AIN NEWS 1: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अब रामलला (Ramlala) की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आई तारीख का पूरी तरह से खंडन किया है. राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण समिति की बैठक के बाद उन्होंने समाचार पत्रों में इस तरह की खबरें छपने को एक चिंता का विषय बताया. उन्होंने पूरी तरह से साफ किया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम सात आठ महीने पहले ही से घोषित नहीं हो जाता. वहीं उन्होंने रामलला की गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति के लिए भी अभी तक किसी पत्थर के चुने जाने से पूरी तरह से इनकार किया है. उनका कहना है कि इस बारे में अभी अध्ययन चल रहा है और 3 से 4 दिन में कौन से पत्थर से रामलला की मूर्ति बनेगी पहले यह तय हो जाएगा .बता दें कि कुछ दिन पहले एक अखबार में छपी खबर को यूपी सूचना विभाग ने ही ट्वीट किया था और इसी ट्वीट को यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने भी रिट्वीट किया था. इस खबर में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की तारीख को 22 जनवरी 2024 लिखी गई थी और यह पूरी खबर ही राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के हवाले से ही छपी थी. अब इसी खबर को लेकर चंपत राय ने इसे सिरे से इनकार किया है और कहा है कि इस तरह की खबरें छपना काफ़ी चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण समिति की बैठक में भी इस पर विचार कर चिंता व्यक्त की गई. इसके पीछे उन्होंने दलील भी दी कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम 8 से 9 महीने पहले तय आखिर नहीं हो सकता.
जाने क्या कहा चंपत राय ने आगे
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने साफ कहा कि, समाचार पत्रों में अनायास ही 22 जनवरी की बात आ गई, यह भी एक चिंता का बड़ा विषय था जिसका मुझे आज खंडन करना पड़ा. आज उसकी चर्चा भी हुई और जब तक निश्चित ना हो उसे गंभीरता से ही चलाना नहीं चाहिए. चर्चा तो बहुत होती रहती है किसी निर्णय पर पहुंचने के पहले हम 50 बार चर्चा करेंगे. एक एक चर्चा अगर इस प्रकार से अखबार में आने लगी तो बहुत कन्फ्यूजन पैदा हो जाएगा. यह फिर बात आई कि इस तरह की खबरों को संयम से ही रखें. अभी तारीख को लेकर कुछ भी नहीं कह सकते. सितंबर के बाद इसके बारे में सोचेंगे. सितंबर तक कुछ भी कहना उचित नहीं है. प्रधानमंत्री का कार्यक्रम भी 8 से 9 महीने पहले तय नहीं हो सकता. तय हो गया तो मुझको नहीं लगता कि यह जनता को बताया जाता होगा सुरक्षा भी एक बड़ा हिस्सा है इसलिए अभी कुछ भी नहीं।
जाने शिलाओं पर क्या कहा
आपको बता दें कि नेपाल की गंडकी नदी से दो शिलाएं अयोध्या पिछले दिनों लाई गईं थीं. इसके अलावा कर्नाटक और राजस्थान से भी शिलाओं को अयोध्या के राम कारसेवक पुरम लाया गया है, जहां मूर्ति विशेषज्ञ इन शिलाओं की पूरी तरह से टेस्टिंग कर रहे हैं. चंपत राय की मानें तो कर्नाटक से लाई एक शिला भीतर से कुछ क्षतिग्रस्त पाई गई है, जबकि नेपाल से लाई गई एक शिला को लेकर भी इसी तरह की आशंका अभी जताई जा रही है जो आगे टेस्टिंग में ही क्लियर हो जाएगा.चंपत राय ने कहा कि भगवान राम की प्रतिमा आख़िर किससे बने, हमारे पास दो शिलाएं नेपाल से आई हैं, 6 शिलाएं कर्नाटक से आईं हैं, 3 शिलाएं राजस्थान से आईं हैं. कर्नाटक के लोगों का कर्नाटक की शिला पर काम करने का पूरा अनुभव है. नेपाल की शिला पर किसी को काम करने का अभी अनुभव नहीं है. जयपुर से आई शिला पर जयपुर के लोगों को काम करने का पूरा अनुभव है. इसका अध्ययन अभी चल रहा है. मुझे लगता है 3 से 4 दिन में यह अध्ययन पूरा हो जाएगा, आज भी यह पूरा नहीं हुआ है.