AIN NEWS 1: जैसा कि आप जानते है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में अभी बारिश ने पूरी तरह से तांडव मचाया हुआ है। इतनी भारी बारिश के बाद अब मंडी में ब्यास नदी अपने पूरे उफान पर थी और उसने हर ओर ऐसा कहर बरपाया कि कारें, मकान और तो और कई साल पुराने बने हुए पुल भी उसके तेज बहाव में तिनके की तरह बहते हुए नजर आए। लेकिन आपकों जान कर काफ़ी हैरानी होगी की 146 साल पुरान बना हुआ विक्टोरिया पुल अभी भी पहले की तरह ही अकड़ के खड़ा हुआ है। अब तो लोग सोशल मीडिया पर भी विक्टोरिया पुल की तस्वीर काफ़ी ज्यादा शेयर कर रहे हैं और अनपे लिख भी रहे हैं कि सारा आधुनिक निर्माण धराशाई हो गया है, जबकि यह कितना पुराना बना हुआ पुल अभी भी टिका हुआ है। जान ले के मंडी में यह विक्टोरिया पुल का निर्माण 1877 में ही किया गया था। ओर इस पुल के निर्माण की कहानी भी बड़ी ही रोचक है।

बात उस समय की जब मंडी के राजा ने इनाम में जीती कार

बता दें 146 साल पुराना विक्टोरिया पुल 1877 में मंडी रियासत के ही तत्कालीन राजा विजय सेन ने इसे बनवाया था। उस समय हमारे देश में अंग्रेजों की हुकुमत थी। उस समय के इंग्लैंड के राजा जार्ज पंचम ने दिल्ली में एक समारोह का आयोजन किया था। जिस आयोजन में देश भर की रियासतों के राजाओं को बुलाया गया। मंडी रियासत के राजा विजय सेन भी इसमें शामिल होने के लिए ही दिल्ली गए थे। इसमें जार्ज पंचम ने समारोह के दौरान कार को लेकर एक प्रतियोगिता करवाई। इस प्रतियोगिता के अनुसार घोड़ों और कार के बीच में रेस लगवाई गई। मंडी के राजा विजय सेन के घोड़े ने इस कार को पछाड़ते हुए इस अयोजन में जीत हासिल की। ऐसे में ही जार्ज पंचम ने अपनी शर्त के अनुसार राजा वियज सेन को वो कार इनाम में दे दी। उस समय राजा ने इनाम में एक कार तो जीत ली लेकिन उसे मंडी ले जाना बिलकुल भी संभव नहीं था। क्योंकि उस दौर में सड़कों और पुलों की कोई भी अच्छी व्यवस्था नहीं थी। राजा वियज सेन ने उस समय ब्रिटिश हुकुमत से मंडी शहर को जोड़ने के लिए एक पुल बनाने का आग्रह किया। जिसे उस समय ब्रिटिश हुकुमत ने स्वीकार करते हुए पुल बनाने का राजा को वादा किया।

यह पूरा पुल उस समय एक लाख रुपये में बना था

उस समय मंडी के राजा ने पुल के निर्माण के लिए अंग्रेजों को एक लाख रुपये दिए। सन 1877 में ही यह पुल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया। यह पुल इंग्लैंड में बने हुए विक्टोरिया पुल की ही डुप्लीकेट कॉपी बताया जाता है। यही कारण है कि इसे अंग्रेजों ने उस समय भी विक्टोरिया पुल का ही नाम दिया। जबकि मंडी रियासत के राजा ने इसे विजय केसरी पुल का नाम दिया था।

उस समय अग्रेजों ने 100 साल बताई थी पुल की उम्र

इस विक्टोरिया पुल को बनने से मंडी जिले को अपनी एक नई पहचान मिली। वहा लोगो का एक जगह से दूसरी जगह जाना काफ़ी आसान हुआ और विकास ने अपनी रफ्तार पकड़ी। ब्रिटिश हकुमत के जिन इंजीनियरों ने उस समय इसका निर्माण किया था। उन्होंने इसकी आयु सीमा 100 वर्ष बताई थी, लेकिन आपको जानकर काफ़ी ज्यादा हैरानी होगी कि अब तक 146 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह पुल आज भी उसी शान के साथ खड़ा है जैसा कि अपने शुरूआती दौर में खड़ा हुआ था।

जान ले आज तक भी नहीं बदले गए इस पुल के रस्से

इस विक्टोरिया पुल के निर्माण के बाद न तो अभी तक इसके रस्से बदले गए और न ही कोई अन्य सामग्री ही इसमें लगाई गई हैं। लेकिन समय-समय पर इसकी देख रेख जरूर करवाई जाती रही है। हालांकि अब यहां पर चलने वाले वाहनों की आवाजाही नहीं होती। अब ये पुल सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए ही खुला रहता है।

इस पुल पर वाहनों की आवाजाही कब हुई बंद

बता दें साल 2019 में हिमाचल के पूर्व मूख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 2019 में ही विक्टोरिया ब्रिज के पास सरदार पटेल ब्रिज नामक एक और नया पुल का निर्माण और उद्घाटन भी किया। ओर इसे परिवहन के लिए उस समय खोल दिया गया। विक्टोरिया ब्रिज को 142 वर्षों की सेवा के बाद से परिवहन के सभी साधनों के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here