नया कारोबार शुरु करने में भारतीय महिलाएं आगे
चीन के मुकाबले भारत में दोगुनी हैं नई महिला कारोबारी
जर्मनी-जापान से मीलों आगे हैं भारतीय महिला कारोबारी
AIN NEWS 1: महिलाओं के लिए कारोबार शुरु करने के लिहाज से भारत दुनिया के टॉप-5 देशों में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। चीन के मुकाबले बीते साढ़े 3 साल में अपना बिजनेस शुरू करने वाली महिलाओं की तादाद दोगुने से भी ज्यादा रही है। ग्लोबल आंत्रप्रिन्योरशिप मॉनीटर की 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के नए उद्यमियों में महिलाओं की हिस्सेदारी 11 फीसदी है। जबकि चीन में ये आंकड़ा महज 5 परसेंट है। वहीं अमेरिका में ये हिस्सेदारी 18 फीसदी, जर्मनी में 7 प्रतिशत और जापान में महज 3.6 परसेंट है।
नया कारोबार शुरु करने में भारतीय महिलाएं आगे
नया बिजनेस शुरू करने के लिए बेहतर देशों में भी यूएई, सऊदी अरब, ताइवान के बाद भारत चौथे पर है। कारोबार शुरु करने के साथ ही इससे मुनाफा जुटाने के मामले में भी महिलाओं का प्रदर्शन बेहतर है। बेन एंड कंपनी के सर्वे के मुताबिक महिलाओं के मालिकाना हक वाले स्टार्ट-अप का ROI पुरुषों की फर्म से 35 फीसदी ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों में तो 45 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने खुद की अलग पहचान बनाने के मकसद से अपना कारोबार शुरू किया है।
चीन के मुकाबले भारत में दोगुनी हैं नई महिला कारोबारी
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक देश के कुल 5.85 करोड़ उद्यमियों में से 14 फीसदी यानी 80 लाख महिलाएं हैं। इनकी कंपनियों में करीब ढाई करोड़ लोग काम करते हैं। देश की 20 परसेंट एमएसएमई इंडस्ट्रीज की मालिक महिलाएं हैं और ये करीब 23 परसेंट लोगों को रोजगार दे रही हैं। ये तो हुई वर्तमान की बात लेकिन भविष्य को लेकर भी महिलाएं काफी भरोसा दिखा रही हैं। ऐसे में अनुमान है कि 2030 तक महिलाओं के मालिकाना हक वाली 3 करोड़ से ज्यादा नई कंपनियों में 15-17 करोड़ तक रोजगार पैदा होगा। देश की जीडीपी में फिलहाल महिलाओं की हिस्सेदारी 45 फीसदी के ग्लोबल औसत के मुकाबले महज 22 फीसदी है।
जर्मनी-जापान से मीलों आगे हैं भारतीय महिला कारोबारी
स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में भी महिलाओं की भूमिका बेहद खास रही है और 2019 से 2022 के बीच 17 फीसदी निवेश सौदे उन स्टार्ट-अप के साथ हुए हैं जिनकी मालिक महिलाएं हैं। केपीएमजी के सर्वे के मुताबिक 43 फीसदी महिलाएं ज्यादा जोखिम उठाने को तैयार हैं। महिलाओं के लिए आगे ग्रोथ की इसलिए भी काफी गुंजाइश हैं क्योंकि वो अभी तक केवल शिक्षा, कपड़े, ब्यूटी केयर जैसे सेक्टर्स तक सीमित हैं। जबकि मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और इसी तरह के ज्यादा मुनाफे वाले सेक्टर्स पर पुरुषों का दबदबा है। ऐसे में अगर फंडिंग से लेकर महिलाओं को रोजगार के लिए मौके मिलने लगें तो फिर मुमकिन है कि देश की GDP को आधी आबादी एक नए मुकाम पर लेकर जा सकती है।