मनरेगा पर सोनिया गांधी का केंद्र सरकार पर तीखा हमला, बोलीं – गरीबों की जीवनरेखा को कमजोर किया जा रहा है!

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AIN NEWS 1: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। इस बार उनका निशाना देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा (MGNREGA) रही। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक से अधिक समय में केंद्र सरकार ने मनरेगा को लगातार कमजोर करने का काम किया है, जबकि यह योजना करोड़ों गरीब और वंचित परिवारों के लिए जीवन रेखा साबित हुई है।

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मनरेगा की शुरुआत और ऐतिहासिक महत्व

सोनिया गांधी ने याद दिलाया कि मनरेगा कानून करीब 20 साल पहले संसद में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे और यह कानून सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना गया। मनरेगा ने पहली बार देश के ग्रामीण नागरिकों को रोजगार का कानूनी अधिकार दिया।

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के लिए आत्मसम्मान और सुरक्षा का प्रतीक था। इस कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया गया, जिससे गरीब तबके को अपने गांव में ही काम मिला।

पलायन पर लगा ब्रेक, गांवों को मिला सहारा

सोनिया गांधी के अनुसार, मनरेगा ने गांवों से शहरों की ओर हो रहे मजबूरन पलायन को काफी हद तक रोका। पहले रोजगार की तलाश में लोग बड़े शहरों की झुग्गियों में रहने को मजबूर होते थे, लेकिन मनरेगा ने उन्हें अपने गांव में ही सम्मानजनक काम दिया।

उन्होंने कहा कि इस योजना का सबसे अधिक लाभ गरीब, दलित, आदिवासी, महिलाएं और अतिगरीब परिवारों को मिला। मनरेगा के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली और ग्राम पंचायतों की भूमिका भी पहले से ज्यादा सशक्त हुई।

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गांधी के ग्राम स्वराज की दिशा में कदम

सोनिया गांधी ने मनरेगा को महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने से जोड़ते हुए कहा कि यह योजना आत्मनिर्भर गांवों की नींव थी। गांवों में जल संरक्षण, सड़क निर्माण, तालाब खुदाई और अन्य सार्वजनिक कार्यों से न केवल रोजगार पैदा हुआ, बल्कि स्थायी विकास को भी बढ़ावा मिला।

उनका कहना था कि मनरेगा ने गांवों में लोकतंत्र को मजबूत किया और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को गति दी।

मोदी सरकार पर गंभीर आरोप

सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने मनरेगा को कमजोर करने की लगातार कोशिश की है। कभी बजट में कटौती की गई, तो कभी भुगतान में देरी की गई। कई बार मजदूरी समय पर नहीं मिलने से गरीब मजदूरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया ऐसा रहा है, जैसे मनरेगा कोई बोझ हो, जबकि सच्चाई यह है कि यह योजना देश के सबसे कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा कवच है।

कोविड काल में मनरेगा बना संजीवनी

सोनिया गांधी ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि जब पूरा देश लॉकडाउन में बंद था और करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए थे, तब मनरेगा ही गरीबों के लिए संजीवनी साबित हुआ।

लाखों प्रवासी मजदूर जब अपने गांव लौटे, तो मनरेगा ने उन्हें तत्काल रोजगार और आय का साधन दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस योजना ने संकट के समय देश को संभाला, उसी को आज कमजोर क्यों किया जा रहा है?

‘बिना चर्चा के बदला गया स्वरूप’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि हाल ही में सरकार ने मनरेगा के स्वरूप में बड़े बदलाव कर दिए, वह भी बिना किसी व्यापक चर्चा के। न संसद में गंभीर बहस हुई, न विपक्ष को विश्वास में लिया गया और न ही राज्यों से कोई सार्थक सलाह-मशविरा किया गया।

सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र में इतनी बड़ी योजना में बदलाव से पहले सभी हितधारकों की राय लेना जरूरी होता है, लेकिन सरकार ने मनमाने फैसले लिए।

महात्मा गांधी का नाम हटाने पर सवाल

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाकर इसकी आत्मा पर हमला किया है। सोनिया गांधी ने कहा कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि उस विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश है, जो गरीबों और मेहनतकशों के अधिकारों की बात करती है।

उनका कहना था कि मनरेगा महात्मा गांधी के नाम से जुड़ा होने के कारण लोगों में विश्वास और अपनापन पैदा करता था।

कांग्रेस का रुख साफ

सोनिया गांधी ने साफ कहा कि कांग्रेस पार्टी मनरेगा के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ का विरोध करती रहेगी। पार्टी गरीबों, मजदूरों और ग्रामीण भारत के अधिकारों की रक्षा के लिए संसद से सड़क तक आवाज उठाएगी।

उन्होंने सरकार से अपील की कि मनरेगा को कमजोर करने के बजाय इसे और मजबूत किया जाए, बजट बढ़ाया जाए और मजदूरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

सोनिया गांधी का यह बयान ऐसे समय आया है जब मनरेगा को लेकर देशभर में बहस तेज है। एक तरफ सरकार इसे सुधार का नाम दे रही है, वहीं विपक्ष इसे गरीब विरोधी कदम बता रहा है। आने वाले समय में मनरेगा को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस और गहराने की संभावना है।

Sonia Gandhi has criticized the Modi government over changes in MGNREGA, India’s flagship rural employment scheme. She said MGNREGA, introduced during Manmohan Singh’s tenure, provided legal employment rights to rural poor and helped prevent migration. According to Congress, weakening MGNREGA affects millions of vulnerable families who depend on rural employment for survival.

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