AIN NEWS 1Liver Donation : आज हम आपको बताने वाले हैं के हममें से बहुत से लोग आज भी इस बात से पूरी तरह से अंजान हैं कि हमारे शरीर के कई सारे अंगों को आसानी से दान किया जा सकता है। और ऐसा करके किसी की जान भी बचाई जा सकती है। आज भी बहुत से लोग दान करने से डरते हैं, वो इसलिए क्योंकि उन्हें अभी भी लगता है कि अपनी जीवित अवस्था में शरीर के किसी भी अंग को दान देने से वे कुछ ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। लेकिन ऐसा पूरी तरह से सच नहीं है। खासतौर से जब बात किसी को लिवर डोनेशन की हो, तो लोगों का यह सोचना एकदम से गलत है। दरअसल हम आपकों बता दें, लिवर ही हमारे पूरे शरीर में एकमात्र ऐसा अंग है, जो कि इसके एक हिस्से को हटा दिए जाने के बाद भी फिर से अपने आप विकसित हो सकता है।जब हमारे लिवर का एक हिस्सा सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है और किसी मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो हमारे लीवर के दोनों हिस्से छह से आठ सप्ताह में फिर से वापस बढ़ जाते हैं। बता दें कि एक बार आपके लिवर के डैमेज होने के बाद इसका कोई भी मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं होता। इसे ठीक करने का एकमात्र ही तरीका होता है लिवर ट्रांसप्लांट यहां हम आपको बता दें लिवर ट्रांसप्लांट एक सर्जरी ही है, जिसमें किसी भी मरीज के खराब लिवर को हटाकर डोनर से लिया गया स्वस्थ लिवर को बदल दिया जाता है। तो आइए आज हम आपको मुंबई परेल के ग्लोबल हॉस्पीटल के एडल्ट हेपेटोलॉजी एंड लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट के सीनियर कंसल्टेंट एंड यूनिट हेड डॉ.अमित मंडोत से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं कि आख़िर यह कैसे किया जाता है लिवर डोनेट ।
जान ले 4-6 हफ्तों में पहले की तरह ही काम करने लगता है लिवर
इस पूरे प्रकरण में डॉ. मंडोत कहते हैं कि आपका लिवर अगर पूरी तरह से डैमेज भी हो जाए, तो यह फिर से ग्रो कर सकता है। एक बार जब ये पूरी तरह से विकसित होता है, तो 4-6 हफ्तों में पहले की तरह ही अपना काम कर सकता है। जिन लोगों को क्रॉनिक लिवर यानी की सिरोसिस की ही बीमारी होती है, उनका लिवर इतना ज्यादा डैमेज हो जाता है कि दोबारा से विकसित करने की क्षमता भी खत्म हो जाती है , इस स्थिति को ही लिवर का फेलियर कहते हैं।यहां हम आपको बता दें 18-55 की उम्र वाले लोग ही कर सकते हैं लिवर डोनेटडॉ. मंडोत के अनुसार, किसी के लिवर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर की उम्र 18-55 के बीच ही होनी चाहिए। इसमें डोनर का ब्लड ग्रुप मरीज के ब्लड ग्रुप से भी मैच होना चाहिए। इसके बाद डोनर के लिवर से जुड़े हुए सभी टेस्ट भी होते हैं, जिसमें उनके लिवर की हेल्थ, कंडीशन और वॉल्यूम सभी चीजें देखी जाती हैं। ये सभी चीजें भी सीटी स्कैन, एमआरआई या ब्लड रिपोर्ट के जरिए ही पता चलती हैं। अगर कभी लगता है कि डोनर का लिवर कुछ हेल्दी नहीं है, तो एक बायोप्सी करके माइक्रोस्कोप की मदद से भी इसे चैक किया जाता है।
जान ले आख़िर कैसा लिवर होता है हेल्दी
यहां लिवर के एंजाइम्स जैसे एसजीओटी, एसजीपीटी, बिलीरुबिन लेवल ये सभी पूरी तरह से नॉर्मल होने चाहिए।
आपके लिवर के ऊपर बहु़त ज्यादा मात्रा में फैट जमा नहीं होना चाहिए।
डोनर की फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी अच्छी होनी चाहिए।
इसके लिए डोनर का वजन स्वस्थ यानि बीएमआई 32 से कम होना चाहिए।
लिवर डोनेशन एक तरह से से सुरक्षित सर्जरी है।
ये किसी भी व्यक्ति की जान बचा सकती है।
यहां हम आपको बता दें एक डोनर के नाते यदि आप घबराए हुए हैं या नहीं जानते कि आपकों क्या करना है , तो किसी अन्य लिविंग लिवर डोनर से आप बात करें। इससे आप अपने फैसले को लेकर काफ़ी कॉन्फिडेंस महसूस करेंगे। इसके लिए डॉक्टर से भी जाने कैसे किया जाता है लिवर डोनेटलिविंग
लिवर डोनेशन एक बेहतर विकल्प
ज्यादातर लोग जिन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की बहुत ज्यादा जरूरत है, वे मृत दाता से अंग दान के लिए महीनों या वर्षों तक इसका इंतजार करते हैं। लिवर की बीमारी की लास्ट स्टेज वाले लोगों के लिए लिविंग लिवर डोनेशन एक बेहतर विकल्प है। ऐसा व्यक्ति जिसका लिवर हेल्दी है, अगर वो अपना लिवर डोनेट करे , तो उसका लिवर फिर से पूरी तरह से विकसित हो जाता है। इसलिए पूरे भारत और एशिया में लिविंग लिवर डोनर ट्रांसप्लांटेशन बहुत ज्यादा पॉपुलर है।