AIN NEWS 1 | कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 21 जून की रात को एंटी पेपर लीक कानून (Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024) लागू किया है। इस कानून का उद्देश्य परीक्षाओं में पेपर लीक और अन्य गड़बड़ियों को रोकना है। हाल ही में नीट यूजी विवाद के बाद इस कानून को लागू करने का निर्णय लिया गया।
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Toggleकिस प्रकार के अपराधों को रोकता है यह कानून?
- पेपर लीक: पेपर लीक करने पर कम से कम 3 साल की जेल और 10 लाख रुपये जुर्माना।
- आंसर शीट के साथ छेड़छाड़: अधिकतम 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माना।
क्या है सजा का प्रावधान?
- पेपर लीक या आंसर शीट छेड़छाड़ पर: कम से कम 3 साल की जेल और 10 लाख रुपये जुर्माना, जिसे 5 साल और 10 लाख तक बढ़ाया जा सकता है।
- सेवा प्रदाता दोषी होने पर: 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना। परीक्षा की लागत भी वसूली जाएगी और 4 साल के लिए परीक्षा संचालन से रोका जा सकता है।
- संस्था संगठित अपराध में शामिल होने पर: संपत्ति कुर्क और जब्ती होगी और परीक्षा की लागत वसूली जाएगी।
- अधिकारी दोषी होने पर: 3 से 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माना।
अधिकारी दोषी पाए जाने पर
- प्रभारी व्यक्तियों की सहमति या मिलीभगत: 3 से 10 वर्षों की जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माना।
कानून की मंजूरी और लागू होने की तिथि
इस कानून को 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को इस बिल को मंजूरी दी और इसे कानून में बदल दिया गया।
किन परीक्षाओं पर लागू होता है यह कानून?
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- कर्मचारी चयन आयोग (SSC)
- रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB)
- बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (IBPS)
- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA)
- केंद्र के सभी मंत्रालयों और विभागों की भर्ती परीक्षाएं
इन सभी परीक्षाओं से जुड़े अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
नीट विवाद
नीट (NEET) परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोप लगे, जब 4 जून को घोषित परिणाम में 67 छात्रों ने रैंक-1 हासिल की। इसके बाद, पेपर लीक और परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद, केंद्र ने ग्रेस मार्क्स वाले 1563 छात्रों के स्कोर कार्ड रद्द कर दिए और 23 जून को दोबारा परीक्षा कराने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।