AIN NEWS 1 अहमदाबाद: देश के गुजरात में द्वारका शहर के समुद्र के किनारे एक बहुत बड़ा मेगा डिमोलेशन ड्राइव चल रही है। सरकार के बुल्डोजर वहा बने बड़े, छोटे, साधारण आलीशान घरों को भी तोड़ रहे हैं। इन इमारतों पर यह लोहे का पंजा लगाने से पहले पूरी की पूरी बस्तियों को ही यहां मानवरहित कर दिया गया है। जान ले बहुत दिनों से सोशल मीडिया और दूसरे चैनल्स से ये खबर आ रही थी कि कृष्ण की नगरी द्वारका से हिन्दू कही चले गए हैं। कृष्ण की द्वारका में केवल मुस्लिम ही बस गए हैं। सीमा से लगे समुद्री किनारों पर बहुत ज्यादा तेजी से ये बस्तियां बसायी जा रही है।

यहां सैकड़ों मकानों पर ही चला बुलडोजर

समुद्री किनारे पर बस रही ये बस्तियों की खबर सरकार को जब भी मिली। उन्होंने इसकी पूरी जांच करवाई तो पता चला कि इन बस्तियों और गुजरात में जगह जगह पकड़े जा रहे ड्रग्स के बीच में एक गेहरा कनेक्शन है। इसके बाद तो सरकार ने अपने खुफिया तंत्र को और ज्यादा मजबूत किया और यहां से सूचनाएं आई। जब ये सूचनाएं पूरी तरह से पुख्ता हो गईं तो सरकार ने यहां रातों रात कृष्ण की द्वारका में अपने बुलडोजर उतार दिए। और चारो ओर हल्ला मचा कि सरकार मुसलमानों को यहां मिटा रही है और यह केस कोर्ट में भी गया। और कोर्ट ने इसपर कहा कि सरकार बिलकुल सही है। हिन्दू धार्मिक स्थलों के इर्द-गिर्द राष्ट्रीय सुरक्षा की स्ट्रेटजिक लोकेशन पर समुद्र के तट पर अवैध कब्जा देश के लिए काफ़ी ज्यादा घातक है। बता दें कि हिन्दू आस्था में पूरा द्वापर युग कृष्ण का है। इस मान्यता के मुताबिक 5000 साल पहले गुजरात की द्वारका में केवल कृष्ण का शासन था। और यहां वो मथुरा से आए थे। धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक जरासंध नाम का राजा इस मथुरा पर बार बार हमला करता था। इस हिंसा से ही मथुरा की रक्षा के लिए कृष्ण ने समुद्र के बीच बसी इस नगरी को अपनी राजधानी बनाया और वह वहीं रहने लगे।

यहां पहले 90% केवल हिन्दू थे और अब यहां 80% मुस्लिम

भारत पर विदेशी आक्रमण के पहले से ही ये शहर काफ़ी संपन्नता और संस्कृति में भी बहुत सम्मानीय रहा है। कृष्ण की वजह से यह धर्म का एक बड़ा केन्द्र भी रहा है। और यहां की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू ही रही है लेकिन पिछले दो दशक में ही यहां डेमोग्राफी काफ़ी बदल गई है। जहां पहले 90% हिन्दू थे और अब बेट द्वारका में लगभग 80% मुस्लिम हैं।

लोगों का यह एक बड़ा सवाल है कि बेट द्वारका में हिन्दू अल्पसंख्यक आखिर कैसे हो गए?

कृष्ण की राजधानी में मुस्लिम बहुसंख्यक आख़िर कैसे हो गए। बेट द्वारका में मुस्लिम जनसंख्या का बदलाव एक बड़ी चर्चा है। ये केवल यहीं तक ही सीमित नहीं है। गुजरात की समुद्री सीमा से सटे इलाके में मुस्लिम जनसंख्या में काफ़ी ज्यादा वृद्धि को गंभीरता से लिया गया है। इसके पीछे भी कई कारण हैं.

1.इस दरियाई अतिक्रमण एरिया मे ड्रग्स बिजनेस

2.समुद्र किनारे हो रहे अतिक्रमण से नेवी के लिए खतरा

3.पाकिस्तान के करीब अवैध बस्ती में गुनाह

4.सरकारी जमीन पर इतना ज्यादा अतिक्रमण

5.समुद्री तूफान के डैंजर जोन मे यह आबादी

6.बेट के द्वारका में अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक हो गए?

इस डिमोलेशन के बीच बचे हुए हिन्दू धार्मिक स्थान पर मुस्लिम पक्ष भी काफ़ी सवाल उठा रहा है लेकिन हिन्दू पक्षकारों का साफ़ साफ़ दावा है कि ये मंदिर अपने स्थान पर सदियों से यू ही कायम हैं। इनकी जगह जरूर बदली है लेकिन स्थान वही पुराना है। दूसरी ओर डिमोलेशन में घर खोने वाले अदालत में अपनी मिलकियत भी साबित नहीं कर पाए। समुद्री किनारों पर बड़े पैमाने पर हुए इस अवैध निर्माण जब गिराए गए तो पुलिस और प्रशासन का बार-बार ये दावा रहा है कि जगह तो अवैध थी ही साथ में यहां पर काफ़ी ज्यादा अवैध काम भी हो रहे थे। गुजरात में ड्रग्स के जो भी मामले पकड़े गए उनमें आरोपियों की एक बहुत बड़ी संख्या इन्हीं इलाकों से है जहां पर यह अवैध निर्माण गिराने का काम हुआ है।

यहां पर जो मछली उतारने की जगह थी उसके अगल-बगल किया कब्जा 

गुजराते के गृहमंत्री के मुताबिक इस इलाके में जो भी लोग बसे हैं वो दरअसल मछली पकड़ने और बेचने के ही कारोबार से जुड़े हैं। और मछुआरों की कम्यूनिटी में मुस्लिमों का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। ये आजादी के पहले से ही यहां रहते आए हैं क्योंकि विभाजन से पहले से ही ये हिस्सा और आज का पाकिस्तान काफ़ी जुड़ा हुआ था। लिहाजा गुजरात के समुद्री किनारों में मुस्लिमों की एक अच्छी आबादी है जो मछली की उपलब्धता के हिसाब से अपनी जगह भी बदलते रहते हैं।

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