AIN NEWS 1: जान लें भारत के सबसे ज्यादा पुराने हाईवे का नाम ही ग्रैंड ट्रंक रोड या जीटी रोड है. इसकी कुल लंबाई क़रीब 2500 किलोमीटर के है.माना तो ऐसा जाता है कि यह हाईवे करीब 2.5 हजार साल पुराना हो सकता है. इसे सबसे पहले भी चंद्रग्रुप्त मौर्य के शासन काल में हाइवे बनाया गया था. और ये सड़क तब से ही एक प्रमुख व्यापार रूट हुआ करती थी. हालांकि, मौजूदा समय में तो जिस जीटी रोड को हम देखते हैं उसे उत्तर भारत के शासक शेरशाह सूरी ने ही 16वीं शताब्दी में बनवाया था. तब इसका नाम सड़क-ए-आजम हुआ करता था.समय के साथ ही अलग-अलग राजाओं ने इसको और आगे बढ़ाया. आज यह सड़क आफगानिस्तान तक चली जाती है. इसका नाम भी कालांतर में काफ़ी बार बदलता रहा. अंत में अंग्रेजों ने ही इसे जीटी रोड कहा और तब से ही यह हाईवे इसी नाम से जाना जाने लगा है. इसकी शुरुआत तो बांग्लादेश से होती है और यह अफगानिस्तान के काबुल तक निकल जाता है.

जान ले इसका नाम समय-समय पर बदला है

जैसा कि हमने बताया कि इसके कई बार नाम बदले गए. मान तो यह जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में इस मार्ग का नाम उत्तर पथ हुआ करता था. इसके बाद इसे शाह राह-ए-आजम, सड़क-ए-आजम, बादशाही सड़क, द लॉन्ग वॉक और अंत में ग्रैंड ट्रंक रोड पर आकर इसके नाम में होने वाले परिवर्तन रुक गए थे. और इस रोड को ब्रिटिश लेखक रुडयार्ड किपलिग एक ऐसी जीवनदायनी नदी कहते थे जो दुनिया में और कहीं भी नहीं है. हालांकि, आज के सबसे लंबे हाईवे अमेरिका और चीन के पास मे हैं.

जान ले किस लिए होता था इसका ज्यादा इस्तेमाल

वैसे तो यह एक ऐतिहासिक सड़क है. और ऐसा माना जाता है कि मौर्य काल में ही भारत और कुछ पश्चिम एशिया देशों के बीच में व्यापार के लिये यह प्रमुख मार्ग था. इसका निर्माण 8 चरणों में ही किया था. आज यह सड़क चिटागॉन्ग से शुरू होती है. इसके बाद भारत में बर्धमान, आसनसोल, धनबाद, सासाराम, मुगलसराय, प्रयागराज, अलीगढ़, गाजियाबाद, दिल्ली, करनाल, जालंधर, और अमतृसर तक जाती है. इसके बाद पाकिस्तान में यह लाहौर, झेलम, रावलपिंडी और पेशावर होते हुए खैबर दर्रे से अफगानिस्तान में प्रवेश कर जाती है और यह काबुल में खत्म हो जाती है. भारत में ग्रैंड ट्रंक रोड अलग-अलग हाईवेज में ही बंटी हुई है. इसमें एनचए-1, एनएच-2, एनएच-5 और एनएच-91 भी शामिल हैं.

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