स्काईमेट ने कमजोर मानसून की आशंका जताई
मौसम विभाग को सामान्य बारिश का अनुमान
किसका अनुमान ज्यादा भरोसेमंद होगा?
AIN NEWS 1: इस बार मानसून के पूर्वानुमान को लेकर 2 दिन में 2 अलग अलग खबरें आई हैं। सोमवार को स्काईमेट ने सामान्य से कम बारिश का अनुमान जाहिर करके सरकार समेत किसानों और आम लोगों की आशंका को बढ़ा दिया। वहीं मंगलवार को भारतीय मौसम विभाग ने सामान्य मानसून की संभावना का अनुमान जताकर लोगों को राहत देने की कोशिश की है।
स्काईमेट ने कमजोर मानसून की आशंका जताई
मौसम का पूर्वानुमान देने वाली प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट के सामान्य से कम मानसून के अनुमान ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, मानसून कम रहने का मतलब है कि पैदावार में कमी होगी, महंगाई बढ़ेगी और ग्रोथ घटेगी। ऐसे में सरकार सतर्क है और उसकी कोशिश है कि रिटेल कीमतों यानी जिस दाम पर लोग खाने पीने का सामान खरीदते हैं उसमें इजाफा ना हो। इसके लिए सरकार एक खास रणनीति पर काम करेगी जिससे फूड आइटम्स के उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं होगा और खाद्य वस्तुओं की सप्लाई जारी रहेगी।
मौसम विभाग को सामान्य बारिश का अनुमान
लेकिन ये करना कोई आसान काम नहीं है क्योंकि देश में 70 फीसदी से ज्यादा किसान सिंचाई के लिए बारिश के भरोसे हैं। ऐसे में उनकी फसल की पैदावार पर मानसून के अच्छे या खराब रहने का असर पड़ता है। जानकारों के मुताबिक खराब मानसून होने पर महंगाई बढ़ने से किसान और आम लोगों की आमदनी प्रभावित होती है। इससे देश की इकॉनमिक ग्रोथ भी कमजोर होती है। अगर स्काईमेट के अनुमान की बात करें तो इस प्राइवेट वेदर फॉरकास्टिंग कंपनी ने कहा है कि लॉन्ग पीरियड एवरेज यानी LPA की 94 फीसदी बारिश हो सकती है। अगर मानसून LPA का 96 से 104 फीसदी होता है तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है। इसी तरह अगर बारिश 90 से 96 फीसदी के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है। जबकि 90 फीसदी से कम बारिश होने पर इसे सूखा कहा जाता है।
उत्तरी और मध्य पर ज्यादा संकट
सबसे ज्यादा असर देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में बारिश की कमी के चलते देखा जा सकता है। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान कम बारिश होने की आशंका है। इस बार के लिए स्काईमेट ने सूखे की 20 परसेंट आशंका जताई है। वहीं सामान्य से ज्यादा यानी 105 से 110 फीसदी बारिश की 15 प्रतिशत संभावना है। जबकि सामान्य बारिश का 25 परसेंट अनुमान है और सामान्य से कम बारिश की 40 परसेंट आशंका है। कमजोर मानसून की आशंका ला नीना की स्थिति खत्म होने और अल नीनो के प्रभावित होने की वजह से है।
किसका अनुमान ज्यादा भरोसेमंद होगा?
वहीं मौसम विभाग ने मंगलवार को देश में मानसून को लेकर नया अपडेट जारी किया है। IMD का अनुमान आम लोगों और किसानों के लिए खुशखबरी लाया है। विभाग के मुताबिक इस बार सामान्य मानसून रहने की उम्मीद है और अल नीनो की स्थिति के बावजूद इसका असर मानसून पर ज्यादा नहीं पड़ेगा।
अल नीनो से खराब नहीं होगा मानसून
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि इस वर्ष सामान्य मानसून का अनुमान है। महापात्र ने कहा है कि अल नीनो के हालात मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है और इसका असर दूसरी छमाही में महसूस किया जा सकता है। उनके मुतबाकि सभी अल नीनो वर्ष खराब मानसून वाले वर्ष नहीं होते हैं। इसलिए इस बार भी मनसून के साथ अल-नीनो का सीधा संबंध नहीं होगा और सामान्य बरसात होगी।
96 फीसदी रहेगा मानसून
मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून से सितंबर तक) के दौरान सामान्य वर्षा देखने को मिलेगी। मानसून इस बार 96 फीसदी (5 फीसदी की त्रुटि मार्जिन के साथ) रहेगा और देश में इस बार 87 सेमी की लंबी अवधि बारिश होगी।
पूर्वी, पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश
आईएमडी के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश देखने को मिलेगी। प्रायद्वीपीय इलाकों के कई भागों यानी पूर्वी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश का अनुमान जताया गया है। दूसरी तरफ दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ भागों, पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने की आशंका है।
अल नीनो क्या होता है?
अल नीनो दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर के पानी का गर्म होना होता है। ये मानसूनी हवाओं के कमजोर होने की वजह बनता है और भारत में कम बारिश से जुड़ा होता है। इससे समंदर का तापमान 5 डिग्री तक बढ़ जाता है और ये दुनिया के मौसम पर प्रभाव डालता है।