AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के चरखारी कस्बे से एक ऐसी प्रेम कहानी सामने आई है, जिसने समाज की पारंपरिक सोच को चुनौती दी है। यहां दो सहेलियों के बीच पनपा प्यार अब एक कानूनी रिश्ते में बदल चुका है। तीन साल तक साथ निभाने का वादा निभाने के बाद, दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली और अब पति-पत्नी की तरह एक साथ रह रही हैं।
इस अनोखी प्रेम कहानी की नायिका हैं महोबा की रहने वाली हेमा और मध्य प्रदेश की पूजा। रिश्ते में हेमा ने ‘दूल्हे’ की भूमिका निभाई है, जबकि पूजा ‘पत्नी’ बनकर उनके घर आई हैं। खास बात यह है कि इस रिश्ते को न सिर्फ कानूनन मान्यता मिली है, बल्कि दोनों के परिवारों ने भी इसे खुले दिल से स्वीकार किया है।
कैसे शुरू हुई दोस्ती, फिर प्यार में बदली कहानी
हेमा और पूजा की मुलाकात करीब तीन साल पहले हुई थी। दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे गहरी होती चली गई। बातचीत, साथ बिताया वक्त और एक-दूसरे की समझ ने इस दोस्ती को प्यार में बदल दिया। शुरुआत में दोनों ने अपने जज़्बातों को शब्दों में नहीं ढाला, लेकिन समय के साथ यह रिश्ता मजबूत होता चला गया।
समाज और परिवार की प्रतिक्रिया को लेकर दोनों के मन में डर भी था। वे जानती थीं कि उनका रिश्ता आम सोच से अलग है। इसके बावजूद, उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और अपने रिश्ते को ईमानदारी से निभाती रहीं।
कोर्ट मैरिज का फैसला: जब प्यार बना सबसे बड़ा सहारा
तीन साल तक रिश्ते में रहने के बाद हेमा और पूजा ने फैसला किया कि वे अपने प्यार को कानूनी पहचान देंगी। दोनों ने आपसी सहमति से कोर्ट मैरिज करने का निर्णय लिया। यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन उनके लिए यह जरूरी था कि वे सम्मान और सुरक्षा के साथ एक साथ रह सकें।
कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोनों अब एक परिवार की तरह साथ रह रही हैं। हेमा ने पारंपरिक तौर पर घर में ‘दूल्हे’ की भूमिका निभाई और पूजा को ‘पत्नी’ के रूप में अपने साथ घर ले आईं।
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परिवार का साथ बना सबसे बड़ी ताकत
अक्सर ऐसे रिश्तों में परिवार का विरोध देखने को मिलता है, लेकिन इस कहानी में तस्वीर कुछ अलग है। हेमा और पूजा के परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया है। घर में पूजा की ‘मुंह दिखाई’ की रस्म तक निभाई गई, जो इस बात का संकेत है कि परिवार ने उन्हें बहू के रूप में अपनाया है।
परिवार के समर्थन ने दोनों को भावनात्मक मजबूती दी है। उनके लिए यह स्वीकार्यता किसी जीत से कम नहीं है। यह उदाहरण दिखाता है कि अगर परिवार साथ दे, तो समाज की कई दीवारें अपने आप गिर जाती हैं।
समाज की सोच को मिली नई चुनौती
महोबा जैसे छोटे शहर में इस तरह की शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ लोग इसे साहसिक कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे सामाजिक बदलाव की शुरुआत मान रहे हैं। हालांकि अभी भी समाज का एक वर्ग ऐसे रिश्तों को समझने में हिचकिचाता है, लेकिन हेमा और पूजा की कहानी उन लोगों के लिए एक संदेश है, जो अपनी पहचान और प्यार को लेकर डर में जीते हैं।
यह मामला दिखाता है कि प्यार किसी जेंडर का मोहताज नहीं होता। दो वयस्कों की सहमति और सम्मान ही किसी रिश्ते की असली नींव होती है।
कानूनी पहलू और वर्तमान स्थिति
भारत में समलैंगिक रिश्तों को लेकर कानून और समाज दोनों ही बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। भले ही समान-लैंगिक विवाह को अभी पूर्ण कानूनी मान्यता न मिली हो, लेकिन कोर्ट मैरिज और साथ रहने का अधिकार ऐसे जोड़ों को सुरक्षा देता है।
हेमा और पूजा ने कानून के दायरे में रहकर अपना फैसला लिया है। यह उनके आत्मविश्वास और जागरूकता को दर्शाता है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
यह कहानी सिर्फ दो लोगों के प्यार की नहीं है, बल्कि यह उन हजारों लोगों की आवाज़ है, जो समाज के डर से अपने जज़्बात छुपाकर जीते हैं। हेमा और पूजा ने यह साबित कर दिया कि ईमानदारी और हिम्मत के साथ लिया गया फैसला जिंदगी को नई दिशा दे सकता है।
महोबा की यह प्रेम कहानी बताती है कि बदलाव छोटे कस्बों से भी शुरू हो सकता है। हेमा और पूजा ने न सिर्फ अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक नई राह दिखाई है। यह रिश्ता इस बात का सबूत है कि जब प्यार सच्चा हो और परिवार का साथ मिले, तो हर बेड़ी टूट सकती है।
A unique same sex marriage story from Mahoba, Uttar Pradesh, is gaining attention across India. Hema from Mahoba and Pooja from Madhya Pradesh solemnized their relationship through a court marriage after being in a committed relationship for three years. Defying traditional norms, the lesbian couple is now living together with the acceptance and support of their family. This court marriage highlights changing social attitudes toward LGBTQ relationships in India and reflects a growing acceptance of love beyond gender boundaries.



















