बता दे कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही दिनों में कहा कि फेसबुक या एक्स पर अश्र्लील पोस्ट लाइक करना कोई अपराध नही है साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसे पोस्ट को शेयर करना या फिर रीट्वीट करना अपराध है साथ ही अदालत ने कहा कि केवल फेसबुक या ट्विटर पर किसी अश्लील पोस्ट को लाइक करना (आईटी अधिनियम) की धारा 67 के तहत अपराध नहीं होगा। उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर अश्लील पोस्ट साझा करना या रीट्वीट करना आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत प्रसारण माना जाएगा। अदालत ने ये टिप्पणियां उस मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं। जिसमें एक व्यक्ति पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश पोस्ट करने का आरोप लगाया गया था। तभी कोर्ट ने ये फैसला लिया था
सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर क्या है आरोप
बता दें कि न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, धारा 67 सूचना प्रौद्योगिकी के तहत दर्ज मामले और गैर-जमानती वारंट को रद्द करने के लिए दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में आवेदक के खिलाफ आरोप यह था कि उसने सोशल मीडिया पर कुछ उत्तेजक संदेश पोस्ट किए, जिसके परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय से संबंधित लगभग 600-700 लोगों ने बिना अनुमति के जुलूस की व्यवस्था की, जिससे उल्लंघन का गंभीर खतरा पैदा हो गया।
अश्लील पोस्ट को लाइक करना कोई अपराध नहीं है
बता दे आपको हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुआ कहा कि अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करना अपराध है। किसी पोस्ट या संदेश को तब प्रकाशित कहा जा सकता है जब उसे पोस्ट किया जाता है, और किसी पोस्ट या संदेश को प्रसारित तब कहा जा सकता है जब उसे साझा किया जाता है या रीट्वीट किया जाता है। इसके अलावा, पीठ ने कहा कि केस डायरी में ऐसी सामग्री है जो दर्शाती है कि आवेदक ने गैरकानूनी सभा के लिए फरहान उस्मान की पोस्ट को पसंद किया है, लेकिन किसी पोस्ट को पसंद करने का मतलब पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करना नहीं होगा, इसलिए, केवल लाइक करना है किसी पोस्ट पर आईटी धारा 67 लागू नहीं होगी। अगर अश्लील पोस्ट को लाइक के अलावा रीट्वीट किया जाता है या फिर किसी और को साझा किया जाता है तो वह अपराध होगा। अदालत ने अपने फैसले में बताया कि इस तरह की पोस्ट साझा करना सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के अनुसार ट्रांसमिशन की श्रेणी में आता है और दंड के अधीन होगा।