Vishnu Shankar Jain Questions Supreme Court Order on Waqf Law
AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर लगातार दूसरी बार सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा। सरकार ने कोर्ट से एक हफ्ते का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। साथ ही कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश देते हुए निर्देश दिया कि वक्फ बोर्ड में कोई भी नई नियुक्ति इस दौरान नहीं की जाए।
यह मामला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने वक्फ बोर्ड को लेकर याचिका दाखिल की थी, तो कोर्ट ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया था कि उन्हें पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए। उस वक्त उन्हें कोई भी अंतरिम राहत नहीं मिली थी।
विष्णु शंकर जैन की आपत्ति
विष्णु शंकर जैन का कहना है कि जब उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बोर्ड से जुड़ी याचिका दाखिल की, तो कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि उन्होंने हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। कोर्ट ने उन्हें सलाह दी कि वे पहले हाई कोर्ट जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में ऐसे 140 से ज्यादा मामले पहले से लंबित हैं। इसके बावजूद उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकता नहीं दी।
अब जब वक्फ संशोधन अधिनियम से जुड़े दूसरे पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, तो कोर्ट ने न सिर्फ मामले की सुनवाई शुरू की, बल्कि अंतरिम आदेश भी जारी कर दिया है। इसी बात को लेकर विष्णु शंकर जैन ने सवाल उठाए हैं कि क्या अलग-अलग पक्षों के लिए न्यायिक मापदंड अलग-अलग हैं?
समानता की मांग
वरिष्ठ वकील ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले 13 सालों से सुप्रीम कोर्ट में चार राज्यों के हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं। इनमें से किसी पर अब तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है।
संवैधानिक पीठ की मांग
विष्णु शंकर जैन ने यह भी सुझाव दिया कि वक्फ अधिनियम से जुड़े सभी मामलों को एक ही हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए ताकि सुनवाई में समानता बनी रहे। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि एक संवैधानिक पीठ का गठन किया जाए, जो इन सभी मामलों की सुनवाई तय समयसीमा में करे।
उनका कहना है कि अगले छह महीनों में संवैधानिक पीठ बनाकर इन विवादों का हल निकलना चाहिए। इससे न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि सभी पक्षों को समान अवसर भी मिलेगा।
विष्णु शंकर जैन ने न्याय प्रक्रिया में एक समान मानक की मांग की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किस आधार पर कोई याचिका तुरंत स्वीकार की जाती है और किसे हाई कोर्ट भेज दिया जाता है। उनका कहना है कि जब तक न्यायिक मापदंड स्पष्ट नहीं होंगे, तब तक पक्षपात और असमानता के आरोप लगते रहेंगे।
Senior advocate Vishnu Shankar Jain has questioned the Supreme Court’s handling of the Waqf Amendment Bill, highlighting concerns over judicial inconsistency. Jain expressed dissatisfaction after his petition on the Waqf Board was redirected to the High Court, while other petitions were heard in the Supreme Court with interim orders. He has demanded a constitutional bench and equal treatment in the Indian judiciary system, raising issues surrounding the Hindu Endowment Act and calling for all Waqf-related cases to be centralized in one High Court for uniformity.