AIN NEWS 1 Agniveer Scheme: देश मे सेना भर्ती के लिए हाल ही मे लॉन्च की गई अग्निपथ योजना में कुछ बदलाव की तैयारी कर ली गई है. नवनिर्वाचित NDA सरकार ने अब विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों को यह जिम्मा सौंपा है. यहां हम आपको बता दें अग्निपथ योजना के तहत चुने गए जवानों को ही अग्निवीर कहा जाता है. इस तरह मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों को अब अग्निपथ योजना की पूरी तरह से समीक्षा के लिए कहा गया है. उन्हें यह सुझाव भी देने होंगे कि कैसे अग्निपथ योजना को और ज्यादा आकर्षक बनाया जाए. तीनों सेनाओं ने भी इसके लिए आंतरिक सर्वे कराया है जिसमें योजना से जुड़े कुछ अहम पहलुओं को चिन्हित किया गया है.लोकसभा चुनाव 2024 में अग्निवीरों की भर्ती का भी मुद्दा खूब उठा था. सत्ताधारी गठबंधन के कुछ घटक दलों ने भी इस तरह अग्निपथ योजना में बदलाव की वकालत की. इसी के बाद, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी योजना की समीक्षा का फैसला लिया. नई सरकार के 100 दिनों के एजेंडे में ही इस योजना की समीक्षा भी शामिल थी. इसके लिए सचिवों का पैनल एक प्रजेंटेशन तैयार करेगा जो इटली से लौटने के बाद पीएम के सामने रखा जाएगा. पीएम तमाम हितधारकों से बातचीत के बाद ही फैसला लेंगे.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी पैनल अग्निवीरों के लिए और वित्तीय फायदों की भी सिफारिश कर सकता है. सेना के भीतर जो अभी सर्वे हुआ, उसमें अग्निवीरों को रिटेन करने का प्रतिशत बढ़ाने पर भी प्रमुखता से चर्चा हुई है. अभी 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही रेगुलराइज किया जाता है. सामान्य सैनिकों के लिए इसे बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत और टेक्निकल व स्पेशलिस्ट सैनिकों के भी इसके लिए 75% करने पर विचार हो रहा है.आर्मी ने जो भी फीडबैक हासिल किया, उसके मुताबिक अग्निवीरों के बीच सामंजस्य और सौहार्द की कुछ कमी है. उनमें सहयोग न करके प्रतिस्पर्धा करने की प्रवृत्ति बनी हुई है, जिससे अग्निवीरों के बीच विश्वास की काफ़ी कमी हो रही है.
सेना के भीतर अग्निवीरों का ट्रेनिंग पीरियड भी बढ़ाने पर बात हो रही है. पहले सैनिकों की ट्रेनिंग 37 से 42 हफ्तों तक ही चलती थी. अग्निपथ योजना में ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर अब 24 सप्ताह कर दिया गया. सेना को मिले हुए फीडबैक के अनुसार, इससे अग्निवीरों की ओवरऑल ट्रेनिंग बुरी तरह से प्रभावित हुई. सेना ट्रेनिंग पीरियड को पहले जैसा करने की भी सोच रही है.अग्निवीरों के ओवरऑल सर्विस पीरियड को भी अब चार साल से बढ़ाकर सात साल किया जा सकता है. ताकि उन्हें ग्रेच्युटी और पूर्व सैनिक का दर्जा भी मिल सके. एक सुझाव यह भी है कि अग्निवीरों की केंद्रीय पुलिस बलों में भर्ती पर भी उनकी वरिष्ठता बरकरार रखी जाए.
जान ले अग्निपथ योजना: आख़िर एक अग्निवीर पर कितना खर्च?
इस अग्निपथ योजना को जून 2022 में ही लॉन्च किया गया था. कोविड-19 की वजह से जैसे दो साल तक सेना की भर्ती रुकी रही, जिसके बाद ही यह योजना शुरू हुई. इसके तहत, युवाओं को ट्रेनिंग के बाद चार साल तक के लिए भारतीय सेना में शामिल किया जाता है. इस दौरान उन्हें कुल 30,000 रुपये प्रतिमाह शुरुआती सैलरी मिलती है जो कि चौथे साल तक 40,000/माह तक हो जाती है. चार साल के बाद, अग्निवीरों को कुल 12 लाख रुपये ‘सेना निधि पैकेज’ के रूप में भी मिलते हैं. अपनी जरूरत के हिसाब से सेनाएं 25% अग्निवीरों को सेना में रिटेन भी कर सकती हैं.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की ही एक स्टडी के मुताबिक, फुल-टाइम सैनिक के मुकाबले में एक अग्निवीर पर सरकार को कुल 1.75 लाख रुपये सालाना खर्च करना पड़ता है. 60 हजार अग्निवीरों के बैच पर भी कुल बचत 1,054 करोड़ रुपये ही बैठती है.
एक सामान्य सैनिक और अग्निवीर के बीच में सबसे बड़ा फर्क यह है कि रेगुलर सैनिक को उसकी पेंशन मिलती है, लेकिन अग्निवीरों को चार साल के बाद से कोई पेंशन नहीं मिलती. रक्षा बजट का करीब एक-चौथाई हिस्सा ही पेंशन में खर्च होता है. अग्निपथ स्कीम के जरिए ऐसे ही खर्च में कटौती की भी कोशिश हुई थी.