Sunday, December 22, 2024

बुजुर्ग दंपति ने लिखा: बेटे के पास है 30 करोड़ की संपत्ति, पोता है IAS… मगर दादा-दादी को नहीं दे पाए खाना, रुला देगा यह सुसाइड नोट!

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AIN NEWS 1: आज हम आपको एक ऐसी सच्चाई से अवगत कराने जा रहे हैं। जिसे पढ़कर आपकी भी आंखों में आंसू आ जाएंगे। यह उस बुजुर्ग की चिट्ठी का हिस्सा है जो उसने आत्महत्या से पहले लिखा।

“मैं जगदीश चंद्र आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं. मेरे बेटे के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उसके पास मुझे देने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं हैं. मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था. 6 साल पहले उसकी मौत हो गई. कुछ दिन उसकी पत्नी ने साथ रखा, लेकिन बाद में उसने गलत काम करना शुरू कर दिया. मैंने विरोध किया तो पीटकर घर से निकाल दिया.”

यह एक आईएएस अधिकारी के दादा-दादी के सुसाइड नोट में लिखे कुछ शब्द हैं. इसे लिखने के बाद ही इस दंपति ने साथ मिलकर जहर खा अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. उन्होने पहले पुलिस कंट्रोल रुम को फोन कर जहर खाने की बात कही थी. पुलिस जब दंपति के पास पहुंची तो दंपति ने एक लेटर पुलिस को थमा दिया था. उनकी हालत ज्यादा बिगड़ता देख पुलिस ने दोनों को ही अस्पताल में भर्ती कराया. जहां इलाज के दौरान ही दोनों की मौत हो गई. पुलिस ने अब इस मामले में चार लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की है.

दरअसल, यह मामला हरियाणा के चरखी-दादरी के बाढ़ड़ा की एक शिव कॉलोनी का है. मूल रूप से तो गोपी इलाके के ही रहने वाले 78 साल के जगदीश चंद्र आर्य और 77 साल की भागली देवी ने सल्फास की गोलियां खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. मृतक बुजुर्ग दंपति चरखी दादरी में एक आईएएस (IAS) विवेक आर्य के ही दादा-दादी थे. और विवेक के पिता का नाम वीरेंद्र है. विवेक को 2021 में आईएएस अधिकारी चुने गए. और उन्हें हरियाणा कैडर मिला था और वह इस समय एक अंडर ट्रेनी हैं.बताया तो यह गया कि 29 मार्च की रात को ही जगदीश चंद्र और उनकी पत्नी ने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। और फिर पुलिस कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी भी दी थी. जब मौके पर पहुंची पुलिस टीम तो टीम को दंपति ने अपना सुसाइड नोट सौंपा था. इनकी हालत काफ़ी बिगड़ती देख पुलिस ने दंपति को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था. इसके बाद गंभीर हालत होते के चलते बुजुर्ग दंपति को दादरी सिविल अस्पताल में रेफर कर दिया गया था. यहां पर उपचार के दौरान ही दोनों को मौत हो गई.

उन्हे खाने को देते थे बासी खाना: पीड़ित बुजुर्ग

नोट में जगदीश चंद्र आर्य ने आगे साफ़ साफ़ लिखा की, ”घर से निकाले जाने के बाद मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा. फिर वापस आया तो उन्होंने मकान को ताला लगा दिया. इस दौरान मेरी पत्नी लकवा का शिकार हो गई और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे. कुछ दिन बाद दूसरे बेटे ने भी साथ रखने से मना कर दिया और मुझे बासी खाना देना शुरू कर दिया है. ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली. मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधू, एक बेटा और एक भतीजा है. जितने जुल्म उन चारों ने मेरे ऊपर किए, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करे.”

उन्होने आगे लिखा आर्य समाज को दी जाए संपत्ति: जगदीश चंद्र आर्य

जगदीश चंद्र आर्य नोट में लिखा है कि मेरी बात सुनने वालों से मेरी प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए. सरकार और समाज इनको दंड दे. तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी. बैंक में मेरी दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है, वो आर्य समाज बाढ़ड़ा को दे दी जाएं.

इस पर बेटे ने कहा बीमारी के कारण माता-पिता ने किया सुसाइड

इस मामले में मृतक के बेटे वीरेंद्र ने भी बताया कि जहर खाने की सूचना पर पुलिस वहा मौके पर पहुंच गई थी. उम्र के इस पड़ाव में दोनों बीमारी के चलते काफ़ी परेशान थे. इस कारण उन्होंने यह कठौर कदम उठाया है.

इस मामले में यह है पुलिस का कहना

मामले में डीएसपी वीरेंद्र श्योराण ने बताया कि जगदीश चंद्र ने पुलिस को वहा पहुंचने पर एक पत्र दिया था. इसे ही उनका सुसाइड नोट माना जा सकता है. मृतकों ने परिवार के लोगों पर परेशान करने का गम्भीर आरोप लगाते हुए जहर खाकर आत्महत्या की है. वहीं इन, मृतक का पोता आईएएस है और फिलहाल वह एक ट्रेनी है. पुलिस ने इस संबंध में दोनों बहू, बेटा वीरेंद्र और भतीज के खिलाफ भी केस दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू कर दी है.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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