उत्तर प्रदेश: किसी भी मेडिकल स्टोर पर दवा लेने जाने से पहले पढ़ लें ये खबर नहीं तो पछताना पड़ेगा, नकली दवा की हो रही सप्लाई!

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले मे अगर आप किसी भी बीमारी में खुद को डॉक्टर को दिखाने के बाद किसी मेडिकल स्टोर से अपने लिए दवाई लेकर निश्चिंत हो जाते हैं तो यह पूरी खबर को प्रमुखता से पढ़ना आपके लिए बहुत ही जरूरी है। आपको यहां पर थोड़ा अलर्ट होने की भी जरूरत है। दरअसल बता दें, घंटाघर कोतवाली पुलिस ने शनिवार रात कोटद्वार से आने वाली कुछ नकली दवाओं की खेप के साथ चार लोगों को भी गिरफ्तार किया है। इस पूरे मामले में डीसीपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि एक सूचना के आधार पर रेलवे स्टेशन के पास से मालगोदाम यात्री शेड से कुछ दवाएं बरामद की गई हैं। यहां पर दवाई लेकर जा रहे चार लोगों को भी पुलिस ने अरेस्ट किया है। इन सभी की पहचान बुलंदशहर के श्रीपाल, नोएडा के मुकेश, द्वारकापुरी दिल्ली के शावेज और पटेल नगर गाजियाबाद के ही रहने वाले पुनीत के रूप में हुई है।निपुण अग्रवाल ने इस मामले में बताया कि आरोपियों के पास से एंटी बैक्टीरियल दवा ऑगमेंटिन के कुल 20 डिब्बे और दर्द में प्रयोग होने वाले अल्ट्रासेट के भी 10 डिब्बे बरामद हुए हैं। इसके अलावा इनके पास से कुछ मैन्युफेक्चरिंग और एक्सपायरी डिटेल डालने वाली 26 मुहर समेत अन्य कई सारे सामान भी मिला है। इस गैंग के ही दो सदस्य शंकर राम और सरफराज अभी भी फरार हैं। इनके पूरे नेटवर्क की पूरी जानकारी की जा रही है।

पुलिस को लैब की रिपोर्ट का इंतजार

गाज़ियाबाद पुलिस के अनुसार दवाओं को पकड़ने के बाद सबसे प्राथमिक जांच करके हमने ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा को भी मौके पर बुलाया। आशुतोष मिश्रा ने ही मिडिया को बताया कि मौके पर जाकर उन्होंने इन सभी दवाओं को अच्छे से चेक किया तो फिजिकल जांच में ही वह सभी नकली लग रही थी। उनके टैक्सचर के साथ साथ अन्य कई स्थिति असली दवाओं जैसी बिलकुल नहीं थी। ये दवाएं आखिर किस-किस चीज से बनी हुई हैं और इनके सेवन से मरीज को क्या-क्या नुकसान हो सकता है, इसका सही पता लैब रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा।

ये सभी लोग दूसरों की जान डाल रहे खतरे में

पुलिस ने आगे बताया कि यह नेटवर्क कोटद्वार उत्तराखंड से ही चल रहा है। यहां सरफराज विभिन्न मेडिकल स्टोर से डील किया करता है और वह डिमांड तैयार कर उसके बारे में शावेज को बताता है। फिर पुनीत और श्रीपाल को इस सब की जानकारी दी जाती है। श्रीपाल, शंकर राम को भी इस डिमांड की जानकारी देकर दवाएं यहां पर मंगवाता है। डीसीपी ने बताया कि ऑगमेंटिन का एक ही बॉक्स करीब 2 हजार रुपये का है। यह श्रीपाल को मात्र 400 रुपये में, शावेज को 430 रुपये में व सरफराज को 490 रुपये में ही मिलता है। दूसरी ओर दर्द वाली दवा अल्ट्रासेट का बॉक्स भी करीब 2400 रुपये का है।यह दवाई श्रीपाल को 650 रुपये में, शावेज को 700 रुपये में और सरफराज को कुल 830 रुपये में मिलती है। इस दवाई की सप्लाई रोडवेज बस से होती है, जिसे गाजियाबाद में पुनीत ही रिसीव करता है। इसके बाद से यह मेडिकल स्टोर पर किस कीमत पर इन दवाओं को पहुंचा रहा है, इसके बारे में भी अभी सरफराज की गिरफ्तारी के बाद ही पता चल सकेगा।

इनके द्वारा गाजियाबाद और अलीगढ़ में भी सप्लाई की मिली जानकारी

इस पूरे मामले में पुलिस के अनुसार, गैंग से पूछताछ में यह सामने आया है कि दवाओं की सारी सप्लाई गाजियाबाद और अलीगढ़ के कुछ मेडिकल स्टोर में भी हो रही थी। इसमें हिंडन विहार स्थित भी दो मेडिकल स्टोर का पता चला है। पुलिस उसे भी वेरिफाई कर रही है। साथ ही इस प्रकार के अन्य गैंग के बारे में भी पुलिस पूरी जानकारी जुटा रही है। इस मामले में ड्रग्स विभाग की तरफ से भी ज्यादा जांच शुरू की गई है।

आप बिना बिल न लें कोई भी दवा

ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा ने ही बताया कि इन नकली दवाओं की पैकिंग बिल्कुल ही असली की तरह होती है। और आम व्यक्ति इसमें कोई फर्क नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि नकली दवाओं से बचने के लिए आप कभी भी बिना बिल के कोई दवा न लें। इस प्रकार की किसी भी दवा का बिल देने से मेडिकल स्टोर संचालक काफ़ी बचते हैं। जिले में अगर कोई भी मेडिकल स्टोर वाला दवा का बिल आपकों न दे और मांगने पर भी मना करे तो 9559401111 पर कॉल कर आप अपनी शिकायत करें, ऐसे लोगों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

अब समझे किस तरह करें असली नकली की पहचान

सभी असली दवाइयों पर उनका यूनीक कोड प्रिंट होता है। इस कोड में ही इस दवा की मेन्युफैक्चरिंग डेट और लोकेशन से लेकर इसकी सप्लाई चेन तक की पूरी जानकारी दर्ज होती है। इस लिस्ट में एंटीबायोटिक, पेन रिलीफ पिल्स, एंटी एलर्जिक दवाइयां भी शामिल हैं। कोई भी दवाई लेने के बाद उसके रैपर पर बने क्यूआर कोड को एक बार जरूर स्कैन करें। कुछ लोगों के मन में ये सवाल भी होता है कि जब कोई दवाई नकली बनाई जा सकती है तो उसका क्यूआर कोड भी तो नकली हो सकता है। पर ऐसा बिलकुल नहीं है। दवाइयों पर बना क्यूआर कोड या यूनीक कोड काफ़ी एडवांस वर्जन वाला होता है। इसे सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी ही जारी करती है। और हर दवा के साथ ही उसका यूनीक क्यूआर कोड भी चेंज होता है। इसलिए इसे कॉपी करना लगभग पूरी तरह से नामुमकिन है। 100 रुपये की ऊपर की सभी दवाओं पर यह बारकोड लगाना बेहद अनिवार्य होता है। ऐसे में बिना बारकोड वाली दवाई बिलकुल भी न खरीदें।

अब जान ले यह बैच हैं नकली

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