Ainnews1.Com : नेशनल कांग्रेस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में विचार के लिए अपना नाम ‘सम्मानपूर्वक वापस’ लेने की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा कि मे मानता हु
कि जम्मू और कश्मीर एक महत्वपूर्ण मोड़ से गुजर रहा है और इन अनिश्चित समय को नेविगेट करने में मदद करने के लिए मेरे प्रयासों की आवश्यकता रहेगी .लोकसभा सांसद और नेशनल कांग्रेस प्रमुख अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा कि वह अब सम्मानित महसूस कर रहे हैं
कि उनका नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया जा रहा था. पर बहुच विचार करने के बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया है .उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जम्मू और कश्मीर एक महत्वपूर्ण मोड़ से गुजर रहा है और इन अनिश्चित समय को नेविगेट करने में मदद करने के लिए मेरे प्रयासों की आवश्यकता पड़ सकती है . मेरे आगे बहुत अधिक सक्रिय राजनीति है. मैं जम्मू-कश्मीर और देश की सेवा में सकारात्मक योगदान देने के लिए तत्पर रहा हु और रहूँगा .
इसलिए मैं सम्मानपूर्वक अपना नाम विचार से वापस लेना चाहता हूं और मैं संयुक्त विपक्षी सर्वसम्मति के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए तत्पर हूं.जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री से कुछ दिनों पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने भी शीर्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की पेशकश को ठुकरा दिया था. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और शिवसेना सहित 17 विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक बैठक में शरद पवार के नाम का प्रस्ताव रखा गया था. बैठक के बाद पवार ने ट्वीट किया कि मैं भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम सुझाने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं की ईमानदारी से सराहना करता हूं. हालांकि, मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने विनम्रतापूर्वक प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है.