AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहरी इलाकों में घर और जमीन खरीदने की राह को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। राज्य सरकार ने विकास प्राधिकरणों के तहत आने वाले फ्लैट और प्लॉट के ट्रांसफर चार्ज (हस्तांतरण शुल्क) में भारी कटौती करने का निर्णय किया है। इस फैसले का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा जो किसी आवंटित संपत्ति को अपने नाम या किसी अन्य के नाम करवाना चाहते हैं।
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अब तक लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA), कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA), गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा जैसे कई शहरी विकास प्राधिकरणों में ट्रांसफर चार्ज काफी ज्यादा था। इसकी वजह से कई लोग संपत्ति खरीदने के बावजूद नामांतरण (म्यूटेशन) कराने से बचते थे या सौदा ही टाल देते थे। सरकार के नए फैसले के बाद यह बोझ काफी हद तक कम होने वाला है।
क्या होता है ट्रांसफर चार्ज और क्यों है यह अहम?
जब कोई फ्लैट या प्लॉट किसी व्यक्ति के नाम से दूसरे व्यक्ति के नाम किया जाता है, तो विकास प्राधिकरण की ओर से एक निश्चित शुल्क लिया जाता है। इसे ही ट्रांसफर चार्ज या हस्तांतरण शुल्क कहा जाता है। यह शुल्क आमतौर पर संपत्ति की कुल कीमत या आवंटन मूल्य का एक तय प्रतिशत होता है।
अब तक यह शुल्क कई मामलों में इतना अधिक था कि मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह एक बड़ी परेशानी बन जाता था। खासकर वे लोग, जो पहली बार घर खरीदने का सपना देख रहे होते हैं, उनके लिए यह अतिरिक्त खर्च चिंता का कारण बनता था।
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योगी सरकार के फैसले से क्या बदलेगा?
योगी सरकार के इस फैसले से सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि अब फ्लैट और प्लॉट का ट्रांसफर सस्ता हो जाएगा। यानी अगर कोई व्यक्ति किसी आवंटित संपत्ति को खरीदता है या परिवार के किसी सदस्य के नाम ट्रांसफर कराना चाहता है, तो उसे पहले के मुकाबले कम शुल्क देना पड़ेगा।
इससे न केवल लेनदेन आसान होगा, बल्कि लोग बिना झिझक अपने दस्तावेज पूरे कराएंगे। इससे सरकारी रिकॉर्ड भी ज्यादा पारदर्शी और अपडेट रहेंगे।
मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा
यह फैसला खासतौर पर मध्यम वर्ग के लिए राहत लेकर आया है। नौकरीपेशा लोग, छोटे व्यापारी और रिटायर्ड व्यक्ति अक्सर सीमित बजट में घर खरीदते हैं। पहले ट्रांसफर चार्ज, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन जैसी लागतें उनके बजट को बिगाड़ देती थीं।
अब ट्रांसफर शुल्क कम होने से कुल खर्च घटेगा और लोगों का अपने घर का सपना पहले से ज्यादा आसान हो जाएगा।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगी रफ्तार
सरकार के इस कदम से रियल एस्टेट सेक्टर में भी नई जान आने की उम्मीद है। लंबे समय से कई शहरों में फ्लैट और प्लॉट की री-सेल अटकी हुई थी, क्योंकि खरीदार ट्रांसफर खर्च से डरते थे।
अब जब ट्रांसफर चार्ज कम होगा, तो सेकेंडरी मार्केट में खरीद-बिक्री बढ़ेगी। इससे बिल्डर्स, प्रॉपर्टी डीलर्स और इससे जुड़े अन्य व्यवसायों को भी फायदा होगा।
शहरी विकास को मिलेगा बढ़ावा
जब संपत्तियों का कानूनी ट्रांसफर आसानी से होगा, तो शहरी विकास प्राधिकरणों की आय भी नियमित रूप से आएगी। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क, सीवर, पानी और अन्य सुविधाओं के विकास में मदद मिलेगी।
सरकार का मानना है कि शुल्क कम करने से भले ही प्रति ट्रांजैक्शन कम राशि मिले, लेकिन ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़ने से कुल राजस्व पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा भी बढ़ेगी
अक्सर ज्यादा शुल्क के कारण लोग बिना ट्रांसफर कराए ही संपत्ति का इस्तेमाल करने लगते हैं, जिससे भविष्य में कानूनी विवाद पैदा होते हैं। ट्रांसफर चार्ज कम होने से लोग नियमों के तहत संपत्ति अपने नाम कराएंगे।
इससे न केवल खरीदार को कानूनी सुरक्षा मिलेगी, बल्कि सरकार के रिकॉर्ड भी सही और अपडेट रहेंगे।
योगी सरकार का स्पष्ट संदेश
इस फैसले से योगी सरकार ने यह साफ संकेत दिया है कि वह आवास को आम लोगों के लिए सुलभ बनाना चाहती है। सरकार की नीति साफ है—शहरीकरण को व्यवस्थित करना, रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती देना और आम नागरिक को राहत देना।
आने वाले समय में क्या उम्मीद की जाए?
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में सरकार स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन और अन्य चार्जेस को लेकर भी और सुधार कर सकती है। अगर ऐसा होता है, तो उत्तर प्रदेश देश के उन राज्यों में शामिल हो सकता है, जहां घर खरीदना सबसे ज्यादा किफायती होगा।
The Yogi Adityanath-led Uttar Pradesh government has reduced property transfer charges on flats and plots allotted by development authorities such as LDA and KDA. This decision brings major relief to home buyers, makes property transactions more affordable, boosts the real estate sector in UP, and supports the government’s affordable housing vision while encouraging transparent and legal property transfers.



















