AIN NEWS 1Ghaziabad News : कलयुगी व्यक्ति द्वारा अपने ही मासूम बेटे और बेटी से कुकर्म और दुष्कर्म करने के मामले में दोषी पिता को अब अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस दोषी को सजा दिलाने में उसके पिता और बहन की गवाही को अदालत ने काफ़ी अहम माना। पॉक्सो कोर्ट के ही विशेष न्यायाधीश हर्षवर्धन ने इस दोषी कलयुगी पिता पर कुल 71 हजार रुपये का अतिरिक्त अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड से मिली वाली धनराशि में से कुल 30-30 हजार रुपये इन दोनों बच्चों को देने का कोर्ट ने आदेश दिया है। अदालत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही जेल में बंद दोषी इस कलयुगी पिता को यह सजा सुनाई। इस दोषी कलयुगी पिता को सजा दिलाने में उसके खुद के पिता, उसकी बहन के बयान और पीड़ित बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट काफ़ी ज्यादा अहम रहे।
इस अदालत ने यह अपना फैसला दो साल 10 महीने 27 दिनों में सुनाया। इस सजा को सुनाते हुए अदालत ने कहा कि किसी भी माता पिता के पास उसके बच्चे सुरक्षित होते हैं। अगर माता-पिता के पास ही उनके बच्चे सुरक्षित नहीं है तो समाज की व्यवस्था आख़िर किस प्रकार चलेगी और बच्चे कहां पर सुरक्षित रहेंगे। ऐसे कठौर अपराधी किसी भी प्रकार से क्षमा करने के योग्य बिलकुल नहीं है।
अपनी मां से तलाक के बाद अपने पिता के साथ ही रहते थे ये दोनों बच्चे
विशेष लोक अभियोजक हरीश कुमार ने ही बताया कि गाज़ियाबाद के मोदीनगर क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति का उसकी पत्नी से किसी कारण वश तलाक हो गया था। ओर उसे 10 वर्ष का एक बेटा और आठ वर्ष की बेटी की कस्टडी मिली थी। इसलिए अपनी पत्नी से तलाक के बाद दोनों बच्चे अपने पिता के पास ही रह गए थे। पिता ने 30 जुलाई 2020 को इन दोनों बच्चों के साथ मे ही कुकर्म और दुष्कर्म किया। बच्चों ने यह पूरी घटना अपनी बुआ को रोकर बताई। बुआ ने इस पूरे मामले की जानकारी इन बच्चों के दादा को दी। लेकीन दादा के इस बारे में पूछने पर बच्चों ने उन्हे बताया कि उनके पिता उन दोनों के साथ ही दुष्कर्म व कुकर्म करता है।ओर यह पिता इन बच्चों को दर्द निवारक मलहम, मच्छर मारने की क्वायल और माचिस का मसाला भी चाय में मिलाकर उन्हे जबरदस्ती पिलाता था। मिलावटी चाय पीने से इनकार करने पर यह कलयुगी पिता दोनों बच्चों की बेरहमी से पिटाई करता था। किसी से यह बताने पर जान से मारने की धमकी भी देता था। वह इन मासूम बच्चों को अपने घर से भी बाहर निकलने ही नहीं देता था, ना ही वह परिवार के किसी सदस्य से उन्हे मिलने देता था। लेकीन जब इन बच्चो की बुआ उनके घर पर मिलने आई तो बच्चों ने यह पूरी घटना उन्हे बता दी। इस घटना के बारे में जब बच्चों के दादा ने इस सबका विरोध किया तो उसने कहा कि दोनों बच्चे उसके हैं, वह उनके साथ जो चाहेगा वह करेगा।वह फरसा लेकर अपने पिता को जान से मारने के लिए भी दौड़ा लिया था। किसी प्रकार से उस समय बच्चों के दादा ने अपनी जान बचाई। इस मामले की रिपोर्ट दादा ने 16 अगस्त 2020 को ही मोदीनगर थाने में दर्ज कराई। दादा ने बताया कि वह दोनों बच्चों को हॉस्टल में रखकर पढ़ाते थे, लॉकडाउन हो जाने की वजह से ही इन दोनों बच्चों को वापस इनके घर पर लाना पड़ा। इस दौरान ही उसके इस कलयुगी पिता ने दोनों बच्चों के साथ मे ही यह घिनौना कर्म किया। पुलिस ने इस रिपोर्ट के आधार पर ही इस आरोपी पिता को गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया था। इस मामले की अंतिम सुनवाई शुक्रवार को ही पॉक्सो कोर्ट में हुई। जहां अदालत में पेश हुए नौ गवाह और 18 साक्ष्यों के आधार पर इस कलयुगी पिता को दोषी मानते हुए इसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने यह सजा सुनाते हुए कहा की अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो समाज का संतुलन बिगड़ जाएगा
जान ले विशेष लोक अभियोजक हरीश कुमार ने इसके लिए अदालत से फांसी की गुहार लगाई थी, ओर फांसी की गुहार लगाते वक्त उन्होंने कहा ऐसे जघन्य अपराधी पर किसी भी प्रकार की भी दया बिलकुल नहीं करनी चाहिए,जब रक्षक पिता ही भक्षक बन जाए तो, समाज का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे अपराधियों को तो कठोर से कठोर सजा देनी चाहिए, ऐसे अपराधी के लिए तो फांसी की सजा भी बहुत कम है।
जान ले एक न्यायमित्र ने की थी इस आरोपी की पैरवी
इस आरोपी की पैरवी के लिए कोई भी परिजन तैयार नहीं हुआ तो उसने जेल से ही अदालत में फरियाद लगाई थी कि उसके मुकदमे की पैरवी के लिए एक वकील नामित नहीं कर सकता है, इसके बाद ही अदालत ने उसकी पैरवी के लिए एक न्यायमित्र की नियुक्ति की थी।