UPI से भारत में आधे से ज्यादा फ्रॉड
साइबर ठगी रोकने के लिए मोटी रकम खर्च
संगठित हो चुका है जालसाज समुदाय
AIN NEWS 1: डिजिटलीकरण और ऑनलाइन का चलन तेजी से बढ़ने के साथ साथ डिजिटल का सहारा लिया जा रहा है वैसे-वैसे ही डिजिटल धोखाधड़ी भी बढ़ रही है। इसके साथ ही इस तरह के साइबर फ्रॉड्स रोकने के लिए किया जा रहा खर्च भी बेतहाशा बढ़ रहा है। अनुमान है कि साइबर फ्रॉड्स की रोकथाम के लिए खर्च की जाने वाली रकम 4 साल में 7.6 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी डेढ़ अरब डॉलर खर्च किए गए थे। यानी ये खर्च हर सालाना 37 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
UPI से भारत में आधे से ज्यादा फ्रॉड
चिंता इस बात की है कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी साइबर फ्रॉड्स को रोकने में ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पा रही है। भारत के लिहाज से तो ये इसलिए ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि देश में डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी से जुड़े 55 फीसदी मामले यूपीआई के हैं।ये फ्रॉड्स ज्यादातर 10 हजार रुपये से कम की रकम के हैं। वहीं खाते से जुड़े धोखाधड़ी के मामले जैसे खाता टेकओवर और नकली खाता रजिस्ट्रेशन भी भारत में होने वाली साइबर धोखाधड़ी में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं।
साइबर ठगी रोकने के लिए मोटी रकम खर्च
जानकारों के मुताबिक साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए संगठित हो चुके जालसाज समुदाय का मुकाबला करने में महारत हासिल करने की जरुरत है। डिजिटल धोखाधड़ी को सिखाने की तरकीब भी अब ऑनलाइन तरीके से अंजाम दी जाने लगी हैं। डार्क वेब और टेलीग्राम फ़ोरम हाउस मार्केटप्लेस पर लोग “प्लग एंड प्ले” धोखाधड़ी तकनीक खरीद सकते हैं। यही नहीं इस तरह के हमलों को कैसे अंजाम दें इस पर भी ट्यूटोरियल की पेशकश की जाती है और किन कंपनियों को टारगेट करना है इसके बारे में जानकारी साझा की जाती है।
संगठित हो चुका है जालसाज समुदाय
ऐसे में सरकार की धोखाधड़ी रोकने की कोशिशों के तहत डिजिटल सेगमेंट में की जाने वाली सख्त KYC प्रक्रियाएं काफी कारगर साबित हो रही हैं। रियल-मनी गेमिंग सेक्टर के लिए बनाए गए नए नियम भी इसी कोशिश का हिस्सा हैं। इसके साथ ही साथ सरकार ये तय कर रही है कि
कारोबार जगत को खुद के साथ साथ अपने ग्राहकों इस तरह की धोखाधड़ी से बचाने के लिए कदम उठाने होंगे।