AIN NEWS 1 नई दिल्ली : बता दें दादा-परदादा से आपकों विरासत में मिली संपत्ति को ही पुश्तैनी संपत्ति कहा जाता है. और इस पर व्यक्ति की अगली 4 पीढ़ियों का अधिकार होता है. परदादा, दादा, पिता और फिर आप, इस तरह से यह पुश्तैनी संपत्ति के लिए 4 पीढ़ियां इसकी हकदार होती हैं. लेकीन ध्यान रहे कि केवल पिता, दादा या उनके पिता से विरासत में मिली संपत्ति ही आपकी पुश्तैनी मानी जाएगी. अगर आपकी नानी या मां से आपकों विरासत में कुछ संपत्ति के तौर पर मिला है तो वह आपकी पुश्तैनी संपत्ति नहीं होगी.अब बात करते हैं इस पूरे लेख के मुख्य सवाल पर कि आख़िर कितने साल तक आप अपनी पुश्तैनी संपत्ति पर अपना दावा कर सकते हैं. तो बता दें कानून के अनुसार, ऐसा केवल आप 12 वर्ष तक ही कर सकते है. अगर किसी को लगता है कि किसी भी संपत्ति में उसका कोई किसी प्रकार से पैतृक अधिकार है और उसे बिलकुल गलत तरीके से किसी वसीयत से बाहर किया गया है तो वह इसके 12 साल के अंदर कोर्ट में जाकर अपने लिए न्याय मांग सकता है. अगर वह ऐसा करने में ही असफल होता है तो उसका पुश्तैनी संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाएगा. इसके बाद अगर व्यक्ति के पास कोई वाजिब कारण है तभी कोर्ट उसकी इस मामले में सुनवाई करेगा अथवा वह संपत्ति उसके हाथ से निकल ही जाएगी.
जाने क्या छिन सकता है आपका पैतृक संपत्ति में अधिकार
नहीं, ऐसा करना किसी के लिए भी बहुत आसान नहीं है. माता-पिता भी अपनी संतान को केवल अपने द्वारा कमाई हुई संपत्ति से ही बेदखल कर सकते हैं. हालांकि, कुछ समय से कुछ मामले ऐसे भी देखे गए हैं जब कोर्ट ने बच्चे को उसकी पैतृक संपत्ति से भी बेदखल करने की अनुमति दे दी है. परंतु, यह एक अपवाद होते हैं और इसमें कोर्ट कचहरी के काफी ज्यादा चक्कर लगते हैं. तब भी यह शत प्रतिशत तय नहीं होता है कि कोर्ट का फैसला व्यक्ति के माता-पिता के पक्ष में चला ही जाएगा.
काम की ख़बर: किसी संपत्ति का वसीयत के बनाएं बिना कैसे होता है बंटवारा? बेटा-बेटी के अलावा आख़िर और कौन हो सकते हैं उत्तराधिकारी, जानिए क्या है कानून!
जाने क्या होती है पुश्तैनी संपत्ति
हम आपको बता दें के आपके पिता, दादा या परदादा से मिली हुई कोई संपत्ति आपकी पैतृक संपत्ति कहलाएगी. इसकी एक और शर्त ये भी है कि 4 पीढ़ियों तक इस परिवार में कोई भी अलगाव नहीं होना चाहिए. अगर एक भी पीढ़ी में इस घर में बंटवारा होता है तो यह संपत्ति पैतृक नहीं रह जाएगी. इसका मतलब है कि कोई भी माता-पिता अपनी संतान को अब उन्हे विरासत में मिली संपत्ति से भी बाहर कर सकते हैं. गौरतलब यह है कि विरासत में मिली हर संपत्ति पैतृक/पुश्तैनी नहीं होती है.