Vice President Jagdeep Dhankhar Highlights Citizens’ Role as Soul of Indian Democracy
“हर नागरिक है लोकतंत्र की आत्मा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान”
AIN NEWS 1 दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में दिए गए अपने संबोधन में नागरिकों की भूमिका को लोकतंत्र की आत्मा बताया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि संवैधानिक पद केवल औपचारिक या सजावटी होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र केवल सरकार या नेताओं से नहीं बनता, बल्कि इसकी आत्मा प्रत्येक नागरिक में बसती है।
धनखड़ ने कहा, “मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि हाल ही में कुछ लोगों ने यह सोच व्यक्त की कि संवैधानिक पद केवल औपचारिक होते हैं। यह सोच न केवल गलत है बल्कि लोकतंत्र की मूल भावना के विरुद्ध है। किसी भी लोकतंत्र में हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।”
नागरिकों की भूमिका को बताया सर्वोपरि
धनखड़ के अनुसार, भारत जैसे विशाल लोकतंत्र की नींव उसके नागरिकों पर टिकी होती है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए नागरिक सर्वोच्च है क्योंकि एक राष्ट्र और लोकतंत्र नागरिकों से ही बनता है। हर नागरिक की अपनी जिम्मेदारी है। लोकतंत्र की आत्मा हर नागरिक में बसती है और जब नागरिक जागरूक होता है, सक्रिय होता है और योगदान देता है, तभी लोकतंत्र का विकास होता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों की भागीदारी का कोई विकल्प नहीं है। नागरिक अगर अपनी भूमिका को समझें और उसका ईमानदारी से पालन करें, तो लोकतंत्र को मजबूती मिलती है और उसकी गुणवत्ता बढ़ती है।
संवैधानिक पदों को “सजावटी” कहना खतरनाक सोच
धनखड़ ने यह बयान उन विचारों की प्रतिक्रिया में दिया जो यह मानते हैं कि कुछ संवैधानिक पद केवल औपचारिकता भर हैं। उन्होंने इस सोच को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक बताया। उनके अनुसार, चाहे वह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या एक आम नागरिक हो—हर कोई लोकतंत्र के ताने-बाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने कहा, “कोई भी संवैधानिक पद सजावटी नहीं हो सकता। संविधान ने सभी को अपनी-अपनी भूमिकाएं सौंपी हैं और उनका सम्मान करना लोकतंत्र का मूल मंत्र है।”
जागरूक नागरिक ही लोकतंत्र का भविष्य
उपराष्ट्रपति ने नागरिकों से अपील की कि वे अपनी भूमिका को गंभीरता से लें। “जब नागरिक सजग रहता है, तब लोकतंत्र पुष्पित होता है। नागरिकों के योगदान की कोई जगह नहीं ले सकता। यह योगदान ही लोकतंत्र की शक्ति है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने युवाओं से भी आग्रह किया कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों को समझें, मतदान करें, प्रश्न पूछें और समाज में सकारात्मक योगदान दें।
लोकतंत्र का तंत्र: हर व्यक्ति की भागीदारी जरूरी
धनखड़ ने अपने वक्तव्य में लोकतंत्र की परिभाषा को सरल और सटीक ढंग से प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, लोकतंत्र सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह निरंतर प्रक्रिया है जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र एक जीवित व्यवस्था है और इसकी धड़कन हर नागरिक में सुनाई देती है।”
राजनीति से ऊपर उठकर संविधान का सम्मान
धनखड़ ने राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर संविधान और लोकतंत्र को सर्वोपरि रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि हम संवैधानिक संस्थाओं और उनके पदाधिकारियों का सम्मान करें और उनके कार्यों को समझें।
नागरिक चेतना से ही मजबूत होगा लोकतंत्र
उपराष्ट्रपति के इस बयान को लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है। उनका यह कहना कि “हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है” हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र की सफलता केवल सरकार या नीति-निर्माताओं पर नहीं, बल्कि आम नागरिकों की सजगता, ईमानदारी और भागीदारी पर भी निर्भर करती है।
भारत जैसे देश में, जहां विविधता और मतभेद बहुतायत में हैं, नागरिकों की सहभागिता ही लोकतांत्रिक मूल्यों को जीवित रख सकती है।
In a powerful speech, Vice President Jagdeep Dhankhar stressed that the real strength of Indian democracy lies in its citizens. He firmly rejected the idea that constitutional offices are merely ceremonial, stating that both citizens and constitutional functionaries have vital roles to play in shaping the nation. Emphasizing citizen contribution, awareness, and participation, he called the citizen the soul of democracy—an essential pillar for sustaining democratic values in India.