AIN NEWS 1: बता दें नई दिल्ली से ही लगभग 50 किमी दक्षिण में सोमवार को दो गुटों के बीच में काफ़ी ज्यादा झड़प में दो पुलिस कर्मियों सहित कम से कम पांच लोगों की इस घटना में मौत हो गई. जान ले नूंह हिंसा के एक दिन बाद ही कई जगहों पर काफ़ी ज्यादा तनाव पसर गया. इसी के साथ मे सोशल मीडिया पोस्ट से भी माहौल बिगड़ने वालो पर सवाल उठने लगे. ओर ये पूरी हिंसा तब शुरू हुई जब एक हिंदू धार्मिक जुलूस हरियाणा राज्य के ही मुस्लिम बहुल नूंह जिले से गुजर रहा था. इस पूरे मामले में ही पुलिस की निष्क्रियता पर भी काफ़ी सवाल उठाए जा रहे हैं. ओर तो ओर इन सभी झड़पों के लिए कुछ हद तक वहा पर मोनू मानेसर द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए एक पोस्ट जिसमे उन्होंने एक वीडियो को डाला उसे जिम्मेदार ठहराया गया है, आपकों बता दें जो पिछले साल दो मुस्लिम पशु व्यापारियों की हत्या का आरोपी भी है और स्व-घोषित ‘गौ रक्षक’ या गोरक्षक है.मोनू मानेसर का यह वीडियो, जिसमें उसने इस धार्मिक कार्यक्रम में अपने भाग लेने की घोषणा की और दूसरों से उनके साथ इस कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह भी किया. जिस पर वहा से मुस्लिम समुदाय की ओर से काफ़ी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की गई, जिसके जवाब में ही कुछ सदस्यों ने मोनू मानेसर को भी खुली चुनौती दी और धमकी दी. आखिरकार मानेसर इस कार्यक्रम में तो शामिल नहीं हुआ, लेकिन उसकी इस पोस्ट से ही क्षेत्र में काफ़ी तनाव पैदा करने के लिए पर्याप्त थी. इस मामले में नूंह से विधायक चौधरी आफताब अहमद ने मिडिया से कहा, ”मेरा मानना है कि यह प्रशासन की विफलता है. इससे पहले कि माहौल तनावपूर्ण होता, हम अधिकारियों के पास भी गए और उनसे कहा कि मामला बढ़ने से पहले उन्हें कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. ओर अगर सही कदम उठाया गया होता तो” उचित समय पर सही फैसले ले लिए गए, तो ऐसा नहीं होता.

इसमें यह अफवाह भी जुड़ गई कि मोनू मानेसर यहीं है.”नूंह और गुरुग्राम दोनों में स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने मंगलवार को हिंदू और मुस्लिम समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात भी की और शांति की अपील की. लेकिन गुरुग्राम में पूरी तरह से अशांति जारी रही क्योंकि वहां भीड़ सड़कों पर घूम रही थी, कबाड़ की दुकानों में आग लगा रही थी और छोटे भोजनालयों में भी तोड़फोड़ कर रही थी, जिनमें से अधिकांश लोग मुसलमानों के थे. जिले के अधिकांश हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं, और नूंह में स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी शुरुआती गतिरोध के कारणों की गई जांच कर रहे हैं जिससे कि वहां हिंसा भड़की. सवाल यह है कि पुलिस ने सोशल मीडिया पर बढ़ते तनाव पर समय रहते कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, मोनू मानेसर को भी अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, और वे एक संवेदनशील क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश से आख़िर कैसे अंजान रहे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here