मोहब्बत की दुकान’ में प्यार भी मिलता है ये राहुल गांधी को साबित करना होगा’, अध्यादेश पर AAP नेता का बयान!
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को दोनों विपक्षी दलों के बीच चल रही खींचतान के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक पहुंचने के लिए “मोहब्बत की दुकान” का सहारा लिया.
केंद्र का अध्यादेश अरविंद केजरीवाल सरकार की शक्तियों को कम करने की मांग कर रहा है. उन्होंने कहा, “मैं हमेशा देखता हूं कि राहुल गांधी प्यार की बात करते हैं और कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी नफरत फैलाती है. इसलिए अगर राहुल गांधी ‘मोहब्बत की दुकान’ चला रहे हैं, तो जो भी उनके पास पहुंचेगा, उसे वह प्यार मिल सकता है.”
कांग्रेस-आप के बीच अध्यादेश विवाद के बाद आप नेता का बयान
उनकी यह टिप्पणी पटना में विपक्षी दल की बैठक के दौरान अध्यादेश के मुद्दे पर आप और कांग्रेस के बीच हुई तीखी नोकझोंक के बाद आई, जिसके कुछ दिनों बाद केजरीवाल ने सबसे पुरानी पार्टी से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था.
”जब राहुल गांधी की पार्टी प्यार फैलाती है, तो उन्हें यह भी दिखाना होगा.”
आप नेता भारद्वाज ने अध्यादेश मुद्दे का जिक्र किए बिना कहा, ”जब उन्होंने (राहुल) कहा कि उनकी पार्टी प्यार फैलाती है, तो उन्हें यह भी दिखाना होगा.” एपीपी नेता ने संकेत देते हुए कहा, “राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी केंद्र में सत्ता में नहीं है. इसलिए अहंकार का कोई सवाल ही नहीं होना चाहिए. लेकिन अगले लोकसभा चुनाव में सबसे पुरानी पार्टी के सत्ता में लौटने पर वह अहंकारी हो सकते हैं.” आप संसद के ऊपरी सदन में कांग्रेस के समर्थन पर भरोसा कर रही है जिसके पास सबसे अधिक 31 सांसद हैं, जहां भाजपा के पास बहुमत नहीं है.
मानसून सत्र के दौरान संसद में आएगा अध्यादेश
मानसून सत्र के दौरान संसद में अध्यादेश लाए जाने पर सीएम केजरीवाल ने विभिन्न विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा है . उन्होंने कहा, ”इसलिए उन्हें (राहुल को) संतुलित होने और यह दिखाने की जरूरत है कि वह प्यार फैला रहे हैं.”
क्या है केंद्र का अध्यादेश विवाद
केंद्र सरकार 19 मई को ‘ट्रांसफर पोस्टिंग, सतर्कता और अन्य प्रासंगिक मामलों’ के संबंध में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के लिए नियमों को अधिसूचित करने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई. यह अध्यादेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करने के लिए लाया गया था और यह सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र बनाम दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करता है.