AIN NEWS 1: क्या बांग्लादेश धीरे-धीरे उसी रास्ते पर बढ़ रहा है, जिस पर कभी पाकिस्तान चला था? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि हाल के दिनों में वहां जिस तरह की राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और भारत-विरोधी गतिविधियां देखने को मिल रही हैं, उसने नई दिल्ली की चिंता साफ तौर पर बढ़ा दी है।
भारत-विरोधी बयान देने वाले कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भड़की हिंसा ने हालात को और गंभीर बना दिया है। ढाका समेत कई बड़े शहरों में प्रदर्शन, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। अखबारों के दफ्तरों को निशाना बनाया गया, सत्तारूढ़ अवामी लीग के कार्यालयों पर हमले हुए और भारतीय उच्चायोग के बाहर उग्र भीड़ जुटाई गई। यह सब संकेत दे रहा है कि बांग्लादेश में हालात सिर्फ आंतरिक राजनीति तक सीमित नहीं रह गए हैं।
शरीफ उस्मान हादी की मौत और हिंसा की चिंगारी
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश में अपने कट्टर और भारत-विरोधी बयानों के लिए जाना जाता था। उसकी मौत के बाद समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए। शुरुआती तौर पर इसे एक सीमित घटना माना गया, लेकिन जल्द ही यह साफ हो गया कि यह गुस्सा सिर्फ एक व्यक्ति की मौत तक सीमित नहीं है।
प्रदर्शनकारियों ने मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया, सरकारी इमारतों पर हमले किए और सत्ता के खिलाफ नारेबाजी की। इससे यह संदेश गया कि कट्टरपंथी संगठनों का नेटवर्क अब सिर्फ धार्मिक प्रचार तक सीमित नहीं, बल्कि वे राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की क्षमता भी रखते हैं।
राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर होती व्यवस्था
बांग्लादेश पहले से ही राजनीतिक तनाव के दौर से गुजर रहा है। विपक्ष और सरकार के बीच टकराव, चुनावों को लेकर विवाद और सड़कों पर लगातार प्रदर्शन—इन सबने देश की आंतरिक व्यवस्था को कमजोर किया है। ऐसे माहौल में कट्टरपंथी संगठन तेजी से अपने पांव पसारते हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जब राज्य की पकड़ कमजोर होती है, तब चरमपंथी ताकतें खुद को “विकल्प” के रूप में पेश करने लगती हैं। बांग्लादेश में भी यही स्थिति बनती दिख रही है, जहां कुछ संगठन खुद को मजहबी पहचान और राष्ट्रवाद के नाम पर मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत के लिए क्यों बढ़ी चिंता?
भारत और बांग्लादेश की सीमा लंबी और संवेदनशील है। पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य बांग्लादेश से सटे हुए हैं। अगर वहां कट्टरपंथी गतिविधियां बढ़ती हैं, तो उसका सीधा असर भारत की आंतरिक सुरक्षा पर पड़ सकता है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि बांग्लादेश में सक्रिय कुछ कट्टरपंथी गुटों के संपर्क पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से रहे हैं। खासतौर पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के नाम सामने आते रहे हैं। यह वही संगठन हैं, जिन्होंने अतीत में भारत के खिलाफ कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दिया है।
पाकिस्तान मॉडल की आशंका
भारत के रणनीतिक विश्लेषकों को डर है कि कहीं बांग्लादेश “पाकिस्तान मॉडल” की ओर तो नहीं बढ़ रहा—जहां कट्टरपंथी संगठनों को पहले नजरअंदाज किया गया और बाद में वही संगठन राज्य के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गए।
पाकिस्तान में एक समय पर आतंकी गुटों को रणनीतिक संपत्ति समझा गया, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने ही देश की स्थिरता को नुकसान पहुंचाया। भारत नहीं चाहता कि बांग्लादेश भी उसी गलती को दोहराए, क्योंकि इसका असर सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेगा।
भारतीय उच्चायोग पर घिराव: गंभीर संकेत
ढाका में भारतीय उच्चायोग के बाहर जिस तरह से प्रदर्शन और घिराव किया गया, वह कूटनीतिक दृष्टि से बेहद गंभीर मामला है। किसी भी देश के दूतावास को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
यह घटना इस बात का संकेत है कि भारत-विरोधी भावना को जानबूझकर भड़काया जा रहा है। इससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है, जबकि पिछले कुछ वर्षों में भारत-बांग्लादेश संबंधों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला था।
सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता
भारतीय खुफिया एजेंसियां बांग्लादेश की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा बढ़ाई जा रही है और सीमा पार से होने वाली गतिविधियों पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
एजेंसियों का मानना है कि अगर समय रहते इन कट्टरपंथी नेटवर्क पर लगाम नहीं लगाई गई, तो ये संगठन भारत के लिए लश्कर-जैश जैसा ही सिरदर्द बन सकते हैं—खासतौर पर पूर्वी भारत में।
आगे की राह क्या?
बांग्लादेश के लिए यह समय बेहद अहम है। अगर वहां की सरकार और संस्थाएं समय रहते सख्त कदम उठाती हैं, तो हालात को संभाला जा सकता है। भारत भी चाहता है कि उसका पड़ोसी देश स्थिर, सुरक्षित और लोकतांत्रिक बना रहे।
भारत-बांग्लादेश के रिश्ते सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं हैं; यह सुरक्षा, व्यापार, संस्कृति और क्षेत्रीय स्थिरता से जुड़े हुए हैं। इसलिए बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ सिर्फ एक देश की समस्या नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए चेतावनी
Bangladesh is witnessing rising political instability and extremist violence after the death of radical leader Sharif Usman Hadi, raising serious concerns for India’s security. Indian intelligence agencies warn that Islamist groups in Bangladesh may be developing links with Pakistan-based terror organizations such as Lashkar-e-Taiba and Jaish-e-Mohammed. These developments could threaten regional stability, impact India-Bangladesh relations, and create new security challenges for eastern India.



















