ताहा शाह बदुशा, जो संजय लीला भंसाली की नेटफ्लिक्स सीरीज ‘हीरामंडी’ से प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं, का कहना है कि फिल्म उद्योग में लगातार मेहनत और संघर्ष ने उन्हें सफलता दिलाई है। उनकी सफलता के बाद भी उनका लक्ष्य उसी मेहनत को जारी रखना है।
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Toggleसंघर्ष और कड़ी मेहनत का महत्व
ताहा शाह बदूशा ने बताया कि कई लोगों ने उन्हें कहा कि अब जब वह सफलता का स्वाद चख चुके हैं, तो उन्हें थोड़ा आराम करना चाहिए। लेकिन ताहा ऐसा नहीं मानते। उन्होंने कहा, “हीरामंडी ने मुझे सिखाया है कि हर दरवाजे पर दस्तक देते रहो और कभी भी प्रसिद्धि से संतुष्ट मत हो जाओ।”
कांस फिल्म फेस्टिवल का अनुभव
सफलता के बाद, ताहा कांस भी गए थे। ज़ूम को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कांस में वे कई लोगों से मिले जो उन्हें जानते भी नहीं थे। जब वे उन्हें बताते कि उन्होंने ‘हीरामंडी’ में काम किया है, तो लोग हैरान होते थे। ताहा का मानना है कि सफलता के बाद भी उन्हें खुद लोगों से मिलना चाहिए, क्योंकि कई लोग सोचते हैं कि सफल होने के बाद लोग खुद आपके पास आएंगे।
ताहा ने बताया, “मैं नेटवर्किंग करता हूँ। अगर आप मुझे ‘हैलो’ नहीं कहेंगे, तो मैं खुद आकर कहूँगा। अगर 100 लोग आपको जानते हैं, तो उनमें से 95 लोग मानते हैं कि आप सफल होने के बाद अहंकारी हो गए हैं और इसलिए वे आपके पास नहीं आएंगे। इसलिए अगर आप मुझे नहीं ढूंढ़ेंगे, तो मैं आपको ढूंढ लूँगा।”
भोजन छोड़कर नेटवर्किंग
कांस में अपने अनुभव के बारे में ताहा ने बताया, “मैं कांस में एक नवागंतुक की तरह अपना कार्ड बांट रहा था। मैं हर फिल्म कमिश्नर से मिल रहा था। मुझे काम की जल्दी नहीं थी, लेकिन आप कभी नहीं जानते कि कौन आपकी मदद कर सकता है। मैं काम के लिए अपनी नींद या खाना छोड़ने में कोई परवाह नहीं करता। कांस में मैंने खाना नहीं खाया। अगर आपको खाना खाना है, तो आपको डेढ़ से दो घंटे निकालने पड़ते हैं। मैंने भोजन की जगह नेटवर्किंग को चुना। खाना मैं बाद में भी खा सकता हूँ।”
वॉचमैन को रिश्वत देकर मुलाकात
ताहा ने बताया कि कैसे पहले वह महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलने के लिए उनके वॉचमैन को रिश्वत देते थे। “जब मेरे पास काम नहीं था, तो मैं वॉचमैन से कहता था, ‘जब भी सर आएं, मुझे कॉल कर देना’। मैं उन्हें जूस या खाना दिलाता था और उनसे आग्रह करता था कि मुझे जल्दी से जल्दी बता दें ताकि मैं उनसे मिल सकूं। अब मीटिंग करना आसान हो गया है, लेकिन मेरे पास कोई अहंकार नहीं है।”
ताहा शाह बदूशा का मानना है कि मेहनत और संघर्ष के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता और वे इस सोच को अपने करियर में हमेशा बनाए रखेंगे।