Ainnews1.Com :- आपने डिटेक्टिव से जुड़ी फिल्में अपने जीवन में कभी न कभी जरूर देखीं होंगी। या फिर प्राइवेट डिटेक्टिव की कहानी सुनी होगी, जो मिनटों में मुश्किल से मुश्किल केस सुलझाने में माहिर है। शब्द से हमारे मन में कोट पेनट पहने एक व्यक्ति का ख्याल आता है। लेकिन आज हम आपको रियल जिंदगी में डिटेक्टिव रहीं रजनी पंडित के बारे में बताएंगे। जिनका नाम भारत के जासूसों में प्रसिद्ध है। चलिए जानते हैं रजनी पंडित की अनोखी कहानी और उनकी संघर्षरत लड़ाई के बारे में-देश की लेडी जेम्स बॉन्ड के नाम से प्रसिद्ध रजनी पंडित का जन्म 1962 में महाराष्ट्र के पालघर जिले में हुआ। बचपन से ही उन्हें जासूसी वाले उपन्यास पढ़ने बेहद शोक था ।
उस वक्त रजनी को बिल्कुल भी नहीं पता थी कि एक दिन वो देश की अनोखी जासूस बनेंगी।रजनी के पिता पुलिस में थे। इस कारण हमेशा से उन्हें क्राइम और रहस्य से जुड़ी चीजों के बारे में जानना बहुत पसंद था।रजनी ने मुंबई के रुपारेल कॉलेज से मराठी साहित्य में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की।ओर साल 1983 में रजनी ने अपनी एक क्लासमेट के चाल चलन को नोटिस करते हुए उस पर जासूसी करनी शुरू की। तब उन्होंने बड़ी ही होशियारी से यह पता लगाया था कि उसकी क्लासमेट वैश्यावृत्ति के काम मे शामिल है।
इस प्रकार रजनी को डिटेक्टिव से जुड़ा अपना पहला केस मिला।कॉलेज खत्म करने के बाद रजनी को क्लर्क की नौकरी मिली। उस वक्त ऑफिस में काम कर रही एक लेडी के घर चोरी हुई। लेडी को अपनी बहु पर शक था। तब रजनी ने इस केस को अपनी समझ ओर जासुसि से सुलझाया । लेडी का शक अपनी बहु पर था, मगर रीयल में उनका बेटा चोरी करता था। केस फाइल होने के बाद रजनी को पैसे मिले। इसी के साथ यह रजनी का पहला केस था जिसके उन्होंने पैसे मिले थे अपनी समझदारी से कमाल कर दिया।चोरी का केस सॉल्व करने के बाद रजनी पंडित की बहुत तारीफ हुई। लेकिन जब यह बात रजनी के पिता को पता चली, तब उन्होंने डिटेक्टिव के खतरे से सचेत किया। हालांकि रजनी की मां ने उन्हें अपना पुरा सपोर्ट भी किया और वे डिटेक्टिव के तौर पर उभर कर सामने आईं।रजनी के डिटेक्टिव करियर में उन्हें कई मुश्किल केस मिले।
लेकिन वो मानती हैं कि एक मर्डर मिस्ट्री का केस उनके लिए बेहद मुश्किल था। जबकि कई मुश्किलों के बाद रजनी ने इस केस को हल कर लिया।अपने करियर में कई केस हल करने के बाद रजनी ने साल 1991 में अपनी डिटेक्टिव एजेंसी की शुरुआत की, जो रजनी इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के नाम से फेमस हुआ। उन्होंने मुंबई के माहिम में एक कार्यालय स्थापित किया और 2010 तक 30 जासूसों को नियुक्त किया। उस दौरान वो करियर के टॉप पर थीं, जहां वो एक महीने में लगभग 20 मामलों पर काम करती थीं।रजनी की मानें तो अब तक वो कुल 80,000 केस को सुलझा चुकी हैं। रजनी ने डिटेक्टिव (महिलाओं के रिस्की करियर) से जुड़े अनुभवों पर ‘फेसेस बिहाइंड फेसेस’ और मायाजाल नाम की 2 किताबें लिखीं। अपने काम के लिए उन्हें कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है, यही वजह है कि बॉलीवुड में भी उन पर फिल्म बनाई जा चुकी है।तो ये थीं भारत की पहली महिला जासूस रजनी की कहानी, जो कई महिला जासूसों को इंस्पायर करती है। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया है तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।