लॉजिस्टिक्स यानी ढुलाई लागत सुनने में भारी और बोरिंग शब्द लगता है। इसके बढ़ने या घटने का फर्क ज्यादातर लोगों को समझ नहीं आता है। लेकिन अगर हम आपको ये बताएं कि लॉजिस्टिक्स की लागत कम होने से आपके लिए TV, मोबाइल फोन और कंप्यूटर खरीदना सस्ता हो जाएगा तो जरुर ही लॉजिस्टिक्स को मतलब और इसके असर को हर कोई समझना चाहेगा। दरअसल, लॉजिस्टिक्स आम भाषा में उस खर्च को कहा जाता है जो किसी भी सामान को फैक्ट्री से लेकर दुकान तक लेने जाने में ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च होता है। बीते 2 साल से ये खर्च काबू के बाहर हो गया था। लेकिन अब इस खर्च में कमी आने लगी है। ऐसे में
TV, मोबाइल फोन और कंप्यूटर्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सस्ते होने वाले हैं।
इन सामानों की कीमतें और इन्हें फैक्ट्री तक पहुंचाने में लगने वाली ढुलाई लागत 2 साल में रिकॉर्ड हाई लेवल छूने के बाद अब प्री-कोविड लेवल तक कम हो गई है। कंपनियां इनपुट लागत में आई इस गिरावट का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने की योजना बना रही हैं। उम्मीद है कि फेस्टिव सीजन में डिमांड को बढ़ाने के लिए कंपनियां ग्राहकों को इन सामानों को सस्ते में बेचने का फैसला कर सकती हैं। बीते 1 साल से जारी सुस्त डिमांड का दौर खत्म करने के लिए कंपनियां दिवाली के दौरान इनके दाम कम कर सकती हैं।
दिवाली से पहले कंपनियां करेंगी एलान
लागत में गिरावट से कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के ओपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन्स में भी इजाफे की उम्मीद है। इसकी वजह है कि चीन से कंटेनर्स के लिए ढुलाई लागत घटकर 850 से 1 हज़ार डॉलर रह गई है
–कोविड के समय ये लागत 8 हज़ार डॉलर के हाई पर थी। ऐसे में समझा जा सकता है कि कंपनियों के पास दाम घटने की अब भरपूर गुंजाइश है। लॉजिस्टिक्स लागत के अलावा निर्माण लागत में भी अब भारी कमी आई है।
ग्राहकों मिलेगा सस्ते दाम का तोहफा
सेमीकंडक्टर चिप्स की लागत अब तक के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं
ये कोविड के समय के मुकाबले घटकर महज 10 फीसदी रह गई हैं। जबकि इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की कीमतें 60 से 80 फीसदी तक घट गई हैं। हालांकि इसकी एक वजह ग्लोबल डिमांड में आई गिरावट भी है।स्मार्टफोन्स के मामले में भी चिप्स के साथ ही कैमरा मॉड्यूल्स और दूसरे स्मार्टफोन कंपोनेंट्स की कीमतों में कमी आने से इनके दाम भी फेस्टिव सीजन में डिमांड को बढ़ाने के मकससद से कंपनियां घटा सकती हैं।