगवान राम किसी एक समुदाय या वर्ग के नहीं, बल्कि पूरे देश के हैं।
सांसद ने अपने पोस्ट में लिखा—
“यदि मुझे रामलला के दरबार में धर्म ध्वजा स्थापना कार्यक्रम में केवल इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि मैं दलित समाज से आता हूं, तो यह राम की मर्यादा नहीं, बल्कि संकीर्ण सोच का परिचय है। राम सबके हैं। मेरी लड़ाई निमंत्रण की नहीं, सम्मान और संविधान की मर्यादा की है।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। कई लोगों ने उनके पक्ष में प्रतिक्रिया व्यक्त की, तो कुछ ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप भी लगाया।
मुख्य कार्यक्रम और राजनीतिक पृष्ठभूमि
राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह को बहुत सम्मानजनक और महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम माना जाता है। इसमें प्रदेश और देश की कई प्रमुख हस्तियों को बुलाया जाता है। ऐसे में अयोध्या का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद को निमंत्रण ना मिले, यह अपने आप में सवाल खड़े करता है।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद काफी लंबे समय से अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय राजनीति करते हुए समाज के पिछड़े और वंचित तबकों की आवाज उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि जिन मूल्यों के लिए वह लड़ते रहे हैं, वही आज आहत हुए हैं।
“इसे निजी अपमान न समझा जाए”—सांसद की सफाई
अवधेश प्रसाद ने इस मुद्दे को व्यक्तिगत अपमान की तरह नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक मुद्दा बताया। उन्होंने कहा:
“यह मामला किसी एक सांसद का नहीं है। अगर किसी दलित व्यक्ति को सिर्फ उसकी जाति की वजह से बुलाया नहीं जा रहा है, तो यह संविधान की भावनाओं के खिलाफ है। हमें समझना होगा कि राम ऐसा समाज नहीं चाहते थे। वे बराबरी का संदेश देते थे।”
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में सभी को बराबर सम्मान मिलना चाहिए।
अयोध्या में बढ़ी राजनीतिक हलचल
सपा सांसद के आरोपों के बाद अयोध्या की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। भाजपा, सपा और अन्य दलों के नेता इस बयान पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक चूक हो सकती है और इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। वहीं, सपा नेताओं ने इसे “सामाजिक बहिष्कार” की तरह बताया है।
कई सामाजिक संगठनों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों में ऐसे विवाद पैदा होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
कुछ ने यह भी कहा कि यह घटना दर्शाती है कि समाज में अभी भी समानता की भावना पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाई है।
जनता की प्रतिक्रिया—सोशल मीडिया पर बहस तेज
सांसद के बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने खुलकर अपनी राय रखी।
कई यूज़र्स ने इसे “जातिवाद की सोच” बताया, तो कुछ ने कहा कि आमंत्रण सूची तैयार करने वालों को जवाब देना चाहिए।
एक यूज़र ने लिखा:
“अयोध्या के सांसद को ही यदि न्योता नहीं मिला, तो यह मामला गंभीर है। यह सिर्फ राजनीति नहीं, बराबरी के अधिकार का सवाल है।”
दूसरे यूज़र ने लिखा:
“हर बात को जाति से जोड़ना सही नहीं। संभव है प्रशासन में लापरवाही हुई हो।”
इस तरह यह मुद्दा सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक—तीनों स्तरों पर गर्माता जा रहा है।
“राम सबके हैं”—संदेश देने की कोशिश
अवधेश प्रसाद ने अपने संदेश में अंतिम पंक्ति में दोबारा यही कहा कि
“राम सबके हैं। मैं वहां जाना चाहता था क्योंकि मैं अयोध्या का प्रतिनिधि हूं। यह कार्यक्रम मेरी आस्था से जुड़ा है, न कि राजनीति से।”
उन्होंने कहा कि वह भविष्य में भी राम मंदिर से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने की इच्छा रखते हैं, चाहे उन्हें औपचारिक निमंत्रण मिले या न मिले।
अयोध्या से सांसद को राम मंदिर के कार्यक्रम में निमंत्रण न मिलना केवल एक राजनीतिक घटना भर नहीं है। यह सामाजिक सम्मान, समानता और प्रतिनिधित्व जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर करता है।
सांसद अवधेश प्रसाद का बयान न सिर्फ उनके व्यक्तिगत दर्द को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आज भी समाज में कई स्तरों पर संवेदनशीलताएँ मौजूद हैं, जिन पर गंभीर चर्चा और सुधार की जरूरत है।
Aydohya MP Awdhesh Prasad has sparked a new debate after claiming he was not invited to the Ram Mandir flag hoisting ceremony. The Samajwadi Party MP said the issue goes beyond political rivalry and highlights a larger concern about dignity, equality, and constitutional rights. His statement—“Ram belongs to everyone”—has intensified the discussion around the Ayodhya Ram Mandir event, social equality, and the political controversy surrounding the invitation issue. This incident has gained attention across Uttar Pradesh and national political circles.



















