AIN NEWS 1: हरियाणा की राजनीति में बीते दिनों उस समय हलचल मच गई, जब जननायक जनता पार्टी (JJP) के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह चौटाला समेत पार्टी के कई नेताओं की सरकारी सुरक्षा वापस ले ली गई। इस फैसले के बाद जजपा ने सैनी सरकार और हरियाणा पुलिस के शीर्ष अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए और इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया।
सुरक्षा हटने के मुद्दे ने देखते ही देखते राजनीतिक रंग ले लिया। जजपा नेताओं ने सरकार और पुलिस प्रशासन पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं को जानबूझकर असुरक्षित किया जा रहा है। इस पूरे विवाद पर अब हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह ने सार्वजनिक रूप से अपनी प्रतिक्रिया दी है, जो न केवल सख्त है बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी देती है।
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🔒 सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं: DGP ओपी सिंह
हरियाणा DGP ओपी सिंह ने इस पूरे मामले पर दो टूक शब्दों में कहा कि सुरक्षा देना या वापस लेना कोई तमाशा नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि पुलिस सुरक्षा किसी की शान, रुतबा या राजनीतिक पहचान दिखाने का साधन नहीं हो सकती।
ओपी सिंह ने कहा कि जो लोग केवल “शौकिया” अपने पीछे पुलिस फोर्स को घुमाना चाहते हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि अब ऐसा नहीं चलेगा। पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था केवल उन्हीं लोगों को दी जाती है, जिनके लिए वास्तविक और ठोस सुरक्षा खतरा होता है।
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🛑 “खतरे का आकलन ही आधार”
DGP ने स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति की सुरक्षा एक थ्रेट परसेप्शन (सुरक्षा खतरे के आकलन) के आधार पर तय की जाती है। यह आकलन खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट, जमीनी इनपुट और हालिया घटनाओं को ध्यान में रखकर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि समय-समय पर सभी सुरक्षा मामलों की समीक्षा होती है और अगर किसी व्यक्ति के लिए खतरा कम या समाप्त हो जाता है, तो उसकी सुरक्षा हटाना एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है। इसे राजनीतिक चश्मे से देखना गलत है।
💸 खर्च भी वसूला जाएगा
DGP ओपी सिंह का बयान यहीं नहीं रुका। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को पहले बिना ठोस खतरे के सुरक्षा दी गई थी और जो अब यह साबित नहीं कर पा रहे कि उन्हें वास्तविक खतरा है, उनसे सरकारी सुरक्षा पर हुए खर्च की वसूली भी की जा सकती है।
उनका कहना था कि पुलिस बल जनता की सेवा के लिए है और सीमित संसाधनों का दुरुपयोग किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुरक्षा व्यवस्था पर सरकार का लाखों रुपये खर्च होता है, और यह पैसा आम जनता के टैक्स से आता है।
🏛️ जजपा का आरोप और सियासी प्रतिक्रिया
जजपा नेताओं का आरोप है कि उनकी पार्टी के नेताओं की सुरक्षा हटाकर उन्हें डराने और दबाने की कोशिश की जा रही है। पार्टी का कहना है कि यह फैसला चुनावी माहौल और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए लिया गया है।
हालांकि, DGP के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि पुलिस प्रशासन इस मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक दबाव में आने को तैयार नहीं है। पुलिस का रुख पूरी तरह पेशेवर और नियमों के अनुसार बताया जा रहा है।
⚖️ कानून-व्यवस्था सर्वोपरि
हरियाणा पुलिस प्रमुख ने यह भी कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी पहली प्राथमिकता है। अगर पुलिस बल को ऐसे लोगों की सुरक्षा में लगाया जाएगा, जिन्हें वास्तव में कोई खतरा नहीं है, तो इससे आम जनता की सुरक्षा प्रभावित होगी।
उन्होंने यह संदेश भी दिया कि भविष्य में सुरक्षा देने और हटाने की प्रक्रिया और ज्यादा सख्त, पारदर्शी और तथ्य-आधारित होगी।
🔍 बड़ा संदेश क्या है?
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ संकेत मिलता है कि हरियाणा में अब VVIP कल्चर को सीमित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन यह दिखाना चाहता है कि सुरक्षा केवल अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और आवश्यकता पर आधारित व्यवस्था है।
यह मामला सिर्फ जजपा या किसी एक नेता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य में सभी राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए एक नजीर बन सकता है।
Haryana DGP OP Singh has made it clear that police protection is not a status symbol after the withdrawal of security cover from Digvijay Singh Chautala and several JJP leaders. The Haryana Police stated that security decisions are based on threat perception and law and order requirements, not political pressure. The controversy has sparked a major debate in Haryana politics over VIP security, public resources, and accountability.



















