Ainnews1.Com:-इस बात पर यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास बीजेपी का समर्थन करेंगे अगर यदि कोई कहे कि मुख्तार अंसारी के परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का ऐलान करता है तो शायद किसी का भी यकीन करना उसके लिए मुश्किल होगा। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी ने यह ऐलान कर दिया। कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू को वोट देने का अपना मन बना लिया है। अखिलेश यादव जो कि माफियाओं को शरण देने के लिए बदनाम है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतारा गया था।
ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से उन्होंने चुनाव लड़ा था। और मऊ विधानसभा से जीत भी हासिल की थी। लेकिन अब्बास अंसारी की जुबान फिसल गई जिसका खामियाजा अखिलेश यादव को भुगतना पड़ा था।अब वो अब्बास राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के लिए वोट करेंगे। आखिर उनकी ऐसी क्या मजबूरी है। जो उनके लिए बीजेपी जरूरी है। यह सवाल हर किसी के दिमाग में आ रहा है कि अब्बास अंसारी कि ऐसी क्या मजबूरी हो रही है जो वह बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन करना जरूरी समझ रहे हैं। क्योंकि यह तो वही अब्बास अंसारी हैं । जो बीते विधानसभा चुनाव में यह एलान करते थे कि मैंने अखिलेश भैया से बात कर ली है अगर आपको यह बात याद नहीं है तो हम याद दिला दें। की एक जनसभा को मंच से संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी ने कहा था कि मैं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जी से कह कर आया हूं । कि 6 मई तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी, जो जहां है वही रहेगा। पहले हिसाब होगा उसके बाद उनके जाने पर मोहर लगाई जाएगी। हम तो बाहुबली हैं। हमें इससे कोई गुरेज नहीं है मेरे नौजवान साथियों की तरफ से कुछ बेल सिंह निकाल कर खड़े हैं। समय आने दो इन्हें खूंटे से यही नहीं बाँधा तो बोलिएगा, अखिलेश यादव से मैंने कहा था। कि पहले जिन लोगों ने मुकदमे लगाए हैं। उनकी भी जांच कर ली जाए। ओमप्रकाश राजभर ने भी अब्बास को मजबूर किया? 6 महीने तक अधिकारियों का हिसाब करने का खूंटी में बांध देने का ऐलान करने वाले अब्बास अंसारी भला अब क्यों मजबूर हो रहे हैं। इसके पीछे की वजह क्या है । उनकी पार्टी के मुखिया सुहेलदेव बीजेपी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर नहीं है। घोषणा की, की वह और उनके पार्टी के विधायक राजग की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्म को वोट देंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा में एसबीएसपी के 6 विधायक हैं। एसबीएसपी की घोषणा समाजवादी पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। माना तो यह भी जा रहा है कि सपा एक के बाद एक सहयोगी दलों का समर्थन खोती जा रही है।