AIN NEWS 1 नई दिल्ली: बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे भारत में ही समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के लिए सार्वजनिक रूप से इसकी वकालत की है, तब से ही इस बात की काफ़ी जोरदार चर्चा है कि केंद्र की भाजपा सरकार इस प्रस्ताव को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही एक अमलीजामा पहनाने की पूरी कोशिश कर सकती है. वैसे तो यूसीसी वर्षों से ही भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का एक प्रमुख मुद्दा रहा है.हालांकि इसे अभी अखिल भारतीय कानून बनने से पहले ही संसद का टेस्ट भी पास करना होगा.लोकसभा से यूसीसी बिल को पारित कराना भाजपा के लिए इतना आसान भी नहीं होगा, क्योंकि निचले सदन में तो उसके पास काफ़ी भारी बहुमत है. ऐसे में सभी की ही निगाहें राज्यसभा पर होंगी, जहां बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मे बहुमत के आंकड़े से कुछ ही कदम पीछे है. यहां ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी को एक बहुत बड़ी उम्मीद दी है, क्योंकि उसने इस समय यूसीसी को अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया है. लेकिन क्या इससे राज्यसभा से यूसीसी बिल को पास कराने के लिए केवल AAP का समर्थन काफी होगा?

जाने आखिर राज्यसभा में अंकगणित की स्थिति क्या है?

जैसा कि हम जानते है राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, उच्च सदन की कुल 245 सदस्य संख्या में से फिलहाल कुल 8 सीटें ही खाली हैं. इसका मतलब है साफ़ है कि वर्तमान में उच्च सदन में कुल 237 सदस्य हैं. और इस कानून को पूरी तरह से पारित कराने के लिए भाजपा को कम से कम 119 राज्यसभा सदस्यों के समर्थन की वहा आवश्यकता होगी. फिलहाल उच्च सदन में बीजेपी के कुल 92 सदस्य हैं. पिछले सप्ताह उसे एक सीट का नुकसान भी हुआ, जब उत्तर प्रदेश से उसके राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे का दुखद निधन हो गया.इस समय अन्य सहयोगियों को मिलाकर, राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की कुल ताकत ही 109 सदस्यों की है. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि समान नागरिक संहिता विधेयक को उच्च सदन में सफलतापूर्वक पारित कराने के लिए अभी उसे 10 और सदस्यों के समर्थन की वहा आवश्यकता होगी. लेकीन जब तटस्थ दलों की बात आती है, तो बीजद और वाईएसआर कांग्रेस दोनों के पास राज्यसभा में कुल 9-9 सदस्य हैं. यदि वे दोनों यूसीसी पर भाजपा का समर्थन करने का अपना निर्णय लेते हैं, तो उसे राज्यसभा में यूसीसी बिल को पास कराने के लिए एक आवश्यक बहुमत काफ़ी आसानी से मिल जाएगी.हालांकि, सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के अभी मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को भी ध्यान में रखते हुए राज्यसभा में यूसीसी बिल का समर्थन बिल्कुल नहीं करेगी, जिसका प्रभावी रूप से मतलब है कि बीजेपी को वहा 1 वोट की कमी होगी, भले ही बीजेडी भी सदन में उसका समर्थन करे. इसका यही कारण है कि आम आदमी पार्टी राज्यसभा में भी यूसीसी बिल पास कराने में एक तुरुप का इक्का साबित हो सकती है. राज्यसभा में कुल 10 सीटों (दिल्ली से 3, पंजाब से 7) के साथ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी का समर्थन भाजपा को संसद में यूसीसी को मंजूरी दिलाने में अहम मदद कर सकता है.

जान ले आगामी राज्यसभा चुनाव की अभी स्थिति क्या है?

संसद का मानसून सत्र संभवत: अभी जुलाई के तीसरे सप्ताह में ही शुरू होगा और यह अगस्त के मध्य तक ही चलेगा. सत्र के दौरान ही, विदेश मंत्री एस जयशंकर और तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन सहित कुल 10 राज्यसभा सीटों के लिए भी मतदान होगा, जो 24 जुलाई के लिए यह निर्धारित है. इससे 237 सदस्यीय सदन में समीकरणों में ज्यादा बदलाव की भी कोई संभावना नहीं है. क्योंकि भाजपा और टीएमसी के पास में संबंधित विधानसभाओं (पश्चिम बंगाल, गुजरात और गोवा) में अपनी सीटें बरकरार रखने के लिए अभी पर्याप्त ताकत है.हालांकि, इससे एकमात्र बदलाव यह होगा कि भाजपा को पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की कीमत पर ही एक सीट हासिल होगी. और यदि ऐसा होता है, तो संयुक्त एनडीए की ताकत फिर से कुल 110 हो जाएगी. उस स्थिति में, बीजेडी या आम आदमी पार्टी का समर्थन केंद्र सरकार को संसद के माध्यम से ही यूसीसी पारित करने में सक्षम मदद कर सकता है. इस तरह, यूसीसी की राह में एकमात्र रोड़ा बीजेपी के सहयोगी दल या उससे तटस्थ बीजेडी ही बन सकते हैं, यदि इनमें से किसी ने भी इस बिल का समर्थन करने से परहेज किया, तो राज्यसभा से समान नागरिक संहिता संबंधित विधेयक पास कराना अभी भाजपा के लिए काफ़ी मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, सूत्रों की माने तो इसकी संभावना बहुत कम है.

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