उत्तर प्रदेश: नोएडा में पाया गया डेंगू का सबसे खतरनाक वेरिएंट डेन-2 स्ट्रेन : 6 घंटे तक एक्टिव रहता है टाइगर मच्छर;

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार समेत देश के कई सारे राज्यों में डेंगू के मामले काफ़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। केवल यूपी में ही डेंगू के कुल 3400 से ज्यादा मामले अब तक सामने आए हैं। गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ में भी मिलाकर डेंगू के कुल 1100 से ज्यादा केस अब तक सामने आए हैं। गाजियाबाद और नोएडा में 4 दिनों में ही तीन लोगों ने अपनी जान भी गवा दी है। नोएडा में भी डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन पाया गया है, जो की बाकी स्ट्रेन के मुकाबले में ज्यादा घातक होता है।आमतौर पर यह डेंगू का मच्छर जुलाई से अक्टूबर के बीच में ही ज्यादा तेजी से पनपता है। जैसे इस बार बारिश में गंगा, यमुना समेत कई नदियों का जलस्तर काफ़ी ज्यादा बढ़कर बाढ़ के हालात बने। इससे मच्छरों को ज्यादा पनपने का मौका मिला। पिछले साल के मुकाबले में इस साल अब तक चार गुना ज्यादा डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं।

जान ले इसी हफ्ते प्रदेश में हुई भारी बारिश से डेंगू के एडीज मच्छर (एशियन टाइगर) के लिए माहौल और मुफीद हो गया है। इस दौरान डॉक्टर कह रहे हैं कि इस बारिश से डेंगू के मामले सर्दियां शुरू होने के बाद तक भी आ सकते हैं। जिन जगहों पर भी बारिश में पानी ज्यादा जमा हुआ है, वहां पर और ज्यादा सावधानी की जरूरत है।

जान ले क़रीब 6 घंटे तक एक्टिव रहता है डेंगू मच्छर, घर-बाहर दोनों जगह होता है मौजूद

लखनऊ में ही लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय के निदेशक डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव हमे बताते हैं, “डेंगू का मच्छर सूर्य के निकलने के 3 घंटे और सूर्य अस्त से पहले के तीन घंटों में काफ़ी ज्यादा एक्टिव होता है। यह मच्छर रात में या तेज धूप में तो ज्यादा एक्टिव नहीं रहता। लेकीन अगर कोई स्टेंडिंग पोजिशन में हैं, तो यह मच्छर उसे घुटने से नीचे काट सकता है। “उन्होंने बताया, “अगर कोई बैठे हुए या लेटी हुई पोजिशन में है तो हाथ और चेहरा भी इसकी जद में आसानी से आ जाता है। यह मच्छर घर, ऑफिस और पार्क सभी जगहों पर मिलता है। इसलिए घर में या बाहर निकलने पर हाथों-पैरों को पूरी तरह से अच्छे से कवर रखें। डेंगू से संक्रमित इंसान को काटकर एडीज मच्छर दूसरे इंसानों तक इस वायरस को आसानी से पहुंचाता है।

डॉ. नीलांबर ने बताया, “जिस मौसम में भी डेंगू नहीं फैलता, यह मच्छर तब भी पूरी तरह से एक्टिव रहता है लेकिन डेंगू नहीं फैला पाता। मच्छरों के अलावा डेंगू चुनिंदा मामलों में ही इंसानों से इंसानों में फैल सकता है जैसे- ब्लड ट्रांसफ्यूजन या बच्चे को जन्म देते समय महिला से उसके बच्चे को ।”

डेंगू मच्छर के काटने के 3 से 5 दिन बाद दिखते हैं इसके लक्षण 

इनमे जोड़ों में दर्द की वजह से आम बोलचाल की भाषा में डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत ज्यादा दर्द होता है। डेंगू मच्छर के काटने के करीब 3-5 दिनों के बाद में मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण साफ़ दिखाई देते हैं। कई बार अगर बुखार नहीं भी आ रहा है। वैसे तो डेंगू का सबसे अहम लक्षण बुखार है जो 4 से 10 दिन तक रह सकता है।ये पेशेंट की उम्र, जेंडर, इम्यूनिटी और मेडिकल कंडिशन पर भी पूरी तरह से डिपेंड करता है। यह मच्छर साफ पानी में ज्यादा पनपते हैं। इसलिए शहरों में पानी भरने पर डेंगू के मामले काफ़ी ज्यादा तेजी से फैलते हैं।

डॉ. नीलांबर कहते हैं कि अगर कोई भी मरीज इसके एक स्ट्रेन से संक्रमित है, तो उसकी इम्यूनिटी दूसरे स्ट्रेन के मरीज पर काम बिलकुल नहीं करेगी। हां, अगर वह रिकवरी के बाद दूसरे स्ट्रेन से संक्रमित हो गया है, तो यह स्थिति पूरी तरह जानलेवा हो सकती है। कई मरीजों में डेंगू की इम्यूनिटी कुछ महीने तो कुछ में यह सालभर के लिए रहती है।

वैसे सामान्य डेंगू बुखार में तो ऐसा नहीं होता, लेकिन डेंगू हेमोरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम में मल्टीपल ऑर्गन को काफ़ी खतरा रहता है। मच्छरों से होने वाले रोगों और लिवर इन्फेक्शन का न केवल एक ही टाइम है, बल्कि डेंगू का लिवर पर भी काफ़ी ज्यादा असर पड़ता है। डेंगू होने पर लिवर में स्वेलिंग, वायरल हेपेटाइटिस, पीलिया के लक्षण भी दिखना, लिवर एंजाइम बढ़ने के साथ पेट दर्द भी इससे होता है।

इसी तरह डेंगू में डिहाइड्रेशन और लो ब्लड प्रेशर से भी किडनी के फंक्शन पर भी काफ़ी ज्यादा असर पड़ता है। आपकी किडनी तक ब्लड फ्लो कम होने पर भी किडनी इंजरी भी हो जाती है। डेंगू शॉक सिंड्रोम होने पर दिल को शरीर के कई अहम अंगों तक खून पहुंचाने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। इससे हमारे शरीर का कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पूरी तरह से डगमगा जाता है।

इसकी रिकवरी के एक हफ्ते बाद तक भी डॉक्टर के संपर्क में रहें, चक्कर या बेहोशी का खतरा

डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव ने हमे बताया कि डेंगू के लक्षण सामने आने पर अपनी मर्जी से तो कोई ब्लड टेस्ट न कराएं। तुरंत ही डॉक्टर के पास जाएं और अपने लक्षण बताएं। इसके लक्षण देखकर ही इसके टेस्ट और ट्रीटमेंट शुरू होता है। क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह से दवा लेने पर आपके शरीर से प्लेटलेट्स अचानक से कम हो सकती हैं। खासतौर पर सिरदर्द या बदनदर्द होने पर भी डिस्प्रिन या एस्प्रिन लेने से ब्लीडिंग भी बढ़ सकती है।

डॉक्टर भी डेंगू के इलाज में बुखार और दर्द कम करने के लिए पैरासिटामोल ही देते हैं। चुके यह ब्लड क्लॉट नहीं बनने देती। डेंगू से रिकवरी के कुल 3-4 दिन बाद भी चक्कर आने या फिर अचानक बेहोशी के मामले भी सामने आते हैं। इससे बच्चों में ऐसा काफ़ी ज्यादा देखा जाता है। इसके साथ ही 2-3 दिन नॉर्मल रहने के बाद ब्लड में काफ़ी बदलाव आता है। कई बार ब्लड प्रेशर लो होने से भी बेहोशी आ जाती है। बता दें कि डेंगू के मच्छर को एशियन टाइगर के नाम से भी जाना जाता है।

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