मिशन 2024 के लिए विपक्षी एकता की दूसरी बैठक से पहले ही वार-पलटवार चल रहे हैं. दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक के नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्ष को आघात पहुंचा रहे हैं.
आम आदमी पार्टी ने 23 जून की पटना बैठक के तुरंत बाद ही खुला ऐलान कर दिया था कि जहां कांग्रेस होगी वहां वो नहीं होंगे. दूसरी तरफ, कांग्रेस भी अरविंद केजरीवाल को बीजेपी के साथ बताते हुए वार करने लगी. लेकिन इन बयानों के बावजूद दिल्ली को लेकर कांग्रेस अबतक ये फैसला नहीं कर पाई है कि वो कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
दिल्ली कांग्रेस के इंचार्ज दीपक बाबरिया ने कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसका फैसला अब तक नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान जल्द ही इस बारे में फैसला लेगा. दीपक बाबरिया ने शनिवार को दिल्ली इंचार्ज का पद संभाला है जिसके बाद रविवार को उन्होंने पीटीआई से बातचीत में ये बयान दिया.
क्यों अहम माना जा रहा है दिल्ली कांग्रेस प्रभारी का बयान?
दिल्ली कांग्रेस प्रभारी का ये बयान अहम इसलिए है क्योंकि 15 विपक्षी दलों के नेता 23 जून को पटना में जुटे थे. यहां इन नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मिलकर लड़ने का निर्णय लिया था. बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि हम सब एक हैं और एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यही कहा था. हालांकि, बैठक के बाद केजरीवाल इस प्रेस कॉफ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे और कुछ देर बाद ही उनकी पार्टी का बयान आया था कि वो कांग्रेस की मौजूदगी वाली एकता में नहीं रहेंगे.
आम आदमी पार्टी का ये स्पष्ट बयान उनके इरादों को दर्शाता है. दिल्ली में पार्टी दो बार से सत्ता में है और पूर्ण बहुमत की सरकार चला रही है. हालांकि, यहां की सात लोकसभा सीटों में से केजरीवाल के पास एक भी नहीं है. लेकिन विधानसभा के बाद MCD की सत्ता पर काबिज होने वाली आम आदमी पार्टी जोश से भरपूर है. पंजाब में भी आप की सरकार है, और केजरीवाल नेशनवाइड एजेंडा लेकर आगे बढ़ रहे हैं.
कांग्रेस ने क्यों नहीं लिया दिल्ली पर अभी तक कोई भी फैसला?
जबकि दूसरी तरफ, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह परास्त हो चुकी कांग्रेस 2024 के लिए सावधानी बरत रही है. कांग्रेस विपक्षी दलों को साथ लेकर बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बाहर करने की योजना पर काम कर रही है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या दिल्ली को लेकर कांग्रेस का अबतक फैसला न लेना क्या ये दर्शाता है कि 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी एकता की दूसरी बैठक से पहले कांग्रेस ऐसा कोई डिसीजन नहीं करना चाहती जिससे एकजुटता का फॉर्मूला बिखर जाए?