Ainnews1.Com:-दिल्ली के उपराज्यपाल का पद संभालने के बाद से ही वीके सक्सेना सरकारी नियुक्त आयोग नियुक्तियों भ्रष्टाचार में फैली अनियमितता को लेकर बेहद ही सख्त नजर आ रहे हैं। वह कई बार बोल चुके हैं कि दिल्ली सरकार में नियुक्त सिफारिश जान पहचान के आधार पर नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर ही की जाएगी। जिससे योग्य लोगों को निष्पक्ष तरीके से सरकारी नौकरियों में आने का मौका मिल सके।दिल्ली वक्फ बोर्ड में हुई नियुक्ति मे धोकाधड़ी और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का मामला फिर से सामने आ रहा है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष व वर्तमान में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान और बोर्ड के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी मजबूत आलम के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मिल गई है। इन दोनों पर नियमों और कानून के जानबूझकर और अपराधिक उल्लंघन पद का दुरुपयोग और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। उपराज्यपाल निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 और दंड प्रक्रिया संहीता,1973 की धारा 197 के तहत यह अनुमति दी गई है। भ्रष्टाचार का यह मामला 2016 में सामने आया था।दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के एसडीएम ने 2016 को नवंबर में वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी । कि उन्होंने बोर्ड में स्वीकृत और गैरस्वीकृत पदों पर अपनी मनमानी से नियुक्ति की है। सीबीआई ने विस्तृत मैं जांच की जिसमें इस आरोप को लेकर उनके खिलाफ सबूत मिले हैं। सीबीआई ने मई 2022 में उपराज्यपाल के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी। अमानतुल्लाह ने अपने जान पहचान की कर दी थी नियुक्ति,सीबीआई की जांच के मुताबिक, अमानतुल्ला ने महबूब आलम के साथ मिलकर अपने पद का गलत उपयोग किया और जानबूझकर नियमों को अनदेखा किया और हजारों योग्य व्यक्तियों की अनदेखी नियुक्ति कर भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर करके अपने तरीके से अपने लोगों की नियुक्ति की थी। इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा और अगर नियुक्ति कि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती । तो योग्य लोगों को रोजगार मिल सकता था। अपने खास और पहचान वाले व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने के लिए अमानतुल्लाह खान ने समानता और अवसर के अधिकार के मूल सिद्धांत को दर किनार कर दिया था। सूत्रों के अनुसार सीबीआई की जांच में पाया गया कि खान और आलम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1) (डी) और धारा 13 (2) के तहत भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120-बी के तहत अदालत में मुकदमा चलाने के लिए बड़ा सबूत है। सीबीआई के द्वारा राज निवास को भेजे गए फाइल में अमानतुल्लाह खान और महबूब आलम के प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के सबूत हैं और उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का ठोस आधार है उपराज्यपाल ने इन्ही तथ्यों के आधार पर सीबीआई को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है