DDA Demolishes Over 200 Slums in Mayur Vihar Yamuna Khadar During Encroachment Drive
मयूर विहार यमुना खादर में डीडीए की बड़ी कार्रवाई, 200 से अधिक झुग्गियां और खेत किए ध्वस्त
AIN NEWS 1: पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार यमुना खादर क्षेत्र में डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) ने शुक्रवार को एक बड़ा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। इस दौरान 10 से अधिक बुलडोजर की मदद से 200 से ज्यादा झुग्गियां ध्वस्त कर दी गईं। यह कार्रवाई एनएच-9 से डीएनडी फ्लाईवे के बीच की गई, जहां झुग्गियों के अलावा खेतों और पौधों की नर्सरियों को भी नुकसान पहुंचाया गया।
क्यों की गई ये कार्रवाई?
डीडीए के अनुसार, यह क्षेत्र “नेचर पार्क” के लिए प्रस्तावित है। लेकिन लंबे समय से यहां पर अवैध रूप से झुग्गियां बनाकर लोग रह रहे थे। पहले भी उन्हें कई बार चेतावनी दी गई, लेकिन लोग बार-बार आकर दोबारा बस जाते थे। इस बार डीडीए ने पहले से नोटिस देकर चेतावनी दी थी कि यदि कब्जा नहीं हटाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कार्रवाई का दृश्य
अभियान के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल और डीडीए अधिकारी मौके पर मौजूद थे। जैसे ही बुलडोजर झुग्गियों की ओर बढ़े, लोग ट्रैक्टर, टेंपो और रेहड़ी में अपना सामान लेकर भागते नजर आए। कुछ लोग रोते-बिलखते दिखे, वहीं कुछ ने कहा कि अब वे नजदीकी आश्रय स्थलों या न्यू अशोक नगर और त्रिलोकपुरी जैसे इलाकों में कमरा किराए पर लेंगे।
खेत और नर्सरियों को भी नहीं बख्शा
इस इलाके में केवल झुग्गियां ही नहीं थीं, बल्कि लोग यहां पर सब्जियों की खेती और पौधों की नर्सरी भी चलाते थे। एक पीड़ित रामखिलावन ने बताया कि उन्होंने चिल्ला गांव के एक व्यक्ति से 20 बीघा जमीन सालाना 10,000 रुपये प्रति बीघा की दर से किराए पर ली थी। इसी जमीन पर वे खेती कर रहे थे। वहीं नर्सरी के लिए कुछ लोगों ने सालाना 50,000 रुपये किराया दिया था।
दबंगों का नेटवर्क: गरीबों से वसूली, खुद बचे
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि इस इलाके में कुछ दबंग सक्रिय हैं जो खुद जमीन पर कब्जा करके उसे बाहर से आए गरीब मजदूरों को किराए पर देते हैं। इन लोगों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई होती है और न ही डीडीए उनके खिलाफ कोई सख्त कदम उठाता है। पीड़ितों का आरोप है कि डीडीए केवल गरीबों की झुग्गियां हटाकर अपना फर्ज निभाता है, लेकिन असली दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती।
कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
डीडीए की इस कार्रवाई के खिलाफ कई लोग और सामाजिक संगठन पहले दिल्ली हाई कोर्ट गए थे, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने भी इस भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की सहमति दी थी, क्योंकि यह क्षेत्र सरकारी योजना का हिस्सा है।
पहले भी हुई थी ऐसी कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब यमुना खादर क्षेत्र में डीडीए ने ऐसी सख्त कार्रवाई की हो। पिछले वर्ष भी यहां बड़े स्तर पर बुलडोजर चलाए गए थे और 2,000 से अधिक झुग्गियां हटाई गई थीं। उस वक्त डीडीए ने सुरक्षा गार्ड भी नियुक्त किए थे ताकि दोबारा कब्जा न हो, लेकिन इसके बावजूद कुछ महीनों में ही लोग दोबारा आकर बस गए।
डीडीए की चुप्पी
इस पूरे मामले में जब डीडीए के प्रवक्ता बिजय पटेल से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने न तो कॉल का जवाब दिया और न ही व्हाट्सएप मैसेज का। इससे लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर डीडीए की निगरानी और कार्रवाई में पारदर्शिता क्यों नहीं है।
मयूर विहार यमुना खादर में डीडीए की कार्रवाई एक बार फिर से इस बात को उजागर करती है कि दिल्ली में अतिक्रमण और अवैध बस्तियों की समस्या कितनी गहरी है। जहां एक ओर सरकारें प्राकृतिक संरक्षण और योजना की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर हजारों गरीब लोग बेघर हो जाते हैं। सवाल यह है कि क्या ऐसे लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी या ये यूं ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक विस्थापित होते रहेंगे?
The Delhi Development Authority (DDA) launched a major anti-encroachment drive in Mayur Vihar’s Yamuna Khadar area, where over 200 illegal slums and farmlands were demolished using bulldozers. The drive targeted unauthorized settlements that had sprung up on land proposed for a nature park. Despite prior warnings and legal notices, the slum dwellers returned repeatedly, leading to the forceful clearance. This DDA demolition drive in Delhi has raised concerns about displacement, illegal land rentals, and the ongoing housing crisis in the capital.