इस साल जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी ? क्या है शुभ मुहूर्त, और पूजा विधी , क्या है इसका महत्व !

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इस साल जानें कब है कृष्ण जन्माष्टमी ? क्या है शुभ मुहूर्त, और पूजा विधी , क्या है इसका महत्व !

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र हर्षण योग में तथा वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था। जानिए इस साल कब मनाया जाएगा कृष्ण जन्माष्टमी साथ ही जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
कृष्ण जन्माष्टमी क्यो मनाते है                      
क्या आप सभी जानते है कि जन्माष्टमी क्यो मनाते है पुरे भारतवर्ष में जन्माष्टमी को बड़े ही  धूम धाम से मनाया जाता है , कान्हा जी के जन्मदिन के इस मौके पर देशभर में धूमधाम से सजावट की जाती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में विशेष अंदाज में भक्ति संगीत से कान्हा जी को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में शुभकामनाएं दी जाती हैं। गोविंदा बाल गोपाल, कान्हा, गोपाल जैसे लगभग 108 नामों से पुकारे जाने वाले भगवान युगों-युगों से हर दिल में बसते हैं. 
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व प्रत्येक हिंदू के लिए एक विशेष दिन होता है. मान्यता है कि इस दिन कृष्ण भगवान को भक्ति भाव से प्रसन्न करने पर संतान, सम्रद्धि एवं अधिक उम्र की प्राप्ति होती है. सभी हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी के पावन पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जयंती के रूप में मनाया जाता है। और हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करते हैं। और लोग  छोटे –छोटे बच्चो को कृष्ण बना कर मदिर ले जाते हे इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देते हैं। वहीं महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना के साथ यह व्रत करती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं। उन्हें झूला झुलाया जाता है। कृष्ण को 56 तरह के पकवान से भोग लगाते है।
किस तारीक को मनाया जाऐगा कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण पक्ष के जन्म दिन से हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के आंठवे दिन हिंदुओं द्वारा प्रति वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से हो रही है । वहीं इस तीर्थ का सम्मापन अगल् दिन 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा।
आपको बता दे कि कृष्ण जन्माष्टमी पूजा रात के 12 बजे तक चलती हे क्यो कि कृष्ण का जन्म 12 हुआ था इस साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
क्या है कृष्ण जन्माष्टमी का पूजा करने का शुभ मुहूर्त,       
आपको बता दे कि कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा करने का शुभ मुहूर्त,     6 सितंबर को रात के 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट के बीच जन्माष्टमी की पूजा की जाएगी। बता दें कि कान्हा का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में हुआ था। 06 सितंबर को रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत सुबह 09 बजकर 20 मिनट से हो रही है। अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। वहीं जन्माष्टमी व्रत का पारण 7 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट या शाम 04 बजकर 14 मिनट के बाद किया जा सकेगा।
कृष्ण जन्माष्टमी का क्या है महत्व  
जिस तरह भारत में हिंदुओं के प्रमुख त्योहार होली दीपावली को मनाया जाता है. ठीक उसी तरह कृष्ण की जन्माष्टमी के अवसर पर धूमधाम से इस पर्व को भारतवर्ष में हिंदु समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
देश के प्रत्येक राज्य में अलग-अलग तौर तरीकों से जन्माष्टमी की पूजा कर भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न किया जाता है. लेकिन एक खास बात जो इस पर्व में आस्था के रूप में देखी जाती है की इस दिन आराध्य के जन्म में सभी माताएं बहने बच्चे बूढ़े व्रत/उपवास से खते हैं।
तथा शाम को पूजा के बाद व्रत को तोड़ते हैं! भगवान कृष्ण का युगों युगों से आस्था के केन्द्र के रूप में हिंदुओं द्वारा पूजन जाते हैं. अतः भक्ति एवं सौहार्द के साथ इस महापर्व को साथ में मिलकर सेलिब्रेट किया जाता है।

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