AIN NEWS 1 Pune Car Accident : पुणे में हुए एक सड़क हादसे की चर्चा देशभर में हो रही है। एक तेज रफ्तार लग्जरी कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इस कार को 17 साल का एक नाबालिग चला रहा था, जो शराब के नशे में था। पुलिस की जांच पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन एक अधिकारी ने बताया कि नाबालिग के खिलाफ खून की रिपोर्ट के अलावा और भी कई सबूत हैं।
हमारे पास सीसीटीवी फुटेज
पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि हमारे पास सीसीटीवी फुटेज हैं, जिसमें नाबालिग को शराब पीते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास सिर्फ खून की रिपोर्ट ही नहीं बल्कि और भी सबूत हैं। नाबालिग अपने होश में था और उसे अपने आचरण का पूरी तरह से पता था।”
अब तक जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला
उन्होंने आगे कहा कि आरोपियों को तरजीह देने के आरोपों पर अब तक जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है। अगर किसी चश्मदीद गवाह को परेशानी हुई तो संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। खून की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है, लेकिन फोरेंसिक से डीएनए नमूना लेने का अनुरोध किया गया है।
पीड़ितों को न्याय मिलेगा
अमितेश कुमार ने कहा कि हम मामले की बारीकी से जांच कर रहे हैं और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। हमने विशेष वकील नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि अदालत में हमारा पक्ष मजबूती से रखा जा सके। पुलिस इस मामले को सख्ती से संभाल रही है।
वयस्क जैसा व्यवहार करने का आग्रह
उन्होंने बताया कि घटना के बाद प्रथम दृष्टया 304 ए मामला दर्ज किया गया था, जिसे बाद में धारा 304 में बदल दिया गया। हमने किशोर न्याय बोर्ड से आग्रह किया है कि इस मामले को जघन्य अपराध मानकर नाबालिग के साथ वयस्क जैसा व्यवहार किया जाए। हालांकि, हमारे आवेदन खारिज कर दिए गए थे। हमने नाबालिग के माता-पिता और पब मालिक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
ड्राइवर के बयान की जांच
घटना के दौरान ड्राइवर बदलने की कोशिश की गई थी, जिसकी जांच हो रही है। ड्राइवर ने शुरुआत में कहा था कि वह कार चला रहा था, लेकिन हम इस बयान की सच्चाई और दबाव की जांच कर रहे हैं।
मामला क्या है?
18-19 मई की रात को पुणे में करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज रफ्तार से चलाते हुए 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई। आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया था और 14 घंटे बाद उसे कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ने पर उसकी जमानत रद्द कर दी गई। जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और तेज गति से कार चला रहा था।