Monday, November 25, 2024

गाजियाबाद के इस प्राचीन मंदिर में उमड़ती है लाखों की भीड़, 19 साल बाद पड़ रहा दो महीनों का सावन !

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गाजियाबाद के इस प्राचीन मंदिर में उमड़ती है लाखों की भीड़, 19 साल बाद पड़ रहा दो महीनों का सावन !
गाजियाबाद स्थित प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर संबंध लंकापति रावण से भी जोड़ा जाता है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, हिंडन नदी के किनारे पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी जो रावण के पिता थे।                                                                           
इसके साथ ही रावण ने भी पूजा की थी। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। कहते हैं कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है।
पेयजल के होंगे इंतजाम
श्रावण मास को लेकर दूधेश्वरनाथ मंदिर में विशेष इंतजाम किए गए हैं। दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर  के महंत नारायण गिरी के पेयजल इंतजाम न होने के आरोपों के बाद जलकल विभाग के महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी मंदिर पहुंचे और आश्वासन दिया कि पेयजल की किल्लत नहीं होगी।
उन्होंने महंत के साथ जलाभिषेक के दौरान मंदिर में पेयजल की जरूरत के बारे में पूछा और मंदिर परिसर व आसपास के क्षेत्र में लगे नलकूप व हैंड पंप का जायजा लिया। आनंद त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर में पिछले साल लगाया गया नलकूप ठीक है। इसके अलावा दो हैंड पंप भी काम कर रहे हैं।
मंदिर के बाहर लगा 10 एचपी का नलकूप खराब है। महंत ने इसे ठीक कराने को कहा, जिसका कार्य आदेश पहले ही जारी हो चुका था। इसका काम तुरंत शुरू करा दिया है, जो तीन-चार दिन में पूरा हो जाएगा। मंदिर के बाहर लगे दो अन्य हैंड पंप भी ठीक हैं। जलाभिषेक के समय गंगाजल के टैंकर भी मुहैया कराए जाएंगे।
मार्ग पर बिजली के नंगे तारों से हादसे का खतरा
कांवड़ यात्रा शुरू होने में केवल एक दिन शेष होने के बावजूद कांवड़ मार्ग पर फैली अव्यवस्थाओं से भक्तों को परेशानी झेलनी होगी। मार्ग पर सड़क किनारे बिजली के नंगे तार, तो कहीं कूड़े के ढ़ेर लगे हैं।
वैशाली सेक्टर-दो व पांच की पुलिया के पास जगह-जगह बिजली के नंगे तार लटके हुए हैं। वर्षा से तारों में करंट उतरने की संभावना ज्यादा रहती है। इससे हादसा का खतरा है। अभी तक लटके बिजली के तारों को नहीं हटाया गया है।
कांवड़ मार्ग बनते ही टूटा, भक्तों की राह में रोड़े
सावन शुरू होते ही जिले में कांवड़ यात्री आने लगेंगे। हरिद्वार से गंगाजल लेकर उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली और राजस्थान के हजारों शिवभक्त दिल्ली-मेरठ रोड से होते हुए गाजियाबाद से गुजरेंगे। शासन ने टूटे कांवड़ मार्ग को ठीक करने के निर्देश दिए थे।
मेरठ रोड की टूटी सड़क पर कहीं पैच वर्क किया गया तो कहीं सड़क को टुकड़ों में बनाया गया। कांवड़ यात्रा सुगम करने के लिए बनाया गया मार्ग पहले सप्ताह में ही जवाब दे गया। कई जगहों से टूटने के साथ ही सड़क में गड्ढे होने लगे हैं।
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