Sunday, November 24, 2024

महाजुटान में अध्यादेश को लेकर केजरीवाल की मांग पर दूसरे दलों ने क्या दी दलील?

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महाजुटान में अध्यादेश को लेकर केजरीवाल की मांग पर दूसरे दलों ने क्या दी दलील?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के नेताओं की पटना में बैठक हुई. इस बैठक में आम आदमी पार्टी ने अपना अलग राग अलापते हुए दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर पूरा फोकस कर दिया.
हालांकि AAP की ओर से कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों को कई नेताओं ने इस पर जवाब दिया है.
केंद्र सरकार दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर को लेकर अध्यादेश लेकर आई है, जिसे आम आदमी पार्टी तानाशाही भरा अध्यादेश बता रही है और विपक्षी दलों से इस अध्यादेश को राज्यसभा में रोकने के लिए सहयोग मांग रही है. इसको लेकर केजरीवाल की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से भी समय गया है, हालांकि अभी तक उन्हें समय नहीं मिला है और न ही कांग्रेस की ओर से आम आदमी पार्टी को किसी तरह का आश्वासन मिला है.
विपक्षी दलों की बैठक से पहले भी AAP की ओर से कहा गया था कि कांग्रेस को इस अध्यादेश का विरोध करना चाहिए क्योंकि ये असंवैधानिक है. वहीं महागठबंधन में शामिल सीपीआई एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्च ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि AAP इस मुद्दे को दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देख रही है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि AAP की ओर से आधिकारिक बयान में यह कहना गलत है कि कांग्रेस ने बैठक में अध्यादेश का विरोध करने से इनकार कर दिया, जबकि कई पार्टियों ने ऐसा करने को कहा था.
लेफ्ट नेता ने कहा, “अध्यादेश की निंदा में सभी दल एकमत थे, लेकिन आप नेतृत्व को इस मुद्दे को व्यापक संदर्भ में रखना चाहिए. यह बीजेपी सरकार द्वारा संविधान और संघवाद के सिद्धांत पर हमलों के बारे में है, यही कारण है कि हम सभी ने अपने मतभेदों को भुला दिया और हाथ मिला लिया.”
दीपांकर ने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर के हमारे दोस्तों द्वारा दिखाई गई परिपक्वता की प्रशंसा करूंगा, जिन्होंने दर्द के साथ याद किया कि AAP ने संसद में उस विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, जिसने उत्तरी राज्य का विशेष दर्जा, उसका राज्य का दर्जा और उसकी अखंडता छीन ली थी.”
वामपंथी नेता ने यह भी कहा कि उन्होंने AAP डेलीगेशन से बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन के लिए रुकने की अपील भी की थी. सीपीआई एमएल लिबरेशन नेता ने कहा, “वे ऐसा करने के लिए सहमत नहीं हुए, लेकिन हमें खुशी है कि कुल मिलाकर बैठक फलदायी रही.”
डी राजा बोले- सभी दलों ने की निंदा
AAP संयोजक केजरीवाल के साथ पंजाब सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा डेलीगेशन में शामिल थे. दोपहर के भोजन के बाद वो वापस आ गए और पार्टी ने बयान जारी कर कांग्रेस के इरादों को लेकर संदेह जताया. जबकि सीपीआई महासचिव डी राजा ने भी कहा कि बैठक में शामिल हुए सभी दलों ने बिना किसी अपवाद के इस अध्यादेश की आलोचना की.
डी राजा ने कहा कि कांग्रेस ने भी हमारे साथ इस अध्यादेश की आलोचना की, जिसका उद्देश्य निर्वाचित सरकार से सत्ता छीनना है. पूरी संभावना है कि बैठक में मौजूद सभी दल इस बिल के खिलाफ संसद में वोटिंग करेंगे. हो सकता है कि कांग्रेस इसकी सार्वजनिक घोषणा में अपना समय ले रही है.
उन्होंने आम आदमी पार्टी के रुख का वर्णन करने के लिए मीडिया के एक वर्ग द्वारा “बहिष्कार” शब्द का उपयोग करने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि “केजरीवाल और उनके सहयोगी पूरी बैठक में मौजूद थे और उन्होंने हमारे साथ दोपहर का भोजन किया. वे दूसरी व्यस्तताओं की वजह से जल्दी चले गए.’
महबूबा और उमर ने क्या कहा?
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने भी इस विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा, “अरविंद केजरीवाल ने बैठक में अध्यादेश का मुद्दा उठाया. अध्यादेश की आलोचना करने से कोई नहीं हिचकिचाया. मैंने उनकी पार्टी द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में मतदान करने के प्रति कोई शिकायत नहीं रखी. हालांकि बैठक का एजेंडा विपक्षी एकता था.”
आप के बयान पर बीजेपी ने जताई खुशी
बैठक में भाग लेने वाले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि अध्यादेश कभी भी मुख्य एजेंडा में नहीं था. हालांकि अरविंद केजरीवाल अपनी राय रखने और उस पर काम करने के हकदार हैं. वहीं बैठक में आम आदमी पार्टी के बयान से बीजेपी ने खुशी जताई है. बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि नाराज केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने से इनकार कर दिया. बैठक फ्लॉप रही. लालू यादव, नीतीश कुमार जैसे नेता जिन्होंने इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस से लड़े थे अब उसी पार्टी के साथ गठबंधन कर रहे हैं. 
ललन सिंह ने दिया सुशील मोदी को जवाब
वहीं ललन सिंह ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह कांग्रेस नहीं थी, जिसके खिलाफ हम लड़ रहे थे. हम लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ लड़ रहे थे और भाजपा का पिछला अवतार जनसंघ उस लड़ाई में हमारे साथ था. अब जब वे उसी अपराध के दोषी हैं, तो हमें उनके खिलाफ लड़ना चाहिए. नीतीश कुमार ने उस पार्टी से संबंध तोड़ने पर भाजपा को हराने की कसम खाई थी.
तेजस्वी यादव ने कुछ बोलने से किया परहेज
वहीं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने आप के साथ बातचीत पर ज्यादा कुछ कहने से परहेज किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी ने भी कोई कड़वाहट नहीं दिखाई है. सभी मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण तरीके से चर्चा हुई और सभी दल फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए शिमला में फिर से मिलने पर सहमत हुए.
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