महंगाई .. जो हर रोज बाज़ार में खरीदारी करते हुए मिलती है… पेट्रोल-डीज़ल-CNG भरवाते में जिससे मुलाकात होती है… वो महंगाई अब हफ्तों या महीनों नहीं.. बरसों के रिकॉर्ड तोड़ रही है… इससे मुलाकात करते करते अगर आप तंग आ गए हैं तो फिर.. मूड खराब मत करिए.. ये तो अभी जबरदस्ती मिलती रहेगी.. और खूब सताती रहेगी.. जेब में सुराख करती रहेगी… दरअसल, जिस महंगाई से आम आदमी दिन में दो चार दफा रुबरु होता है वो अब सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर के 7.79 फीसदी पहुंचने पर ये अनचाहा रिकॉर्ड बना है। इसके पहले मई 2014 में महंगाई दर 8.32 परसेंट थी। महंगाई में इस बढ़ोतरी की वजह है खाने-पीने के सामान से लेकर तेल के दाम में हुआ इजाफा। यानी घर की रसोई से लेकर कार के फ्यूल टैंक तक हर जगह महंगाई तांडव मचा रही है। सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती इस महंगाई से आम लोग ही नहीं.. सरकार और पॉलिसी मेकर्स भी परेशान हैं। ये लगातार चौथा महीना है जब महंगाई दर RBI की 6 फीसदी की ऊपरी लिमिट के पार रही है। इस साल जनवरी में रिटेल महंगाई दर 6.01 फीसदी, फरवरी में 6.07 फीसदी और मार्च में 6.95 परसेंट दर्ज की गई थी। एक साल पहले यानी अप्रैल 2021 में रिटेल महंगाई दर 4.23 प्रतिशत थी। महंगाई में हुई इस बढ़ोतरी का ही असर था कि आरबीआई को जून की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक से पहले ही अचानक इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट में बढ़ोतरी को मजबूर होना पड़ा। इससे पहले ही अप्रैल में हुई MPC की पहली बैठक के बाद RBI ने महंगाई दर के अनुमान में बढ़ोतरी कर दी थी। RBI के नए अनुमानों के मुताबिक पहली तिमाही में रिटेल महंगाई दर 6.3 फीसदी रह सकती है। जबकि दूसरी तिमाही में ये घटकर 5 परसेंट पर आ सकती है। वहीं तीसरी तिमाही में महंगाई दर फिर से बढ़कर 5.4 फीसदी पर जा सकती है और चौथी तिमाही में रिटेल महंगाई दर घटकर 5.1 परसेंट हो सकती है। इसके बाद हुई इमरजेंसी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में महंगाई की चिंताओं के चलते ब्याज दरों को 0.40 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया गया था। महंगाई को रोकने के लिए RBI के पास ब्याज दरों को बढ़ाने के अलावा कोई खास कारगर हथियार नहीं है। लेकिन ब्याज दरों में बढ़ोतरी से महंगाई पर कितना असर होगा… ये तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता पर इतना तय है कि इससे ग्रोथ पर असर होगा।